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आइए ! सीखे जीवन जीने का ढंग…

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आपके लिये अत्यंत महत्वपूर्ण !

 

यदि कोई व्यक्ति कलात्मक ढंग से जीता है तो उसका जीवन बहुत सार्थक और सफल बन जाता है। यदि वह जीवन जीने की कला को नहीं जानता तो उसका जीवन नीरस, बोझिल और निरर्थक हो जाता है। इसके लिए आवश्यक है जीवन में सकारात्मक सोच रखना। जीवन के प्रति हर क्षण जागरूक होना। याद रखें कि दुनिया में सिर्फ दो ही व्यक्ति संपूर्ण हैं। एक मर चुका है, दूसरा अभी पैदा नहीं हुआ है। प्रसिद्धि एवं धन उस समुद्री जल के समान हैं, जितना ज्यादा हम पीते हैं, उतना ही प्यासे होते जाते हैं। जीवन में जितनी अपेक्षाएं बढ़ती हैं, उतने ही दुख भी बढ़ जाते हैं।

हम सब जीवन में कुछ बड़ा करना चाहते हैं। कुछ ऐसा, जिससे अलग पहचान बन सके। यह चाहते सब हैं, पर कामयाब बहुत कम ही हो पाते हैं। कारण कि हम खुद को पूरी तरह अपने काम में डुबो नहीं पाते। हम यह नहीं जानते कि हम क्या बन सकते हैं। कुछ बड़ा करने के लिए जरूरी है कि हम ध्यान भटकाने वाली चीजों से दूर रहें। इसके लिए अपने लक्ष्य पर ध्यान होना बेहद जरूरी है।

जीवन में अच्छा या बुरा, सब कुछ घटित होता रहता है। मूल बात है कि आप क्या सोच रहे हैं? अपने सोच के अलावा किसी और चीज पर हमारा काबू भी नहीं होता। हमारे ज्यादातर दुख हमारी अपनी उम्मीदों से पैदा होते हैं। हम खुद से बहुत सारी उम्मीदें लगा लेते हैं। इनमें से भी कई जमीन से न जुड़कर ख्याली होती हैं। इसी कारण एक बार असफल होने पर हम दोबारा कोशिश नहीं करते।

वर्तमान जीवनशैली के चलते हमारे जीवन में भागदौड़, अनचाही प्रतिस्पर्धा, हड़बड़ी आदि कई ऐसे नकारात्मक तत्व समा गए हैं, जो जीवन को कठिन बना रहे हैं। शरीर स्वस्थ रहे, यह जीवन का पहला लक्ष्य है। दूसरा लक्ष्य है मन स्वस्थ रहे, प्रसन्न रहे। तीसरा लक्ष्य है भावनाएं स्वस्थ रहें, निर्मल रहें। निषेधात्मक विचार न आएं, मैत्री और करुणा का विकास होता रहे। ये सब जीवनरूपी उद्यान को हरा-भरा बनाने के लिए जरूरी हैं। – ललित गर्ग

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