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लोस चुनाव काउंट-डाउन : अभी मुद्दों की तलाश

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पंजाब में कहीं एक बड़ा चुनावी मुद्दा न बन जाए , सीएम के जिले से शुरु जहरीली शराब का कहर

लुधियाना 24 मार्च। जिस तरह से पंजाब में लोकसभा चुनाव का काउंट-डाउन जारी है, ऐसे में अभी तक कमोबेश सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के पास कोई बड़ा मुद्दा नजर नहीं आ रहा। ऐसे हालात में संगरुर और सुनाम में जहरीली शराब के चलते मौतों का सिलसिला जारी होने से विपक्षी पार्टियां इस मामले में राज्य सरकार पर हमलावर हैं। जबकि सूबे में सत्ता की कमान संभाल रही आम आदमी पार्टी इस मुद्दे को लेकर बैकफुट पर नजर आ रही है और तेजी से डैमेज-कंट्रोल में जुटी है।

डैमेज-कंट्रोल की कमान संभाल रहे मान : जाहिर है कि चुनावी माहौल में आप यह कतई नहीं चाहेगी कि विपक्षी पार्टियों को बैठे-बिठाए उसके खिलाफ कोई सॉलिड मुद्दा मिल जाए। शायद इसके मद्देनजर ही अब मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मुहिम डैमेज-कंट्रोल की कमान खुद संभाल ली है। वह बाकायदा अपनी सरकार के वित्त-मंत्री हरपाल सिंह चीमा को साथ लेकर अपने गृह-जिले संगरुर में जा पहुंचे। यहां गौरतलब है कि यहां जहीरीली शराब का सबसे ज्यादा कहर बरपा है।

पुलिस दौड़ा दी शराब तस्करों के पीछे : विपक्ष द्वारा तैयार किए जा रहे इस मुद्दे की धार कुंद करने की मंशा से ही मान सरकार ने दूसरे फ्रंट पर पुलिस प्रशासन को डटा दिया है। एकाएक पुलिस टीमें सतलुज दरिया से लेकर तमाम नहरों की ब्रांच के किनारों पर छापामारी में जुट गई हैं, जहां भी इललीगल तरीके से देसी यानि जहरीली शराब तैयार होती है। फिलवक्त इसका सीधा मकसद यही है कि जहरीली शराब से मौतों के कारण पंजाब की जनता में फैले रोष को किसी तरह ठंडा किया जा सके। ताकि विपक्षी पार्टियां जनता को साथ जोड़कर कहीं आप सरकार के खिलाफ इस मुद्दे पर कोई आंदोलन न खड़ा कर दें। साथ ही इस मुद्दे पर विपक्ष के हमलों के जवाब में सरकार कह सके कि उसने पूरी गंभीरता से कार्रवाई की है।

 

विपक्षी पार्टियां बयानबाजी तक ही सीमित : बेशक इस गंभीर मुद्दे पर कतई देरी नहीं की, लेकिन राज्य की सत्ताधारी पार्टी को घेरने के लिए उनकी कवायद बस बयानबाजी तक ही सीमित है। फिलहाल तक कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल या भारतीय जनता पार्टी ने कोई ठोस पहल नहीं की। मसलन, सरकार को तकनीकी तरीके से घेरने के लिए जनता के बीच जाकर आंदोलन का माहौल बनाने की जहमत तक नहीं उठाई। फिलहाल तक किसी विपक्षी पार्टी ने इस गंभीर मुद्दे पर अदालत का रुख नहीं किया। ऐसे में सूबे की मान सरकार जाहिरतौर पर राहत महसूस कर रही होगी।

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