लोन-धोखाधड़ी : ईडी ने रिलायंस समूह के अध्यक्ष अनिल अंबानी को 5 अगस्त को किया है तलब

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जांच एजेंसी ने इस मामले से जुड़ी 50 से ज़्यादा कंपनियों और 25 से ज़्यादा व्यक्तियों के ठिकानों पर की थी रेड

चंडीगढ़, 1 अगस्त। प्रवर्तन निदेशालय यानि ईडी ने रिलायंस समूह के अध्यक्ष अनिल अंबानी पर कथित 3,000 करोड़ रुपये के बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में शिकंजा कस दिया है। इस धन शोधन घोटाले के सिलसिले में पूछताछ के लिए उनको 5 अगस्त को तलब किया है।

गौरतलब है, इससे पहले 24 जुलाई को ईडी ने इस मामले से जुड़ी 50 से ज़्यादा कंपनियों और 25 से ज़्यादा व्यक्तियों के ठिकानों पर रेड की थी। जांच एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, धन शोधन की यह जांच सीबीआई द्वारा दर्ज मामलों और राष्ट्रीय आवास बैंक, सेबी, राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण व बैंक ऑफ बड़ौदा जैसी अन्य संस्थाओं द्वारा साझा जानकारी पर आधारित थी।

ईडी के अनुसार, जांच में धोखाधड़ी के ज़रिए जनता के धन के अवैध रूप से गबन से जुड़ी एक सुनियोजित योजना का पर्दाफ़ाश हुआ है। जिसमें कथित तौर पर बैंकों, शेयरधारकों, निवेशकों और अन्य वित्तीय संस्थानों के साथ धोखाधड़ी शामिल है। एजेंसी यस बैंक के अधिकारियों, जिनमें इसके प्रमोटर भी शामिल हैं, से जुड़े रिश्वतखोरी के आरोपों की भी जांच कर रही है। प्रारंभिक निष्कर्षों से पता चलता है कि 2017 और 2019 के बीच यस बैंक से लगभग 3,000 करोड़ रुपये के ऋण अवैध रूप से डायवर्ट किए गए थे।

ईडी ने पाया है कि इन ऋणों को स्वीकृत करने से ठीक पहले, यस बैंक के प्रवर्तकों से जुड़ी संस्थाओं को बड़ी संख्या में वित्तीय हस्तांतरण प्राप्त हुए, जिससे एक लेनदेन की आशंका बढ़ गई है। अधिकारी ने कहा, ऋण स्वीकृति प्रक्रिया में घोर उल्लंघन पाए गए हैं। क्रेडिट अप्रूवल मेमोरेंडम कथित तौर पर पिछली तारीख के थे। जो बिना किसी उचित जांच-पड़ताल के निवेश प्रस्तावित किए, ये बैंक की ऋण नीति का स्पष्ट उल्लंघन है।

अधिकारी के अनुसार, सेबी ने रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड के संबंध में ईडी के साथ अपनी टिप्पणियां साझा की हैं। जहां एजेंसी ने कॉर्पोरेट ऋणों में भारी वृद्धि की ओर इशारा किया है। इसी बीच, 24 जुलाई को जब ईडी ने छापेमारी की तो समूह की दो कंपनियों, रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने स्टॉक एक्सचेंज को सूचित किया कि वे कार्रवाई को स्वीकार करते हैं। हालांकि छापों का उनके व्यावसायिक संचालन, वित्तीय प्रदर्शन, शेयरधारकों, कर्मचारियों या किसी अन्य हितधारक पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने पहले भी अलग-अलग बयानों में स्पष्ट किया था कि वे अलग और स्वतंत्र सूचीबद्ध संस्थाएं हैं। जिनका आरकॉम या आरएचएफएल से कोई व्यावसायिक या वित्तीय संबंध नहीं है।

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