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खन्ना : हरियाणा सरकार ने चुनिंदा किसान नेताओं के साथ साजिशन रखी है मीटिंग, डल्लेवाल का आरोप

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किसान नेता ने दी चेतावनी, सभी 12 मांगों को माने सरकार, वरना उनका संघर्ष लगातार चलता रहेगा

खन्न 21 जुलाई। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश पर भी हरियाणा सरकार ने बॉर्डर नहीं खोला, लिहाजा इसे लेकर किसान खफा हैं। अब दिल्ली की तरफ कूच कर रहे किसानों से साथ हरियाणा सरकार की मीटिंग चर्चा में है। जिसे लेकर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने सैनी सरकार पर बड़ा इलजाम लगाया।
खन्ना में डल्लेवाल का वीडियो जारी किया गया। जिसमें वह हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी पर निशाना साध रहे हैं। उन्होंने सैनी सरकार के साथ मीटिंग में जाने वाले अपने साथी किसान नेताओं से भी अपील की कि वे सरकार के किसी झांसे में आकर संघर्ष को कमजोर ना करें। अपनी एकता का सबूत दें। डल्लेवाल ने सवाला किया कि हरियाणा सरकार कुछ नेताओं से मीटिंग करने जा रही है। लंबे समय से किसानों का संघर्ष जारी है। शंभू बार्डर पर लगातार धरना दिया जा रहा है। तब से सरकार क्यों नहीं जागी ?
उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने ही उन्हें दिल्ली जाने से रोक रखा है। इससे पहले जब किसान सरकार के नुमाइंदों को ज्ञापन दे रहे थे, तब सरकार ने मीटिंग क्यों नहीं रखी। अब हरियाणा में चुनाव हैं। ऊपर से हाईकोर्ट ने सख्त फैसला सुनाया है। इसके डर से किसान यूनियनों को झांसे में लेकर हरियाणा सरकार नई साजिश रच रही है।
डल्लेवाल ने दोटूक कहा कि किसान नेताओं को अब बगैर किसी चर्चा के सिर्फ इस बात पर जोर देना चाहिए कि उनकी मांगों को पूरा करो। हरियाणा सरकार अपने प्रदेश के किसानी मसले तो हल कर सकती है। इससे पूरे देश में किसानों का आंदोलन नहीं रुकेगा। उन्होंने कहा कि फसलों पर एमएसपी को यकीनी बनाना, स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करने सहित किसान मजदूरों की सभी 12 मांगों को बिना शर्त पूरा किया जाना चाहिए।
डल्लेवाल ने कहा कि यह चर्चा है कि हरियाणा सरकार ने कुछ यूनियनों के नुमाइंदों को मीटिंग में बुलाया है। पहली बात को यह है कि किसान नेताओं को एकता का सबूत देना चाहिए। संयुक्त किसान मोर्चे का फैसला लेकर ही मीटिंग में जाना चाहिए। अगर फिर भी कोई नुमाइंदा मीटिंग में जाता है, तो सबसे पहले हरियाणा सरकार से शुभकरण की शहादत का जवाब मांगना चाहिए। किसानों पर गोलियां बरसाने वाले पुलिस अधिकारियों को सम्मानित करने की सिफारिश को रद कराना चाहिए। ऐसे अधिकारियों खिलाफ कार्रवाई की मांग की जानी चाहिए।
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