महेंदरगढ़ के रेप मामले में हाईकोर्ट ने जताया कड़ा एतराज, खुद लिखी एमएलआर नहीं पढ़ सका डॉक्टर
हरियाणा, 19 सितंबर। यहां महेंदरगढ़ का एक हैरान करने वाला मामला सामने आया। दरअसल एक डॉक्टर रेप केस में सुनवाई के दौरान खुद की लिखी एमएलआर हाईकोर्ट में पढ़ नहीं सका। जिसके बाद अदालत ने कड़ा एतराज जताते हुए डीजी हेल्थ को सख्त निर्देश जारी किए हैं।
जानकारी के मुताबिक कोर्ट के निर्देश के बाद डीजी हेल्थ ने सभी सीएमओ को पत्र लिखा कि उपचार के दौरान की सभी चीजें साफ-साफ लिखी जाएं। उन्होंने कहा कि अब डॉक्टरों को मरीज के उपचार से जुड़ी तमाम जानकारियों को बोल्ड-कैपिटल और साफ राइटिंग में लिखना होगा। सीएमओ को निजी अस्पतालों में यह फैसला लागू कराने के लिए इंडियन मेडिकल काउंसिल से संपर्क करने की बात कही गई।
बताते हैं कि पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में एक महिला के साथ रेप के एक केस में दायर मुकदमे की सुनवाई हुई। इस दौरान एमएलआर निरीक्षण के लिए लाई गई। जिसकी लिखावट बिल्कुल अपठनीय थी और समझ में नहीं आ रही थी। राइटिंग समझ में नहीं आने पर डॉक्टर को भी कोर्ट में बुलाया गया। वो भी चीजों का स्पष्ट नहीं कर सका। जिस पर कोर्ट ने कहा कि बहुत आश्चर्य और सदमा पहुंचता है कि तकनीक और कंप्यूटर की सुलभता के इस युग में, सरकारी डॉक्टरों द्वारा चिकित्सा इतिहास और नुस्खों पर लिखे गए नोट्स अभी भी हाथ से लिखे जाते हैं।
कोर्ट ने कहा कि डॉक्टर ऐसी राइटिंग में लिखते हैं कि उनकी राइटिंग को कुछ अन्य डॉक्टरों को छोड़कर कोई नहीं पढ़ सकता। यहां तक कि इस न्यायालय ने भी कई मामलों में देखा है कि चिकित्सा पर्चे भी ऐसी लिखावट में लिखे जाते हैं, जिन्हें शायद कुछ केमिस्टों को छोड़कर कोई नहीं पढ़ सकता। डॉक्टर द्वारा अपनी ही लिखी एमएलआर नहीं पढ़ पाने पर कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए डीजी हेल्थ को निर्देश जारी किए।
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