लुधियाना वैस्ट उप चुनाव : रविवार रही कयामत की रात, बढ़ी दिलों की धक-धक, सोमवार को नतीजे

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काउंटिंग 8 बजे से, घंटे भर में पता चल जाएगा सियासी-हवा का रुख, कौन रहेगा खुश, किसको होगा दुख

लुधियाना, 22 जून। जिसका सबको था इंतजार, वो घड़ी आ गई यानि लुधियाना वैस्ट विधानसभा हल्के के उप चुनाव के नतीजे आने वाले हैं। वीरवार 19 जून को इस सीट पर मतदान हुआ था और सोमवर 23 जून को सुबह 8 बजे से मतगणना प्रक्रिया शुरु होगी। कयास है कि करीब एक घंटे बाद ही यह साफ हो जाएगा कि किस उम्मीदवार की जीत होनी है।

‘रैस्ट-डे’ में भी उड़ी रही सबकी नींद :

यहां काबिलेजिक्र है कि यह उप चुनाव कमोबेश पंजाब में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों की प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है। चर्चा है कि ऐसे में रविवार ‘रेस्ट-डे’ होने के बावजूद दिनभर ही नहीं, देर रात सभी प्रमुख दलों के उम्मीदवार, उनके नेता और वर्करों की नींद उड़ी रही। सभी अपने शुभचिंतकों और मीडियाकर्मियों को लगातार फोन पर संपर्क कर यही जानने की कोशिश करते रहे कि उनके उम्मीदवार की ‘पोजीशन’ कैसी है ?

आप की प्रतिष्ठा इसलिए है दांव पर :

दरअसल सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार संजीव अरोड़ा राज्यसभा सांसद भी हैं। जिन्होंने अपने राज्यसभा के कार्यकाल में लुधियाना ही नहीं, पंजाब भर से जुड़े जनहित के कई प्रमुख मसले हल कराए। इस उप चुनाव में उम्मीदवार बनने के बाद उन्होंने लुधियाना वैस्ट हल्के पर भी फोकस करते हुए बहुत से विकास संबंधी काम कराए। जहां अरोड़ा की इमेज के चलते उनकी जीत को लेकर समर्थक आश्वस्त हैं, वहीं इस उप चुनाव को जीतना आप के लिए भी प्रतिष्ठा का सवाल बना है। दरअसल जालंधर कैंट सीट के उप चुनाव में आप ने जीत हासिल की थी। जबकि लुधियाना वैस्ट उप चुनाव सत्ताधारी पार्टी को इसलिए भी जीतना जरुरी माना जा रहा है, क्योंकि जालंधर में ही आप विधायक रमन अरोड़ा करप्शन के मामले में अरेस्ट हो चुके थे। अब जालंधर सेंट्रल सीट पर भी उप चुनाव होना है। जबकि साल 2027 में अगले विधानसभा चुनाव में भी सत्ताधारी पार्टी आप को बेहतर प्रदर्शन करने की चुनौती है।

आशु की हार या जीत, कांग्रेस के लिए होगा बड़ी सीख :

दो बार सूबे के कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु इस उप चुनाव में पार्टी उम्मीदवार थे। हालांकि कानूनी-पचड़े में फंसने के बाद वह पार्टी की गुटबाजी के चलते एक तरह से अलग-थलग पड़े नजर आए। उन्होंने अपने और अपनी धर्मपत्नी ममता आशु और चुनिंदा नेताओं के साथ मिलकर अपना चुनाव लड़ा। पंजाब कांग्रेस की फूट इस चुनाव में जगजाहिर थी। अब चाहे आशु जीतें या हारें, दोनों सूरत में उनके खिलाफ खड़े पार्टी के नेताओं पर गाज गिरनी तय मानी जा रही है।

बीजेपी चर्चा में, इस ‘प्यार’ को क्या नाम दें ?

मतदान के दिन भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी जीवन गुप्ता एक पोलिंग स्टेशन पर खड़े थे। उसी दौरान कांग्रेसी उम्मीदवार भारत भूषण आशु वहां पहुंचे। जीवन ने बाकायदा आशु के चरण स्पर्श किए, इसे लेकर सियासी-हल्कों में चर्चाएं रहीं। हालांकि भाजपा नेताओं ने इसे पार्टी उम्मीदवार के ‘संस्कार’ का नतीजा बताया। जबकि दूसरी पार्टियों के नेताओं और वर्करों ने चुटकी लेते हुए कहा कि चुनाव में संस्कार नहीं, बल्कि राजनीतिक-युद्ध ही होता है। आखिर ऐसे में इस ‘प्यार’ को क्या नाम दें ?

शिअद के वजूद की लड़ाई :

शिरोमणि अकाली दल-बादल के लिए भी यह उप चुनाव कम महत्वपूर्ण नहीं है। दरअसल जालंधर कैंट के उप चुनाव में हार चुके शिअद के लिए लुधियाना वैस्ट उप चुनाव खुद का वजूद बचाने का एक मौका माना जा रहा बै। सियासी जानकारों के मुताबिक अगर इस चुनाव में अकालियों की हार होती है तो साल 2027 में होने वाले अगले विधानसभा इलैक्शन में उसके रिपोर्ट-कार्ड पर बड़ा नेगेटिव-मार्क लगेगा। ऐसे में उसके फिर से बीजेपी से गठबंधन की चर्चाओं पर भी विराम लग सकता है।

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