खुसर-पुसर : लुधियाना वैस्ट के मुद्दे छोड़ केजरीवाल को क्यों चुनौती देने लगे आशु ?

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चर्चा, शिअद की जमीन बचाने में जुटे सुखबीर की ‘सियासी-कमान’ में नहीं बचे पहले जैसे सियासी-तीर

लुधियाना, 13 जून। उल्टी-गिनती शुरु होने के साथ ही लुधियाना वैस्ट हल्के के उप चुनाव को लेकर चर्चाओं का बाजार भी गर्माया हुआ है। अब सभी प्रमुख दलों के उम्मीदवारों और स्टार प्रचारकों की ‘सियासी-चाल’ पर नजर रखने वाले वोटर और उनके पार्टी वर्करों के बीच भी खुसर-पुसर तेज हो गई है।

आशु का फोकस अचानक बदलने से चर्चाएं :

लुधियाना वैस्ट से ही दो बार चुनाव जीतकर सूबे की कांग्रेस में कैबिनेट मंत्री रहे भारत भूषण आशु पहले प्रचार के दौरान विकास के मुद्दे पर फोकस कर रहे थे। अब अचानक उन्होंने राष्ट्रीय नेताओं-स्टार प्रचारकों के अंदाज में सीधे आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल पर सियासी-हमला बोल दिया। उन्होंने केजरीवाल से सीधे तीन सवाल किए। पहला, अगर 23 जून के बाद आप उम्मीदवार संजीव अरोड़ा चुनाव हार गए तो क्या आप उनको राज्यसभा मेंबर बने रहने की इजाजत दोगे या नहीं ? दूसरा अगर चुनाव हारने के बाद संजीव अरोड़ा को मजबूर करके इस्तीफा लिया तो उनकी जगह आप खुद या किसी गैर-पंजाबी को राज्यसभा भेजोगे ? तीसरा, अगर आप पंजाब से राज्यसभा चले गए तो क्या खुद का नाम पंजाब में बतौर वोटर दर्ज कराएंगे ? खुद कांग्रेसी चर्चा कर रहे हैं कि आशु वैस्ट हल्के में विकास कार्य कराने के दावे करते रहे हैं, इसी मुद्दे पर वह सत्ताधारी पार्टी आप के साथ ही बाकी प्रमुख विपक्षी दलों को घेरते तो ज्यादा बेहतर होता।

अकाली दल का वजूद बचाने को बेचैन सुखबीर !

शिअद उम्मीदवार परउपकार सिंह घुम्मन के चुनाव प्रचार के लिए पार्टी सुप्रीमो सुखबीर सिंह बादल लगातार लुधियाना आ रहे हैं। हालांकि इस उप चुनाव से पहले उन्होंने इस सबसे अहम जिले को एकतरह से इग्नोर कर रखा था। ऐसे सियासी जानकार ही नहीं, पार्टी वर्कर भी चर्चा कर रहे हैं कि हकीकत में सुखबीर पार्टी का वजूद बचाने की कवायद कर रहे हैं। चुनावी नतीजों के बारे में तो मंझे राजनेता होने के नाते उनको भी बेहतर तरीके से पता है।

जाखड़ से लेकर बीजेपी उम्मीदवार चिंतित !

भाजपा प्रत्याशी जीवन गुप्ता के चुनाव प्रचार की कमान पूरी गंभीरता से पूर्व सीएम विजय रुपाणी संभाल रहे थे। गत दिवस विमान हादसे में पंजाब के पार्टी प्रभारी रुपाणी के निधन के बाद इस वक्त पार्टी की चिंताएं बढ़ गई हैं। चर्चाओं के मुताबिक भाजपा प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ को अब प्रचार के लिए बचे चंद दिनों में पूरी ताकत झोंकनी पड़ेगी। जाहिर है कि पार्टी प्रत्याशी जीवन गुप्ता भी इस चुनौती से चिंतित होंगे। चर्चाओं पर भरोसा करें तो केंद्रीय राज्यमंत्री रवनीत सिंह बिट्‌टू भी उस शिद्दत से पार्टी उम्मीदवार का प्रचार नहीं कर पाए, जैसा खुद अपने चुनाव में कर चुके थे।

आप की चुनौती, इमेज-बिल्डिंग कायम रखने की :

आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार संजीव अरोड़ा सबसे पहले उम्मीदवार घोषित हुए थे। लिहाजा उनके चुनाव प्रचार में खुद आप सुप्रीमो केजरीवाल के साथ सीएम भगवंत सिंह मान ने पूरी ताकत झोंकी। हद ये कि इन दोनों बड़े नेताओं ने भी  अरोड़ा की इमेज बिल्डिंग कुछ इस तरह बनाई कि अरोड़ा के लिए उसे कायम रखना एक चुनौती बन गया है। चर्चाओं पर भरोसा करें तो इसी को लेकर चिंतित अरोड़ा प्रचार के अंतिम दौर में भी लगातार पूरी गंभीरता से जोर लगा रहे हैं।

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