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कंगना ने भाजपा को कसूता फंसाया,भाजपा ने भी बनाई दूरी: पार्टी के मुद्दों पर बोलने को अधिकृत नही

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हरियाना /यूटर्न/25 सितंबर: बीजेपी ने एक बार फिर कंगना रनौत के बयान से दूरी बना ली है। दरअसल कंगना ने तीन विवादित कृषि कानूनों को फिर से लाने की मांग की थी, इसके बाद ही पार्टी ने बयान जारी करते हुए कहा कि कंगना रनौत पार्टी से जुड़े मुद्दों पर बोलने के लिए अधिकृत नहीं हैं। जिस कारण बीच हरियाना चुनावों में भाजपा कसूती फंसती नजर आ रही है। पार्टी की ओर से जारी बयान में बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि सोशल मीडिया पर केंद्र सरकार द्वारा वापस ले लिए गए कृषि कानूनों से जुड़ा एक बयान वायरल हो रहा है। मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि यह कंगना रनौत का निजी बयान है। कंगना रनौत पार्टी की ओर से आधिकारिक बयान देने के लिए अधिकृत नहीं हैं। उनका बयान कृषि कानूनों पर पार्टी का नजरिया नहीं है। हम इस बयान की निंदा करते हैं। इससे पहले 24 सितंबर मंगलवार को कंगना रनौत ने हिमाचल प्रदेश के मंडी में कहा कि केंद्र सरकार को तीन कृषि कानूनों को वापस लाना चाहिए। अभिनेत्री से नेता बनीं एक्टर ने कहा कि मैं जानती हूं कि मेरा बयान विवाद पैदा करेगा, लेकिन कृषि कानूनों को वापस लाया जाना चाहिए। किसानों को स्वयं इसकी मांग करनी चाहिए।’कंगना के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस ने कहा कि बीजेपी की सांसद कंगना रनौत ने कृषि कानूनों को वापस लाने की बात कही है। देश के 750 से ज्यादा किसान शहीद हुए। तब जाकर मोदी सरकार की नींद टूटी और ये काले कानून वापस हुए। अब बीजेपी के सांसद फिर से इन कानूनों की वापसी का प्लान बना रहे हैं। कांग्रेस किसानों के साथ है। इन काले कानूनों की वापसी अब कभी नहीं होगी, चाहे नरेंद्र मोदी और उनके सांसद जितता जोर लगा लें। इसी बीच हरियाणा कांग्रेस के नेता दीपेंद्र सिंह हुड्डा की भी प्रतिक्रिया आई है। कांग्रेस नेता ने कहा, काले कृषि कानून वापस लाने के मंसूबे रखने वाले तमाम बीजेपी सांसदों को हमारी चुनौती है कि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद देश में ऐसी कोई ताकत नहीं जो ये कानून वापस लागू कर सके। दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने बोला, आप भी लोकसभा में हैं, हम भी लोकसभा में हैं। हरियाणा में चुनाव पूरे होने के बाद जब शीतकालीन सत्र होगा तो आप तीन कानूनों को लेकर आना और हम जनता की भावनाएं लेकर आएंगे। 750 किसानों ने अपनी शहादत देकर एमएसपी और मंडी प्रणाली को भाजपा की तानशाही सरकार से बचाया है। काले कृषि कानून वापिस लाने के मंसूबे रखने वाले तमाम भाजपा सांसदों को हमारी चुनौती है कि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद देश में ऐसी कोई ताकत नहीं जो ये कानून वापिस लागू कर सके।
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