कई जाली रजिस्ट्रियां करवा चुका हैं पंचकूला का कारोबारी, जोड़ तोड़ में लगा तहसीलदार, नामी वकील ने निभाई अहम भूमिका

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लुधियाना वेस्ट तहसील में करोड़ों की जमीन की जाली रजिस्ट्री कराने का मामला

लुधियाना 20 फरवरी। लुधियाना की वेस्ट तहसील में गांव नूरपूर में मौजूद एक एनआरआई दीप सिंह की करोड़ों की जमीन की जाली रजिस्ट्री कराने का मामला लगातार तूल पकड़ता हुआ नजर आ रहा है। अब इस मामले में नए खुलासे हुए हैं। चर्चा है कि वेस्ट तहसील के तहसीलदार जगसीर सिंह ने जिस पंचकूला के कारोबारी दीपक गोयल के नाम पर यह बेशकीमती जमीन की रजिस्ट्री करवाई है, उक्त कारोबारी द्वारा ऐसे ही फर्जी तरीके से कई और जमीनों की रजिस्ट्रियां भी करवाई जा चुकी है। चर्चा है कि वह खुद कभी भी रजिस्ट्री कराने के लिए पेश नहीं होता, जबकि अपने कारिंदों को रजिस्ट्री कराने के लिए भेजता है। वहीं चर्चा है कि इस मामले के उजागर होने के बावजूद तहसीलदार जोड़ तोड़ में लगा है, ताकि उसका बचाव हो सके। चर्चा है कि गांव नूरपूर की जिस बेशकीमती जमीन की रजिस्ट्री करवाई गई है, उस मामले में एक वकील भी शामिल है। उक्त वकील की और से पहले भी कई जाली रजिस्ट्रियां करवाई गई है। हैरानी की बात तो यह है कि आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा तहसीलों में भ्रष्टाचार रोकने के बड़े बड़े दावे किए जाते हैं। आए दिन सीएम भगवंत मान की और से इस संबंधी भाषण दिए जाते हैं। लेकिन शायद सरकार लुधियाना की हलका वेस्ट तहसील पर नुकेल डालने में कामयाब नहीं हो सकी है। इसी के चलते आज भी वहां लोगों की जमीनों की जाली रजिस्ट्रियां करवाकर हड़प ली जा रही है। इन भ्रष्टाचार के मामलों में सरकारी अधिकारियों के खुद मिले होने के आरोप लग रहे हैं। अब देखना होगा कि सरकार इन पर लगाम लगा सकेगी या नहीं।

ग्लाडा की जाली रजिस्ट्रियों में शामिल रह चुका वकील
वहीं चर्चा है कि नूरपूर की जमीन की जाली रजिस्ट्री करवाने के मामले में जो वकील शामिल है, उसके द्वारा कई बेशकीमती जमीनों की जाली रजिस्ट्रियां कराने में अपनी हिस्सेदारी अदा की जा चुकी है। चर्चा है कि पहले ग्लाडा के अधीन आती कई प्रॉपर्टियों की जाली रजिस्ट्रियां हुई थी। इन मामलों में भी इसी वकील की अहम भूमिका रह चुकी है। जबकि हैरानी की बात तो यह है कि ग्लाडा की प्रॉपर्टियों की जाली रजिस्ट्रियां भी वेस्ट तहसील में हुई थी। चर्चा है कि उस समय वेस्ट में तैनात तहसीलदार भी मौजूदा तहसीलदार जगसीर सिंह का ही करीबी दोस्त था।

क्या सरकार बाकी रजिस्ट्रियों की करेगी चैकिंग
चर्चा यह भी है कि वेस्ट तहसील में पहले कुलवंत सिंह तहसीलदार थे। उक्त तहसीलदार के कार्यकाल में भी जमकर फर्जी रजिस्ट्रियों का काम धड़ल्ले से चला है। चर्चा है कि वेस्ट तहसील में तैनात हुए ज्यादातर तहसीलदारों के कार्यकाल में जमकर फर्जी रजिस्ट्रियां हुई है। अब देखना होगा कि आप सरकार इस मामले में क्या एक्शन लेती है। क्या सभी रजिस्ट्रियों की भी चैकिंग होगी या 1-2 की जांच कर बाकियों को छोड़ दिया जाएगा।

50 लाख की महीने की इनकम की चर्चा
चर्चा है कि मौजूदा तहसीलदार जगसीर सिंह कांग्रेस सरकार के समय मंत्री रहे गुरप्रीत सिंह कांगड़ के मुंह बोले भाई माने जाते थे। कांग्रेस सरकार के समय तहसीलदार होने के बावजूद जगसीर द्वारा कौन से तहसीलदार, पटवारी और एसडीएम को कहा लगाना है और कहा नहीं, इसका फैसला किया जाता था। वहीं चर्चा है कि तहसीलदार जगसीर सिंह की 50 लाख तक की महीने की इकनम है। अगर इसकी ईडी द्वारा जांच की जाए तो कई हजार करोड़ की प्रॉपर्टियों के मालिक निकलेगें।

पूरा दिन तहसील से रहे गायब
चर्चा है कि गांव नूरपूर की जमीन का घोटाला उजागर होने के बाद तहसीलदार जगसीर सिंह पूरा दिन तहसील से गायब रहे। हालांकि तहसील में कोर्ट के काम से जाने का बहाना बनाया गया। लेकिन इस दौरान लोग परेशान होते रहे। अपाइंटमेंट लेकर रजिस्ट्रियां कराने आने वाले लोगों के काम नहीं हो सके। लोगों में रोष था कि सरकार को वह फीस अदा करके काम कराने आए तो भी काम नहीं हुआ। उनका कहना था कि आखिर उनका बिना वजह सोशन क्यों किया जा रहा है।

तहसीलों में चल रहा अनोखा नेक्सस
चर्चा है कि तहसीलों के अनोखे तरीके का नेक्सस बनाया हुआ है। तहसील में एक कानून है, जिसके तहत रजिस्ट्री के लिए दो गवाह डाले जातें है। ऐसे में अगर कल को कई घोटाला हो तो सारी बात उन गवाहों पर डाल दी जाती है, जबकि तहसीलदार खुद बचकर निकल जाते हैं। ऐसे में यह गलत है, क्योंकि रजिस्ट्री तहसीलदार की मौजूदगी में होने के बावजूद उन्हें क्यों घोटाले से बचाया जाता है।

टेक्निकल पेच बना ली जाती है हिस्सेदारी
वहीं चर्चा है कि रजिस्ट्री कराने के लिए पहले रिश्वत ली जाती थी। लेकिन अह हिस्सेदारी मांगी जाती है। रजिस्ट्री कराने के लिए किसी न किसी टेक्निकल पेच में फंसा लिया जाता है। वैसे तो वह दिक्कत बड़ी नहीं होती, लेकिन जानबूझकर उसे बड़ा दिखाकर 50 लाख तक की हिस्सेदारी मांगी जाती है। लगातार तहसीलों में करप्शन का बोलबाला बढ़ता जा रहा है।

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