चिकित्सा-क्रांति : चंडीगढ़ पीजीआई में अब कैंसर की पहचान करेगा आर्टिफिशयल-इंटेलिजेंस

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आवाज के बदलते पैटर्न से पता लगेगी बीमारी, रिसर्च को मिला अनुदान

चंडीगढ़, 10 अप्रैल। अब वोकल कॉर्ड कैंसर की पहचान सिर्फ आवाज से कर ली जाएगी। चंडीगढ़ पीजीआई के ईएनटी विभाग की टीम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से यह अध्ययन करने जा रही है। जिसमें इंसानी आवाज के बदलते पैटर्न से कैंसर की आशंका का पता लगाया जा सकता है।

जानकारी के मुताबिक इस रिसर्च को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च से 90 लाख रुपए की फंडिंग मिली है। इसे तीन साल में पूरा करना है, इसमें करीब एक हजार वयस्क लोग शामिल कर उनकी आवाज का डेटा जुटाया जाएगा। इसमें 2 समूह होंगे, एक में पूरी तरह स्वस्थ वयस्कों की आवाज का अध्ययन होगा। वहीं दूसरे समूह में ऐसे मरीज शामिल होंगे, जिन्हें पहले से वॉयस डिसऑर्डर समस्या है।

उनकी आवाजें एक खास मोबाइल ऐप में रिकॉर्ड होंगी, फिर सॉफ्टवेयर से उन पर रिसर्च होगी। सॉफ्टवेयर जांचेगा कि किस आवाज में कैंसर की आशंका वाले पैटर्न हैं।

रिसर्च टीम का मानना है कि यह तकनीक जैसे-जैसे डेटा जुटाएगी, इसकी सटीकता भी बढ़ेगी। जो कैंसर की पहचान का आसान, भरोसेमंद तरीका बन सकती है। चंडीगढ़ पीजीआई के ईएनटी विभाग की ओपीडी में हर साल करीब 100 मरीज वोकल कॉर्ड कैंसर के इलाज वाले आते हैं, लगभग 20 की सर्जरी होती है। इन केसों को जांचने में कई बार देरी भी होती है। जांच प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए एआई का सहारा लिया जा रहा है। इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट का नेतृत्व ईएनटी डिपार्टमेंट की हेड डॉ. जयमंती बक्शी कर रही हैं।

उनके मुताबिक अधिकतर मामलों में कैंसर का समय पर पता नहीं चलने से इलाज में देरी होती है, जिससे यह जानलेवा साबित होता है। ऐसे में अगर सिर्फ आवाज से कैंसर की पहचान संभव हो जाए तो यह इलाज और बचाव की दिशा में क्रांतिकारी कदम होगा। यह तकनीक भविष्य में अन्य वॉयस डिसऑर्डर की पहचान में भी अहम भूमिका निभा सकती है।

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