चंडीगढ/यूटर्न/12 अगस्त: प्रदेश की सरकार लगातार विकास कार्यों में जुटी हुई है। इसी के तहत शिक्षा क्षेत्र में भी कई स्कूलों को भी अपग्रेड किया जा रहा है। इससे बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सकेगी और पढ़ाई को बढ़ावा मिल पाएगा। इसीलिए राज्य सरकार की ओर से आने वाले 14 नवंबर को स्कूल ऑफ हैप्पीनेस की शुरुआत की जाएगी। शिक्षा विभाग की ओर से पहला स्कूल श्री आनंदपुर साहिब के लखेर गांव में खुलेगा। सरकारी प्राथमिक विद्यालय से स्कूल ऑफ हैप्पीनेस की शुरुआत करके प्राथमिक शिक्षा को बदलने की पहल शुरू की जाएगी। यह स्कूल पंजाब की महत्वाकांक्षी स्कूल ऑफ हैप्पीनेस परियोजना के तहत अपग्रेड होने वाला पहला स्कूल है। स्कूल ऑफ हैप्पीनेस का उद्देश्य बुनियादी ढांचे को विकसित करना, मूलभूत सुविधाओं को बढ़ाने और शिक्षा के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को एकीकृत करके पूरे राज्य में एक पोषण और सीखने का माहौल बनाना है।
बैग-फ्री सैटरडे शामिल
शिक्षा विभाग के मुताबिक, आनंदपुर साहिब के लखेर गांव में सरकारी प्राथमिक विद्यालय जल्द ही पंजाब निर्माण विभाग के वास्तुकारों द्वारा डिजाइन की गई एक नई, अत्याधुनिक इमारत में ट्रांसफर हो जाएगा। नए डिजाइन का उद्देश्य ऐसा माहौल तैयार करना है जो छात्रों की खुशहाली और खुशी को बढ़ावा दे, जिसमें रंग-बिरंगे फर्नीचर, आकर्षक पैनल बोर्ड और ‘बैग-फ्री सैटरडे’ जैसी विशेषताएं शामिल हैं।राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए तेजी से काम कर रही है कि पहला स्कूल ऑफ हैप्पीनेस बाल दिवस पर उद्घाटन के लिए तैयार हो। शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने उंमीद जताई कि यह समय सीमा पूरी हो जाएगी, उन्होंने शिक्षा के साथ खुशी को जोडऩे की सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। यह स्कूल बैंस के विधानसभा क्षेत्र के पिछड़े चंगर इलाके में स्थित है।
132 स्कूलों होंगे अपग्रेड
स्कूल ऑफ हैप्पीनेस पहल के तहत राज्य भर में कम से कम 132 स्कूलों को अपग्रेड करने की योजना है। इनमें से 10 स्कूल शहरी क्षेत्रों में और 122 ग्रामीण क्षेत्रों में होंगे। सरकार ने इस अपग्रेड के लिए पहले ही 37 स्कूलों की पहचान कर ली है। इस परियोजना में महत्वपूर्ण निवेश शामिल है, जिसमें प्रत्येक शहरी स्कूल के लिए 1 करोड़ रुपये और हर एक ग्रामीण स्कूल के लिए 1.38 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
नए सिरे से डिजाइन किए गए स्कूल
नए सिरे से डिजाइन किए गए स्कूल ऑफ हैप्पीनेस में आठ कक्षाएं, एक कंप्यूटर लैब और हर कक्षा में इंटरेक्टिव पैनल होंगे। बैडमिंटन, क्रिकेट और फुटबॉल के लिए खेल सुविधाओं के साथ-साथ उम्र के हिसाब से उपयुक्त फर्नीचर उपलब्ध कराया जाएगा। आकर्षक और आकर्षक शिक्षण वातावरण बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इन स्कूलों में पाठ्यक्रम सरकार की मिशन समर्थ पहल के साथ संरेखित किया जाएगा, जिसमें मासिक स्वास्थ्य जांच और छात्र क्लबों का गठन शामिल है। क्रिएटिविटी को बढ़ावा देने के लिए, बच्चों को कला, संगीत और नृत्य सीखने में मदद मिलेगी। आपको बता दें, राज्य में 12,800 प्राथमिक विद्यालय है, जिसमें 48,000 शिक्षक कार्यरत हैं और प्री-प्राइमरी से ग्रेड 5 तक के 1.4 मिलियन से अधिक बच्चे पढ़ते हैं। राज्य सरकार ने इस वित्तीय वर्ष के बजट में स्कूल ऑफ हैप्पीनेस परियोजना के लिए 10 करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं और आगे के उन्नयन के लिए नाबार्ड से अतिरिक्त धन का इस्तेमाल करने की योजना बनाई है।
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