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लोकसभा चुनाव 2024 : कुछ ऐसी है फतेहगढ़ साहिब की सियासी-तस्वीर

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इस 9 विस हल्के वाली सीट से कांग्रेसी सांसद हैं अमर सिंह

साल 2009 में कांग्रेस तो 2014 में आप ने किया था कब्जा

खन्ना, मंडी गोबिंदगढ़ और पायल आते हैं इसके दायरे में

खन्ना, मंडी गोबिंदगढ़ 19 मार्च। सूबे में साल 2008 में नई हदबंदी के बाद ही फतेहगढ़ साहिब लोकसभा सीट वजूद में आई थी। यह एक आरक्षित सीट है। इसके दायरे में कुल 9 विधानसभा हल्के बस्सी पठाना, फतेहगढ़ साहिब, अमलोह, खन्ना, समराला, साहनेवाल, पायल, रायकोट, अमरगढ़ आते हैं। इनमें से तीन हल्के रायकोट, पायल और बस्सी पठाना दलित समुदाय के लिए रिजर्व हैं। यहां काबिलेजिक्र है कि जीटी रोड से जुड़ा मंडी गोबिंदगढ़ इंडस्ट्रियल एरिया है। जबकि खन्ना हल्के से भूतपूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पौत्र गुरकीरत सिंह कोटली विधायक व राज्य सरकार में मंत्री रहे थे। जबकि पायल हल्के में ही स्व.बेअंत सिंह का गांव कोटली यानि कोटला अफगाना है।

गौरतलब पहलू है कि फतेहगढ़ साहिब सीट 2009 ही में वजूद में आई थी, लिहाजा अब तक यहां से महज तीन सांसद चुने गए। दो बार यह सीट कांग्रेस के खाते में आई। पहले लोस चुनाव 2009 में कांग्रेस से सुखदेव सिंह लिबड़ा और 2019 में अमर सिंह इस सीट से चुनाव जीतकर सदन पहुंचे। जबकि साल 2014 में इस सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार हरिंदर सिंह खालसा जीते थे। साल 2019 के चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस के अमर सिंह और शिरोमणि अकाली दल के दरबारा सिंह गुरू के बीच सीधी टक्कर रही थी।

हदबंदी के बाद हुए उलटफेर : साल 2008 में लोकसभा और विधानसभा की सीटों की हदबंदी से पहले अमलोह, खन्ना और समराला विधानसभा के हिस्से रोपड़ में लगते थे। जबकि पायल सीट लुधियाना में और रायकोट सीट संगरूर में लगती थी। बस्सी पठान, फतेहगढ़ साहिब, अमरगढ़ और साहनेवाल विधानसभा सीटें 2008 ही में वजूद में आईं। फतेहगढ़ साहिब लोकसभा सीट से जीतने वाले उम्मीदवार को लगभग 4 लाख वोट मिलते रहे हैं। फतेहगढ़ साहिब सीट के दायरे में पूरा फतेहगढ़ साहिब जिला है। जबकि संगरूर जिले के भी कुछ इलाके इसके साथ जुड़े हैं।

इस सीट की खासियतें : सरकारी आकंड़ों के मुताबिक इस सीट की साक्षरता दर करीब 71 फीसदी है। साल 2011 की आबादी के अनुसार इस सीट पर लगभग 5 लाख मतदाता अनुसूचित जाति के हैं। इन मतदाताओं की कुल आबादी 33 फीसदी के करीब है। वहीं, शहरी और देहात आबादी के हिसाब से देखा जाए तो 2011 में इस सीट पर 70 फीसदी ग्रामीण और 30 फीसदी शहरी मतदाता हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव के आंकड़ों के हिसाब से इस सीट पर तकरीबन 15 लाख मतदाता थे। तब लोस चुनाव में लगभग 65 फीसदी वोटिंग हुई थी।

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