watch-tv

मुद्दे की बात । एनडीए को मिलेगा राज्यसभा में बहुमत ?

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

भाजपा की उम्मीदें टिकी है रास चुनावों पर

अगले महीने राज्यसभा की 12 सीटों पर उप-चुनाव होने हैं। जिसके बाद एनडीए को सदन में बहुमत मिलने की उम्मीद है। इससे वक्फ (संशोधन) बिल जैसे अहम बिलों को मंजूरी दिलाने में मदद मिल सकेगी। कुल 9 राज्यों खाली 12 राज्यसभा सीटों पर 3 सितंबर को उप-चुनाव होने वाले हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स और दैनिक भास्कर में प्रकाशित समीक्षा के मुताबिक इनमें से बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को 11 सीटें मिलने की उम्मीद है। इस तरह एनडीए 245 सदस्यों वाले सदन में 122 सीटें हासिल कर लेगा। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटने और केंद्र-शासित प्रदेश बनने के बाद विधानसभा चुनाव नहीं हुए, इसलिए वहां की 4 सीटें अभी खाली हैं। ऐसे में राज्यसभा की मौजूदा-स्ट्रेंथ 241 रह जाती है। जब तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव नहीं हो जाते, तब तक ये सीटें खाली रहेंगी। अभी राज्यसभा में बहुमत का आंकड़ा 121 है। लिहाजा उप-चुनाव के बाद एनडीए राज्यसभा में बहुमत हासिल कर सकता है।

राज्यसभा से 4 नामित सदस्य 13 जुलाई को रिटायर हुए हैं। इन सीटों पर भी सदस्यों के नामित होने के बाद यह संख्या 126 हो जाएगी। चुनाव आयोग ने 7 अगस्त को राज्यसभा की 12 सीटों पर उप-चुनाव का ऐलान किया था। इनमें 2-2 सीटें असम, बिहार, महाराष्ट्र में और 1-1 सीट हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, त्रिपुरा, तेलंगाना और ओडिशा में खाली हुई है। तय शैड्यूल के मुताबिक नतीजे भी उसी दिन यानि 3 सितंबर को शाम 5 बजे सामने आने हैं। इन 12 सीटों में से भाजपा और सहयोगी दलों को 7 राज्यों से सीटें मिलने की उम्मीद है। एनडीएम को बिहार, महाराष्ट्र और असम से 2-2 और हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और त्रिपुरा से 1-1 राज्यसभा सीट मिल सकती है।

इसके अलावा माना जा रहा है कि जिन 6 लोगों को राज्यसभा में नॉमिनेट किया गया है, वे भी सरकार का समर्थन करेंगे। सामान्य रूप से राज्यसभा में नामित सदस्य स्वतंत्र होते हैं, लेकिन परंपरागत रूप से वे उसी पार्टी का समर्थन करते हैं, जिस पार्टी की सरकार ने उन्हें नॉमिनेट किया है। राज्यसभा की कुल 20 खाली सीट में से जम्मू-कश्मीर से 4 और नामित सदस्यों की 4 सीटें हैं। दस सीटें राज्यसभा सांसदों के लोकसभा चुनाव लड़ने और जीतने के कारण खाली हुई हैं। इसके अलावा एक सीट भारत राष्ट्र समिति के नेता के.केशव राव के कांग्रेस में जाने से खाली हुई है।

दूसरी सीट ओडिशा से बीजद सांसद ममता मोहंता के इस्तीफे के बाद खाली हुई। उन्होंने 31 जुलाई को पार्टी और राज्यसभा से इस्तीफा दिया और भाजपा में शामिल हो गईं। राज्यसभा में सांसदों की कुल संख्या 245 है। फिलहाल राज्यसभा में 225 सांसद हैं, जबकि 20 सीटें खाली हैं। खाली सीटों में जम्मू-कश्मीर से 4 और नामित सदस्यों की 4 सीटें हैं। इन सीटों को छोड़कर बाकी 12 सीट पर चुनाव होगा।

राज्यसभा में भाजपा के पास 87 सीटें और सहयोगी दलों को मिलाकर यानि एनडीए के पास 105 सीटें हैं। इसमें 6 नामित सदस्यों को भी जोड़ लें तो आंकड़ा 111 हो जाता है, जो बहुमत से 12 सीटें कम है। वहीं इंडिया गुट के पास 87 सीटें हैं। इंडिया ब्लॉक और एनडीए के अलावा अन्य पार्टियों के पास 28 सीटें हैं।

राज्यसभा से 4 मनोनीत सदस्य 13 जुलाई को रिटायर हो जाने से 4 साल बाद भाजपा की स्ट्रेंथ 90 से नीचे से चली गई है। राज्यसभा में भाजपा 10 साल में 55 से 101 सीटों तक पहुंची है। भाजपा के 2014 में 55 और 2019 में 78 सांसद थे। जून, 2020 में यह संख्या 90 हो गई। इसके बाद पार्टी ने 11 सीटें जीतीं। इससे सदस्यों की संख्या 101 तक पहुंच गई। साल 1990 के बाद ऐसा पहली बार हुआ था, जब किसी पार्टी ने 100 का आंकड़ा पार किया था। भारत में राज्यसभा का चुनाव इस तरह से होता है कि लोकसभा और राज्यसभा में किसी एक दल को एक समय पर स्पष्ट बहुमत मिलना मुश्किल होता है। अगर किसी दल के पास दोनों सदनों में स्पष्ट बहुमत होता है तो इससे छोटे-छोटे क्षेत्रीय दलों या निर्दलीय सांसदों के समर्थन के बदले अपनी अनुचित मांगों को लेकर सरकार पर दबाव की स्थिति खत्म हो जाती है।

हालांकि इसका नकारात्मक पहलू भी है। जब किसी एक दल के पास लोकसभा और राज्यसभा दोनों में बहुमत हो तो संसदीय कामकाज में आम सहमति बनाने की स्थिति कम हो जाती है। बड़ी पार्टी अपने मन से फैसला लेती है। वह छोटे और दूसरे दलों से सलाह नहीं लेती, जो लोकतंत्र में ठीक नहीं है। साल 1989 तक कांग्रेस पार्टी के पास राज्यसभा में स्पष्ट बहुमत हुआ करता था। इस समय अधिकांश राज्यों में कांग्रेस की सरकार होती थीं। साल 1989 के बाद से केंद्र सरकार को राज्यसभा में महत्वपूर्ण बिलों को पारित कराने में छोटे दलों को साधना पड़ता है या विपक्षी दलों के साथ मिलकर आम सहमति बनानी पड़ती है।

———–

 

 

 

 

Leave a Comment