लुधियाना वेरका प्लांट में करोड़ों रुपए का स्कैम होने का मामला
लुधियाना 11 अप्रैल। वेरका मिल्क प्लांट की लुधियाना ब्रांच में 100 करोड़ रुपए का स्कैम होने की चर्चाएं लगातार शहर में छिड़ी हुई हैं। वेरका की लुधियाना ब्रांच में स्कैम होने की आशंका के चलते चार मेंबरी जांच कमेटी बैठाई गई थी। उक्त जांच कमेटी के एक मेंबर की और से अपना नाम न छापने की शर्त पर कई खुलासे किए। चर्चा है कि जांच कमेटी को जांच के लिए तय समय दिया गया था। लेकिन इस दौरान कमेटी के साथ अकाउंट्स विभाग से लेकर जीएम तक किसी ने भी सहयोग नहीं किया। जिसके चलते मजबूरन कमेटी को जीतने भी दस्तावेज दिए गए। उसी की जांच कर रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को सबमिट करनी पड़ी। लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि सरकार द्वारा ही स्कैम होने की आशंका के चलते जांच कमेटी बैठाई गई थी। जबकि सरकारी अधिकारियों द्वारा ही इसमें सहयोग नहीं दिया गया। लेकिन फिर भी कमेटी के सदस्यों ने अपने तजुर्बे के साथ ज्यादा से ज्यादा जांच करने का प्रयास किया। जिसके बाद इस 100 करोड़ के स्कैम का खुलासा हुआ। चर्चा है कि इस स्कैम में कई बड़े अधिकारी शामिल है। जिनकी और से मिलकर सरकार को चूना लगाया जा रहा है।
दस्तावेज और असेस नहीं कराया मुहैया
जानकारी के अनुसार यह जांच अक्टूबर 2024 में की गई थी। कमेटी को सिर्फ 10 दिन का समय दिया गया था। चर्चा है कि जांच के दौरान अकाउंट्स विभाग की और से कमेटी को संबंधित दस्तावेज ही नहीं दिए। यहां तक कि वेरका के अकाउंट्स से संबंधी असेस भी छिपाकर रखे गए। जिस कारण कमेटी कई खाते खंगाल ही नहीं पाई। उन्हें सिर्फ लिमिटेड दस्तावेज दिए गए। यह भी पता चला है कि कमेटी द्वारा 10 दिन रोजाना जाकर ब्रांच में जांच की गई। जबकि बार बार जीएम, अकाउंट ऑफिसर अपर अपार सिंह व सीए को दस्तावेज व असेस देने के लिए कहा गया था। लेकिन किसी ने भी दस्तावेज नहीं दिए।
सचमुच बनाई कमेटी या सिर्फ आईवॉश
वहीं लोगों में यह भी चर्चा छिड़ी हुई है कि चंडीगढ़ में बैठे सरकारी अधिकारियों द्वारा सचमुच में स्कैम का खुलासा करने के लिए कमेटी बनाई थी या सिर्फ आईवॉश करने के लिए यह पूरा प्लान तैयार किया गया। क्योंकि कमेटी को 10 दिन का समय दिया था। इतने बड़े अकाउंट्स और उनके दस्तावेजों को चैक करने में 10 दिन काफी कम है। चर्चा है कि शायद उच्च अधिकारियों को भी पता था कि इतने कम समय में जांच नहीं होगी और जिम्मेदार अधिकारी बच जाएंगे। कमेटी ने यह रिपोर्ट जीएम से लेकर चंडीगढ़ अधिकारियों को सौंपी है। लेकिन इतने महीने बीतने पर भी कोई एक्शन नहीं हुआ।
अधिकारियों को बचाने का प्रयास
चर्चा है कि जीएम, चीफ ऑडिटर, अकाउंट विभाग से लेकर उच्च अधिकारियों तक सभी को स्कैम होने का पता था। इसी कारण उन्होंने अपने कुछ अधिकारियों का बचाव करने के लिए जानबूझकर जांच कर रही कमेटी को उलझाए रखा। जिस वजह से कमेटी जांच पूरी नहीं कर सकी। चर्चा है कि इस स्कैम में कई बड़े लोगों के नाम सामने आ सकते हैं। जिस वजह से मामले को दबाया जा रहा है।
1000 करोड़ तक हो सकता है घोटाला
वहीं चर्चा है कि अधूरी जांच के बावजूद 100 करोड़ का स्कैम सामने आ गया, ऐसे में अगर जांच पूरी तरह होती है तो यह स्कैम 1000 करोड़ तक पहुंच सकता है। लोगों का कहना है कि सरकार द्वारा लोगों से टैक्स लेकर अधिकारियों को सैलरी दी जाती है। जिसके चलते इस मामले की दोबारा से जांच होनी चाहिए। क्योंकि वेरका के अधिकारी अपनी ही सरकार की कमेटी से इतना डर रहे हैं कि वे सहयोग नहीं कर रहे। जिस कारण कमेटी की जांच अधूरी ही रह गई और वे अभी तक पूरी नहीं हो सकी। जिसके चलते दोबारा जांच होनी जरुरी है।
यह अधिकारी भी शक के घेरे में
अकाउंट्स ब्रांच व ब्रांच में आने जाने वाली पेमेंट को लेकर अकेले अकाउंट ऑफिसर ही नहीं बल्कि पांच और अधिकारी भी जिम्मेदार है। जिसमें लुधियाना के ऑडिट इंस्पेक्टर जगदीप सिंह, अकाउंट इंचार्ज सीए पलक गुप्ता, चीफ ऑडिटर मनीला भांबरी, लोकल जीएम और एफसीसी अफसर अलोक शेखर शामिल है। लेकिन इनकी की और से भी इसे चैक नहीं किया गया।
यह है पूरा मामला
दरअसल, वेरका मिल्क प्लांट लुधियाना में अकाउंट ऑफिसर अपर अपार सिंह के पांच साल के कार्यकाल में सरकार को घोटाला होने की आशंका थी। जिसके चलते जांच कमेटी बैठाई गई। जिसमें तीन वेरका के अधिकारी व एक बाहरी सीए शामिल थे। उक्त कमेटी ने जांच के दौरान कई गलत एंट्रियां पकड़ी, जबकि और भी कई घोटालों का खुलासा किया। लेकिन इस दौरान अकाउंट ऑफिसर अपर अपार सिंह व अन्य अधिकारियों ने अपना बचाव करने को कई दस्तावेज ही नहीं दिए। लेकिन फिर भी जितनी जांच हुई, उसमें करीब 100 करोड़ का हेरफेर सामने आया। अब अपर अपार सिंह रिटायर्ड हो चुके हैं। जबकि बाकी अधिकारी अपना बचाव करने को सिफारिशें लगाने में जुटे हैं। हालांकि मामले संबंधी मिल्कफेड के एमडी राहुल गुप्ता और चेयरमैन नरिंदर शेरगिल से संपर्क किया। लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।