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लुधियाना/यूटर्न/3 मई। देश की राजनीति की दिशा-दशा तय करने वाले उत्तर प्रदेश में बड़ा सियासी-उलटफेर सामने आया है। लंबे वक्त तक यूपी के रास्ते केंद्र में शासन कर चुकी कांग्रेस पार्टी की बागडोर संभाल रहे गांधी-परिवार ने अपनी परंपरागत अमेठी सीट को लेकर चौंकाने वाला फैसला लिया। दो कैंडिडेट्स वाली लिस्ट जारी कर कांग्रेस के राजनीतिक-इतिहास में पहली बार गैर-गांधी राजनेता किशोरी लाल शर्मा को अमेठी से पार्टी उम्मीदवार घोषित कर दिया गया। जिनका ताल्लुक पंजाब की आर्थिक राजधानी कहलाने वाले महानगर लुधियाना से है।
बेहद विश्वासपात्र में गिने जाते हैं। भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में ही वह गांधी-परिवार की परंपरागत सीटों रायबरेली और अमेठी में चुनावी मैनेजर थे। सीधेतौर पर कहें तो फेस गांधी परिवार का होता था और दोनों सीटों पर ग्रास-रुट तक वर्करों का नेटवर्क किशोरी तैयार करते थे। जब कभी बदले सियासी माहौल में दोनों सीटों पर गांधी परिवार के सदस्य सक्रिय नहीं होते थे, तब भी लगातार वहां किशोरी उनकी नुमाइंदगी बदस्तूर करते थे। यूपी की सियासी-नब्ज पहचाने वालों की नजर में किशोरी के चुनाव मैदान में होने के बावजूद अमेठी सीट पर गांधी-परिवार की ही प्रतिष्ठा दांव पर है।
सोची-समझी रणनीति : सियासी-जानकार मान रहे हैं कि किशोरी लाल शर्मा को अमेठी से उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। मसलन, परिवारवाद के आरोप से बचने को खुद प्रियंका ने चुनाव नहीं लड़ा। जबकि राहुल को रायबरेली सीट पर भेजकर गांधी-परिवार ने अमेठी में आम वर्करों के बीच ऐसा चेहरा उतारा, जो गांधी-परिवार की गैरमौजूदगी के बावजूद उनको काफी हद तक स्वीकार हो। इस सबसे इतर, अमेठी की नस-नस से वाकिफ किशोरी के जरिए स्थानीय मुद्दे उठवाकर कांग्रेस चुनाव-प्रचार अभियान में बीजेपी को घेरने के लिए चक्रव्यूह तैयार कर सकती है।