निगम ने एक हजार करोड़ किए खर्च, फिर भी स्वच्छता अभियान में नीचे से दूसरे पायदान पर क्यों ?
लुधियाना, 22 जुलाई। पंजाब में कभी इंडस्ट्रियल सिटी लुधियाना को बड़े जोर-शोर से स्मार्ट सिटी बनाने का दावा किया गया था। अफसोसनाक पहलू, आज वहीं लुधियाना स्वच्छता अभियान में 40 शहरों की सूची में 39वें नंबर पर आया है। अब शहरी सवाल कर रहे हैं कि आखिर एक हजार करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद सफाई मुहिम में हम कैसे पिछड़ गए ?
एक सफाई सेवक के हिस्से में नामभर का हिस्सा !
यहां गौरतलब पहलू है कि लैंड पूलिंग मुद्दे पर लुधियाना में लगातार विरोध प्रदर्शन करने वाली विपक्षी पार्टियों ने ही दावा किया कि पूरा लुधियाना करीब 43 हजार एकड़ में बसा है। उसमें से महज 20 फीसदी जगह में पार्क और सड़कें हैं। जहां निगम के सफाई कर्मियों को सफाई करनी होती है। लिहाजा शहर में एक सफाई सेवक को दिनभर में सिर्फ 275 गज जगह करनी होती है।
शहरियों का सवाल, हम क्यों हों बेहाल :
(कोट्स)—–
–लार्क निटवेयर के मालिक टिकन बैंबी ने सवाल किया कि आखिर एक हजार रुपये नगर निगम ने कहां खर्च कर दिए। आखिर शहर में इतनी गंदगी क्यों है।
–अपैक्स के प्रवक्ता राहुल आहूजा ने कहा कि इस मामले में महानगर लुधियाना के सभी विधायकों की जवाबदेही बनी है। जनता का यही सवाल है कि सैकड़ों करोड रुपये खर्च कहां हुए ?
–अपैक्स चैंबर के प्रमुख रजनीश आहूजा ने दोटूक कहा कि यह सब फर्जीवाड़ा है। हजारों सफाई सेवक होने के बावजूद अगर हम स्वच्छता मुहिम में पिछड़े हैं तो यह चिंताजनक पहलू है।
–प्लास्टिक इंडस्ट्री के प्रमुख मनकर गर्ग ने तो छूटते ही कहा कि खुली लूट है। महानगर में सफाई के नाम पर कुछ नहीं हो रहा। निगम प्रशासन को इंदौर से सबक लेना चाहिए।
–बहादुरके डाइंग एसोसिएशन के प्रवक्ता नवकार बिट्टू ने बेबाकी से कहा कि यह बदतर स्थिति है। प्रशासन के साथ ही जनप्रतिनिधि इसके लिए जवाबदेह हैं। शहरी बेवजह सजा भुगत रहे हैं।
–रियल एस्टेट कारोबारी प्रकाश अरोड़ा ने कहा कि शहर के हालात बद से बदतर हो चुके हैं। बरसात ने निगम प्रशासन के सफाई अभियान की पोल खोल दी है। आने वाले दिनों में स्थिति और चिंताजनक हो सकती है।
–ज्यूलरी एसोसिएशन के महासचिव मनोज ढांडा ने तो सीधा इलजाम लगाया कि यह कार्पोरेशन नहीं, बल्कि करप्शन का गढ़ है। अपने जीवन में पहली बार ऐसे बदतर हालात देखने पड़ रहे हैं। सीवरेज, सफाई समेत जनता को कोई भी बुनियादी सुविधा नहीं मिल रही है।
–फोप्सिया के चेयरमैन बदीश जिंदल ने सीधेतौर पर कहा कि यह राज्य सरकार के प्रतिनिधियों और निगम प्रशासन में ‘लैक ऑफ कॉर्डिनेशन’ का नतीजा है। इस पर जनप्रतिनिधियों को गंभीरता से विचार करना होगा।
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