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मायावती की राजनीतिक शून्य को ताकत में बदलने की कोशिश भारत बंद, विपक्षी सभी दल एक प्लेटफार्म पर

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चन्द्रशेखर को भी राजीनतिक आक्सीजन प्रदान कर गया भारत बंद
जब मुददों पर एका तो फिर चुनावी मैदान में क्यों हो जाती है फूट?
भारत बंद का असर ज्यादातर जिलों में प्रदर्शन के अलावा नहीं देखने को नहीं मिला

शबी हैदर
लखनऊ 21 अगस्त :

अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण में क्रीमी लेयर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में दलित और आदिवासी संगठनों ने आज ‘भारत बंद’ का आयोजन किया। यूपी में सपा, बसपा, आजाद पार्टी समेत तमाम संगठनों ने भारत बंद को अपना समर्थन दिया। एक अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और जन जाति आरक्षण में क्रीमी लेयर को लेकर बड़ा फैसला सुनाया था। आज सुबह से ही यूपी के प्रत्येक जिलें में बंद को लेकर प्रशासनिक चौकसी दिखी। वही राजनीतिक दलों ने भी बंद को सफल बनाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोकी। लखनऊ के हजरतगंज चौराहे पर बसपा कार्यकर्ताओं ने अंबेडकर प्रतिमा के पास विरोध-प्रदर्शन किया। इस दौरान उनके हाथों में आरक्षण बचाने को लेकर बैनर-पोस्टर भी देखने को मिला। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुईं। इस दौरान प्रदर्शनकारियों के ‘अभी तो ये अंगड़ाई है, आगे और लड़ाई है’ जैसे नारे लगाते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

भारत बंद का आंशिक असर

यूपी के प्रत्येक जिले में बीएसपी सहित कई दल प्रदर्शन में शामिल हुए, प्रदर्शनकारियों ने जमकर नारेबाजी करते हुए कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन किया और जिलाधिकारी कार्यालय में ज्ञापन सौंपा, इस दौरान सैकड़ो की संख्या में नीले झंडे लेकर पार्टी के लोग कलेक्ट्रेट पहुंचे थे, वहीं सुरक्षा को लेकर कलेक्ट्रेट में फायर ब्रिगेड सहित पुलिस बल लगाया गया था। भारत बंद का असर उत्तर प्रदेश के कन्नौज, वाराणसी, जालौन जिलों व्यापक स्तर पर देखने को मिला वहीं दूसरे अन्य जिलों में प्रदर्शन के अलावा ज्यादा असन नहीं देखने को मिला। दुकान और यातायात सुचारू रूप से चलते रहो प्रदर्शनकारी पार्टी कार्यकर्ताओं ने जुलूस निकालकर कलेक्ट्रेट में नारी बाजीगर कर आरक्षण को लेकर विरोध दर्ज किया, प्रदर्शन को लेकर जिला प्रशासन द्वारा पहले से ही सुरक्षा व्यवस्था की कड़ी तैयारी की गई थी। बसपा, दलित पैंथर, आजाद समाज पार्टी समेत कई संगठनों के लोगों ने लखनऊ के अंबेडकर पार्क में एक बैठक की। इस दौरान तमाम संगठन के लोगों ने एक सुर में कहा कि देश में संविधान सबसे बड़ा है। आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अवधेश वर्मा ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन भेजकर कहा है कि सरकार विशेष सत्र बुलाकर तत्काल इस पर कानून बनाए, ताकि अनुसूचित वर्ग के लोगों का आक्रोश खत्म हो।

