कांवड़ यात्रा ‘नेमप्लेट’ पर फंसी भाजपा,अपनों’ के भी तेवर बदले, योगी सरकार को दे डाली नसीहत

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दिल्ली/यूटर्न/20 जुलाई: यूपी में कांवड़ यात्रा नेमप्लेट को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया। मुजफरनगर पुलिस प्रशासन ने सबसे पहले कांवडिय़ों के मार्गों पर स्थित होटलों, ढाबों और रेस्टोरेंट समेत भोजनालयों पर नेमप्लेट लगाने का आदेश दिया। इसके बाद योगी सरकार ने इसे पूरे प्रदेश में लागू कर दिया। भाजपा सरकार अब अपने ही आदेश में फंसती नजर आ रही है। इसे लेकर विपक्ष के साथ अपनों के भी तेवर बदल गए और उन्होंने योगी सरकार को नसीहत दे डाली। वहीं ढाबा संचालकों का आरोप था कि आदेशों के साथ धमकी दी गई कि अगर इन आदेशों को नही माना तो ढाबे बंद करवा दिये जायेगे। इसके अलावा विप्क्ष ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि धर्म के नाम पर भाजपा लोगों को बांट रही है जो संविधान के खिलाफ है।
विपक्ष ने नेमप्लेट को लेकर योगी सरकार पर जमकर निशाना साधा। जहां विपक्ष के नेताओं ने नेमप्लेट के आदेश को विभाजनकारी बताया तो वहीं एनडीए के घटक दलों ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया। सीएम नीतीश कुमार की पार्टी आरजेडी, चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) और जंयत चौधरी की आरएलडी ने दुकानों के बाहर नेमप्लेट लगाने को गलत बताया।
जानें जेडीयू ने क्या कहा?
जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने योगी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि इस फैसले से मुस्लिमों की पहचान उजागर होगी और लोग उनसे सामान नहीं खरीदेंगे। इस तरह का आर्थिक बहिष्कार सही नहीं है। योगी सरकार का यह आदेश मोदी सरकार के मंत्र ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के विरुद्ध है। उन्होंने सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की। केसी त्यागी ने कहा कि यूपी से बड़ी कांवड़ यात्रा बिहार में निकली है, लेकिन नीतीश सरकार ने कभी ऐसा आदेश नहीं दिया।
योगी सरकार के फैसले से आरएलडी भी नाराज
आरएलडी के यूपी अध्यक्ष रामाशीष राय ने नेमप्लेट लगाने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि योगी सरकार को अपना फैसला वापस लेना चाहिए, क्योंकि यह निर्णय गैर-संवैधानिक है। इससे संप्रादायिकता को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस प्रकार से भेदभाव और एक समुदाय के बहिष्कार से न तो राज्य का भला होगा और न ही भाजपा का।
चिराग पासवान ने जताई आपत्ति
एलजेपी के चीफ और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने खुलकर नेमप्लेट का विरोध किया। उन्होंने कहा कि वे जाति या धर्म के नाम पर किसी भी भेदभाव को सपोर्ट नहीं करते हैं। समाज में पहले से अमीर-गरीब दो वर्गों में बंटे हैं। इस खाई को भी पाटने की जरूरत है।
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