लुधियाना
16 नवंबर। लुधियाना में कई प्लास्टिक कारोबारियों द्वारा बैन किए 120 माइक्रोन से नीचे के प्लास्टिक लिफाफे का जमकर व्यापार किया जा रहा है। लेकिन फिर भी पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड और नगर निगम हाथ पर हाथ धरे बैठा है। चर्चा है कि शहर के कई प्लास्टिक कारोबारियों की और से बैन किए लिफाफे को गुजरात से मंगवाया जाता है। हर महीने 10 से 12 करोड़ रुपए का लिफाफा सिर्फ लुधियाना में खपाया जा रहा है। जबकि पूरे पंजाब में इसकी मात्रा कई गुना अधिक है। लेकिन इस तरह करके कारोबारियों द्वारा एक तरफ तो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। वहीं इसी के साथ साथ राजस्व को भी भारी चूना लगाया जा रहा है। क्योंकि लिफाफा तैयार गुजरात में करके सारा टैक्स वहां अदा कर दिया जाता है और ब्लैक में लिफाफा यहां लाकर पंजाब का टैक्स चोरी करने के साथ साथ पर्यावरण खराब किया जा रहा है। लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि फिर भी प्रशासन द्वारा एक्शन नहीं लिया जा रहा।
पंजाब को पड़ रही दोहरी मार
जानकारी के अनुसार गुजरात के कई प्लास्टिक कारोबारियों द्वारा 25 से 30 माइक्रोन के लिफाफे बनाने की फैक्ट्रियां लगा रखी है। जिसके चलते वह कारोबारी लिफाफे तैयार करके गुजरात सरकार को टैक्स अदा कर रहे हैं। फिर लुधियाना और पंजाब के कारोबारी उन लिफाफों के बैन होने के चलते यहां पर इललीगल तरीके से लेकर आते है और धड़ल्ले से बेचते हैं। वहीं अगर पंजाब में ही नियमों के मुताबिक कारोबारी चलें और 120 माइक्रोन से ऊपर का लिफाफा बनाए तो सारा टैक्स भी पंजाब सरकार के खजाने में जाएगा और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होगा। लेकिन अब मौजूदा समय में टैक्स भी चोरी हो रहा और पर्यावरण खराब करने से पंजाब दोहरी मार झेल रहा है।
सबसे बड़ी व्यापारिक मंडी है लुधियाना
सभी को पता है कि लुधियाना सबसे बड़ी व्यापारिक मंडी है। जिसके चलते यहां पर सबसे ज्यादा लिफाफा खपाया जा रहा है। लेकिन उसके बावजूद भी प्रशासन द्वारा इस तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा। जबकि हर बार प्रशासन द्वारा एक्शन लेने के दावे किए जाते हैं, लेकिन फिर भी एक्शन नहीं हो पाता।
80 टन रिसाइकिल नहीं हो पाया प्लास्टिक
चर्चा है कि पंजाब सरकार की और से प्लास्टिक का ऑडिट किया गया। चर्चा है कि इसमें 100 टन में से 80 टन प्लास्टिक ऐसा था, जो रिसाइकिल नहीं हो सका। यानि कि 80 टन प्लास्टिक ऐसा लिफाफा शामिल था, जो रिसाइकिल नहीं हो सकता। जिससे साफ जाहिर है कि राज्य में अभी भी बैन लिफाफे का व्यापार हो रहा है। चर्चा है कि इस धंधे में सरकारी विभागों की कई काली भेड़ें भी शामिल हैं।
सरकार की छूट का नाजायाज फायदा
जानकारी के अनुसार पंजाब में पहले 120 माइक्रोन से उपर का भी लिफाफा बनाने की परमीशन नहीं थी। लेकिन फिर प्लास्टिक कारोबारियों की मांग पर मंत्री संजीव अरोड़ा द्वारा राज्य सरकार से बात कर इसकी परमीशन लेकर दी। लेकिन अब वहीं व्यापारी मंत्री द्वारा दिलाई छूट का नाजायज फायदा उठा रहे हैं।





