आप उम्मीदवार मोहिंदर भगत 37,325 वोट से जीते, भाजपा दूसरे और कांग्रेस तीसरे नंबर पर
नदीम अंसारी
जालंधर 13 जुलाई। यहां जालंधर वैस्ट विधानसभा सीट पर उप-चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले रहे। आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार मोहिंदर भगत ने शानदार जीत हासिल की। उनको 37 हजार 325 वोटों की लीड मिली। जबकि बीजेपी दूसरे और कांग्रेस तो तीसरे नंबर तक पिछड़ गई।
गौरतलब है कि आप उम्मीदवार भगत को कुल 55 हजार 246 वोट हासिल हुए। जबकि दूसरे नंबर पर रहे भाजपा प्रत्याशी शीतल अंगुराल को महज 17 हजार 921 वोट मिले। वहीं कांग्रेसी उम्मीदवार सुरिंदर कौर 16 हजार 757 वोट ही हासिल कर सकीं। यहां काबिलेजिक्र है कि इसी लोकसभा चुनाव में वैस्ट विस हल्के में ही कांग्रेस ने शानदार बढ़त ली थी।
तब बीजेपी दूसरे स्थान पर तो आम आदमी पार्टी तीसरे स्थान पर रही थी। इस उप-चुनाव में स्थिति बिल्कुल पलट गई। अब आम आदमी पार्टी पहले, बीजेपी दूसरे स्थान और कांग्रेस तीसरे स्थान पर चली गई। उप चुनाव के लिए 10 जुलाई को वोटिंग के दौरान यहां 54.90% मतदान हुआ था। इस सीट की ख़ासियत यह है कि हर बार यहां से नई पार्टी चुनाव जीतती रही है। साल 2012 के विस चुनाव में भाजपा, 2017 में कांग्रेस तो 2022 में आप ने यहां से सीट जीती थी।
पहले ही राउंड से भगत आगे रहे : आप उम्मीदवार मोहिंदर भगत ने पहले राउंड से ही बढ़त बनाई और उनकी लीड का अंतर लगातार बढ़ता ही गया। मतगणना 13 राउंड में पूरी हुई। हर राउंड में भगत बढ़ती लेते हुए 37 हजार 325 मतों के भारी अंतर से जीत गए। जबकि भाजपा के शीतल अंगुराल सात राउंड में तीसरे नंबर पर रहे। आठवें राउंड में वह दूसरे नंबर पर आए, लेकिन आप की लीड नहीं तोड़ सके। वहीं कांग्रेस की सुरिंदर कौर तो किसी राउंड में बढ़त नहीं बना पाई। उप-चुनाव में चली आ रही परंपरा इस बार भी बरकरार रही और सत्तापक्ष के हाथ ही जीत की चाबी लगी।
मान हो गए गदगद : इस उप-चुनाव में आप की जीत पर मुख्यमंत्री भगवंत मान गदगद दिखे। उन्होंने आप के विजयी उम्मीदवार मोहिंदर भगत के साथ बाकायदा फोटो-सेशन भी कराया। वहीं, सूबे के मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि मैं जालंधर पश्चिम के लोगों को धन्यवाद देना चाहता हूं। मुझे इस सीट को बड़े अंतर से जीत का भरोसा था, वाकई लोगों आप का साथ दिया। हम पंजाब के लोगों के लिए और उनके पक्ष में काम कर रहे हैं। कांग्रेस ने 1975 में आपातकाल लगा जो गलती की थी, उसकी कीमत चुकानी पड़ी। अब भाजपा को भी संविधान बदलने के अपने प्रयासों की कीमत आगे भी चुकानी होगी।
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