मुददों पर एक, लेकिन चुनाव अलग—अलग

बात अगर आज के भारत बंद की करे तो एक सवाल सभी के मन में उठता है कि जब मुददों पर सभी विपक्षी दल एक है तो फिर चुनावी मैदान में अलग—अलग चुनाव क्यों लड़ते हैं। आज के बंद में शामिल सपा कांग्रेस को छोड़ दे तो दूसरे सभी दल एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में थे। अजाद समाज पार्टी हो या फिर बहुजन समाज पार्टी दोनों ही दल जिन्होंने आज के बंद में पूरी ताकत झोकी एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़े। बसपा ने तो नगीना जहां से चन्द्रशेखर रावण चुनाव जीते हैं वहां चन्द्रशेखर को हराने के लिए पूरी ताकत से चुनाव लड़ी। राजनीतिक विषलेशक ध्रुवकांत त्रिपाठी कहते हैं कि उप—चुनाव से पहले राजनीतिक एका एक बड़ा संदेश हैं अपने—अपने वोर्टस के लिए। उनके मुताबिक चुनाव में एक साथ चुनाव लड़ना किसी भी दल के लिए बहुत आसान नहीं होता। टिकट एक होता है और दावेदार बहुत से। कभी—कभी पार्टी को बचाने के लिए भी चुनावी मैदान में उतरा जाता है। लेकिन प्रत्येक दशा में चुनाव लड़ना यह ठीक सोच नहीं है। विपक्ष को स्मार्ट तरीका अपनाते हुए कोई एक ऐसा रास्ता निकालना होगा जिससे वोटों का ​बंटवारा न हो।

उप—चुनाव पर सीधा असर

राजनीतिक समीक्षक तरूण दीक्षित के मुताबिक आज के बंद का यूपी की दस सीटों पर हो रहे उपचुनाव पर सीधा असर होगा। बीएसपी उप—चुनाव लड़ती नहीं। कांग्रेस और सपा साथ—साथ है और अजाद समाज पार्टी भी एक दो सीटों को छोड़कर उपचुनाव में नहीं उतरने वाली। ऐसे में आरक्षण एक बार फिर मुददा बन रहा है और विपक्षी दल इस मुददे मे हवा भरे में कामयाब रहे। बात आज के प्रर्दशन की करे तो यूपी के कन्नौज में सबसे तगड़ा प्रदर्शन हुआ। जहां से डिंपल यादव सासंद का चुनाव जीती है और वहां से यूपी सरकार में मंत्री असीम अरूण है। आज के प्रदर्शन पर मंत्री असीम अरूण का बयान है कि आरक्षण के मुददे पर किसी आंदोलन की जरूरत नहीं है।

भारत बंद पर राजनैतिक दलों का रिएक्शन…..///

1- कांग्रेस पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष विश्व विजय सिंह ने कहा कि दलित, पिछड़े के आरक्षण पर हमले को किसी भी हालत में कांग्रेस बर्दाश्त नहीं करेगी। भारतीय जनता पार्टी की जो सरकार है वह आंदोलन में अपनी बात रहने वालो का दमन करने का काम करती है।

2- भाजपा का सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल के प्रदेश महासचिव रजनीकांत मिश्रा ने भारत बंद पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार आरक्षण को लेकर गंभीर है। किंतु न्यायपालिका के खिलाफ विरोध करना उचित नहीं हम भारत बंद के खिलाफ है।

3- समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रदेश सचिव समर्थ यादव ने कहा कि भाजपा बंद में समाजवादी पार्टी दलितों के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा की भारत बंद का हमारे लोग समर्थन करते हैं।

 

4— आजाद समाज पार्टी (असपा) के लोग भी झंडा-बैनर लेकर भारत बंद को सफल बनाने के लिए यूपी के अनकों जिलों में निकले। उनके बैनर में नगीना सांसद चंद्रशेखर रावण की तस्वीर लगी थी। उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उनका कहना है कि ‘आरक्षण भीख नहीं, हमारा हक है’ और उसे हम हर हाल में लेकर रहेंगे।

5— बहुजन समाज पार्टी का कहना है कि सरकार को चाहिए कि वह इस पर अध्यादेश लाए और इसे संविधान की नौवीं सूची में डाले, ताकि कोई भी सरकार इसके खिलाफ कोई फैसला न दे सके। दलितों को संविधान के तहत जो मूल आरक्षण मिला है वही हमें चाहिए।

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