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कविता : आया है शिव मास सखी री

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आर.सूर्य कुमारी

आया है शिव मास सखी री ,
आया है शिव मास ।

आसमान पर बादल मंडराए ,
रिमझिम – रिमझिम पानी बरसाए
जगत की शिलाओं का —
होता है अभिषेक सखी री ,
होता है अभिषेक ।

आया है शिव मास सखी री ,
आया है शिव मास।

हरियाली में जग सारा है डूबा ,
बागों में हरी बालाओं का डेरा ।
हरा – हरा आंचल उड़ता है ,
उड़ता है अतिरेक सखी री ,
उड़ता है अतिरेक।

आया है शिव मास सखी री,
आया है शिव मास।

सावन में शिव जी यों आए ,
नाच-नाच जग को भरमाए ।
मानों शिवालयों पर —
जग दृष्टि है अनिमेष सखी री ,
जग दृष्टि है अनिमेष।

आया है शिव मास सखी री —
आया है शिव मास ।

जग बेलपत्र और जल चढ़ाए ,
इतने में प्रभु आनंदित हो जाएं ।
मानों मंदिर के द्वार पर —
न दिखता भूमि अवशेष सखी री,
न दिखता भूमि अवशेष।

आया है शिव मास सखी री,
आया है शिव मास ।(विनायक फीचर्स)

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