स्मार्ट सिटी @ स्मार्ट फ्रॉड : रेरा जैसे कानून छींके पर टांग बिना मंजूरी बैंक में गिरवी जमीन फ्लैट्स बनाने को बुक की

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ग्लाडा, पुडा और निगम जैसी सरकारी संस्थाएं तमाशबीन, लोगों से ठगी करने वाले चला रहे रिएल एस्टेट गोरखधंधा

लुधियाना 2 जुलाई। रियल एस्टेट सैक्टर में धांधलियां रोकने के लिए रेरा जैसा कानून बनाया गया था। हालांकि इस सैक्टर को बदनाम कर रहे शातिर जालसाज रेरा जैसे कानूनों को छींके पर टांगकर सरेआम अपना गोरखधंधा चला रहे हैं। ऐसे में ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए बने रेरा जैसे कानून बेमानी साबित हो रहे हैं। जबकि इस सैक्टर में निगरानी करने वाली ग्लाडा, पुडा, नगर निगम और इंप्रूवमेंट ट्रस्ट जैसी संस्थाएं मूकदर्शक ही नजर आ रही हैं। नतीजतन, रियल एस्टेट सैक्टर में सौ में से 95 मामलों में साथ ठगी हो रही है। ऐसी चर्चाएं बाजार में आम हैं।
इसी तरह की ताजा मिसाल एक चर्चित मामले के तौर पर सामने आई है। जानकार बताते हैं कि महानगर के साउदर्न बाइपास इलाके में एक जगह बैंक में गिरवी पड़ी है। जिस जगह के एवज में करोड़ों रुपये का लोन लिया गया था। हैरानी की बात यह है कि रेरा जैसी मानिट्रिंग करने वाली किसी सरकारी संस्था से मंजूरी तक नहीं ली गई और इस जगह पर सैकड़ों फ्लैट बेच दिए गए।
एक्सपर्ट ने भी किए अहम खुलासे : इन मामलों के कानूनी-एक्सपर्ट आदित्य जैन एडवोकेट ने नए चर्चित मामले में अहम खुलासे किए। उन्होंने माना कि साउदर्न बाइपास पर स्कूल के नजदीक ऐसी एक बैंक में गिरवी जमीन को बिना किसी एप्रूवल बेचने को उनके क्लाइंट से डील की गई थी। बेशक उस जमीन पर बहुत बड़ा लोन लिया गया था। हालांकि मालिकों ने इस बात का डील के दौरान खुलासा नहीं किया था। बाद में कुछ तकनीकी समस्याएं आईं तो कई खुलासे हुए और उनके क्लाइंट कोर्ट चले गए। मामला अदालत में विचाराधीन होने के कारण फिलहाल इस मामले में ज्यादा डिटेल बता पाना मुमकिन नहीं है।
उन्होंने कहा कि पड़ताल के दौरान यह भी पता लगा कि जमीन के मालिकों ने ग्लाडा और रेरा की एप्रूवल के बिना वहां एक इललीगल प्रोजेक्ट शुरु करने की कोशिश की थी। अब हमारे क्लाइंट ने कोर्ट के जरिए यह स्टे मांगा है कि इस जमीन की उनके साथ डील हो चुकी है। लिहाजा वहां कोई प्रोजेक्ट मंजूर न होने पाए। जब हमारे क्लाइंट ने डील की थी तो यह कोई ज्वाइंट-वैंचर नहीं था, बल्कि आउट-राइट परचेज थी। हमारे क्लाइंट तो वहां बाकायदा मंजूरी लेकर लीगली कोई प्रोजेक्ट वहां शुरु करना चाहते थे। इस बात में कोई शक नहीं कि उस जगह जमीनों की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं, लिहाजा रियल एस्टेट के कारोबार में शामिल कुछ लोगों की नीयत में फर्क भी आया है। उन्होंने यह भी माना कि इस केस में रिच-विला इंफ्रा नाम से एक पार्टी शामिल है।
पांच एकड़ जगह नामी स्कूल के पास : एक्सपर्ट ने भी यह संकेत दिए कि यह विवाद जगह करीब पांच एकड़ में फैली है। जबकि एक नामी स्कूल के करीब में ही बाईं तरफ है। गौरतलब है कि कोर्ट-मैटर होने के बावजूद कानूनी-दायरे में रहते हुए ‘यूटर्न टाइम’ ने एक्सपर्ट के जरिए ये संकेत इसलिए ही दिए हैं, ताकि अनजाने कोई भी शख्स उस विवादित जमीन के चलते ठगी का शिकार न हो जाए।
एक्सपर्ट ने दी अहम सलाह : एक्सपर्ट एडवोकेट जैन ने लोगों को सुझाव दिया कि रियल एस्टेट सैक्टर में कोई भी डील करते वक्त खास एहतियात बरतें। खासकर बायर के टाइटल के जरिए उसके बारे में डिटेल पता लगाएं। जो उनको सब्जबाग दिखाकर प्रोजेक्ट बेच रहा है, क्या वाकई वह उसका कानूनन हकदार भी है या नहीं। क्या उसके पास ग्लाडा या रेरा की मंजूरी हासिल है। दरअसल रेरा जैसे कानून कोलोनाइजरों पर बोझ डालने के लिए नहीं, बल्कि खरीदारों के हकों की हिफाजत के लिए ही बने हैं। बेशक, ऐसी धोखधड़ियां रोकने के लिए कानूनी-एक्सपर्ट की मदद और अदालतों की शरण ली जा सकती है, फिर भी ऐसी नौबत ही क्यों आने दी जाए, खुद सतर्क-सुरक्षित रहें।
विवादित जगह के असल मालिक : एडवोकेट जैन के मुताबिक दस्तावेजी सबूतों के अनुसार रिट्जी प्रोपर्टी डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी इस जायदाद का मालिकाना हक रखती है। जबकि इसके प्रमोटर्स या कहें डायरेक्टरों में विकास सिंगला, उनकी पत्नी साक्षी सिंगला और अन्य कुछ लोग शामिल हैं।
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