केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी का दावा, उनके वंशजों ने करीब तीन सदी से संभाल रखी थी गुरु साहिब की पवित्र निशानी
चंडीगढ़, 5 अक्टूबर। श्री गुरु गोबिंद सिंह के जोड़ा साहिब तख्त पटना साहिब में रखे जाएंगे। इस पवित्र निशानी को केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के वंशजों ने लगभग तीन सदी से सहेज रखा था।
जानकारी के मुताबिक श्री गुरु गोबिंद सिंह और उनकी पत्नी माता साहिब कौर द्वारा पहने जोड़ा साहिब को अब एक नया घर तख्त श्री पटना साहिब मिल गया है। जो दसवें सिख गुरु का जन्मस्थान भी है। गुरुद्वारे में 300 साल पुराने जोड़ा साहिब रखने की घोषणा केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी और तख्त श्री पटना साहिब प्रबंधन समिति व दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के अध्यक्ष जगजोत सिंह सोही और हरमीत सिंह कालका ने की।
एसजीपीसी ने प्रमाणिकता जांचने की मांग रखी थी :
इससे पहले, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने कहा था कि जोड़ा साहिब की प्रामाणिकता की जांच की जानी चाहिए। दरअसल सिख गुरुओं के सभी अवशेष सिख प्रबंधन के पास हैं और उन्होंने उन्हें प्रमाणित भी किया है। दिल्ली के करोल बाग स्थित पुरी के दिवंगत चचेरे भाई जसमीत सिंह पुरी के घर से तख्त श्री पटना साहिब तक पवित्र अवशेषों को ले जाने के लिए नगर कीर्तन का कार्यक्रम जल्द ही घोषित किया जाएगा। तख्त श्री पटना साहिब में पहले से ही गुरु गोबिंद सिंह की पोशाक, उनके बचपन की तलवार, चार तीर, एक खंजर और उनकी पादुकाएं रखी हैं।
हरदीप पुरी ने कहा कि पटना में जोड़ा साहिब को सुरक्षित रखने का निर्णय हाल ही में गठित सिख नेताओं की एक समिति ने सर्वसम्मति से लिया था। समिति ने सिख समुदाय से बात की और सर्वसम्मति से यह सिफारिश की। गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पटना साहिब में हुआ था, इसलिए तख्त श्री पटना साहिब गुरुद्वारा समिति से जोड़ा साहिब की सेवा का कार्यभार संभालने का अनुरोध किया जाना चाहिए।
एक राय यह भी थी कि इसे आनंदपुर साहिब में रखा जाए, जहां दशम गुरु ने खालसा पंथ की स्थापना की थी, लेकिन पटना को ज़्यादा पसंद किया गया। पुरी ने ऐतिहासिक स्रोतों और संस्कृति मंत्रालय द्वारा जोड़ा साहिब पर कार्बन-14 डेटिंग के परिणामों को उनकी प्रामाणिकता का हवाला देते हुए साझा किया। पवित्र जोड़ा साहिब का उल्लेख भाई कान सिंह नाभा द्वारा गुरुमुखी में लिखित सिख परंपराओं के सबसे प्रामाणिक स्रोत महाकोश में मिलता है। मंत्री ने बताया कि परिवार के बुजुर्ग बेअंत सिंह पुरी 1947 में पवित्र अवशेषों को हवाई मार्ग से भारत लाए थे। बेअंत सिंह पुरी के सबसे बड़े बेटे अवतार सिंह, जिनकी वसीयत में जोड़ा साहिब का ज़िक्र है, के पास ये अवशेष थे, जो बाद में जसमीत सिंह पुरी को सौंप दिए गए। 1947 में, अवशेषों को जसमीत पुरी के रोहतक रोड स्थित आवास पर रखा गया था। बाद में इस सड़क का नाम बदलकर गुरु गोबिंद सिंह मार्ग कर दिया गया। जसमीत सिंह के निधन के बाद, उनकी पत्नी ने पवित्र वस्तुओं को रखने के लिए हरदीप पुरी से मदद मांगी। इसके बाद पुरी ने केंद्र से संपर्क किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक उपयुक्त घर खोजने का निर्देश दिया।
———–