साधक के जीवन में निर्वाण पर्व का उत्सवों में महत्वपूर्ण स्थान है। भारत की महान संस्कृति में दीपावली का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसलिए इसे दीप पर्व, ज्योति पर्व एवं प्रकाशोत्सव इत्यादि के नाम से भी जाना जाता है। दीपावली एक त्योहार नहीं त्योहारों की पूरी श्रृंखला है, जो पांच दिन तक मनाई जाती है। कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी से प्रारंभ होकर धन त्रयोदशी, नर्क चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष द्वितीया तक लगातार पांच दिनी श्रृंखला के रूप में दीपावली मनाते हैं।
इसी दिन जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर ने मोक्ष यानि आत्मा की मुक्ति प्राप्त की और उनके प्रमुख शिष्य गौतम गणधर को परम बोधि कैवल्यज्ञान मिला। भगवान महावीर ने अपने शरीर का त्याग किया और कार्मिक बंधन से मुक्त हो गए। वे सर्वज्ञ थे, अतः उन्हें ज्ञात था कि उस दिन उन्हें मोक्ष प्राप्त होगा, इसलिए उन्होंने जानबूझकर अपने प्रथम शिष्य गौतम स्वामी को दूर भेजा, क्योंकि उन्हें पता था कि गौतम स्वामी उनसे कितने आसक्त थे। महावीर का निर्वाण, जैन धर्म में महत्वपूर्ण त्योहार है, और इसे जैन दीपावली के रूप में भी जाना जाता है। यह त्योहार महावीर स्वामी के महापरिनिर्वाण को याद करने के रूप में मनाया जाता है ।
इस उत्सव को मनाने का उद्देश्य भगवान महावीर की अनुपस्थिति को याद दिलाना है। भगवान महावीर ने दीपावली की रात जो उपदेश दिया उसे हम प्रकाश पर्व का श्रेष्ठ संदेश मान सकते हैं। अमावस्या की अंधेरी रात में भगवान महावीर ने आत्मज्ञान की ज्योति से समूचे जगत को प्रकाशित कर दिया। हम भी उनसे प्रेरणा लेकर अंधेरों को रोशन करने का प्रयास करे।—सौजन्य से : कोमल कुमार जैन, चेयरमैन, ड्यूक फैशंस ( इंडिया ) लिमिटेड, एफसीपी, जैन इंटरनेशनल ट्रेड आर्गेनाइजेशन
अंधकार से आत्म-ज्ञान तक की यात्रा, दीपावली और भगवान महावीर निर्वाण पर विशे
Nadeem Ansari
👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं
एकदम सही पकड़े हैं जी
Nadeem Ansari
डीएपी ना मिलने से भड़के किसानों ने डबवाली रोड किया जाम
Nadeem Ansari
एकदम सही पकड़े हैं जी
Nadeem Ansari
डीएपी ना मिलने से भड़के किसानों ने डबवाली रोड किया जाम
Nadeem Ansari
पिछले तीन साल में दिवाली पर दिल्ली रही सबसे प्रदूषित
Nadeem Ansari