आज, हम शहीद बाबू जगदेव प्रसाद की 50वीं पुण्यतिथि के अवसर पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। जगदेव प्रसाद, जिन्हें ‘बिहार का लेनिन’ कहा जाता है, उन्होंने समाज के कमजोर, दलित, पिछड़े और वंचित वर्गों के अधिकारों के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया। उनका जीवन संघर्ष, साहस और समर्पण की अनूठी मिसाल है। जगदेव प्रसाद का जन्म 2 फरवरी 1922 को बिहार के जहानाबाद जिले के कुर्था प्रखंड के कुरहारी ग्राम में हुआ था। उनका जन्म एक साधारण कुशवाहा परिवार में हुआ, लेकिन उन्होंने शिक्षा के माध्यम से सामाजिक असमानताओं को गहराई से समझा। समाज में व्याप्त जातिवाद, असमानता और अन्याय के प्रति उनकी जागरूकता ने उन्हें इस दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित किया। इसी जागरूकता के कारण वे सामाजिक न्याय के मार्ग पर अग्रसर हुए और उन्होंने समाज में व्याप्त असमानताओं के खिलाफ एक सशक्त संघर्ष का संकल्प लिया। जगदेव बाबू भारतीय राजनीति और समाज सुधार के क्षेत्र में एक ऐसा नाम है, जो समानता और सामाजिक न्याय के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। उनके संघर्ष और बलिदान ने समाज के दलित, पिछड़े और गरीब वर्गों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया और उन्हें संगठित कर उनके हक की लड़ाई लड़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने राजनीति को समाज सुधार का एक माध्यम माना और इस क्षेत्र में प्रवेश किया । उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत से ही उन तत्वों के खिलाफ संघर्ष किया जो समाज में असमानता और अन्याय को बढ़ावा दे रहे थे। वे जातिवाद और सामंतवाद के खिलाफ निडरता से खड़े हुए और इसके खिलाफ पूरी शक्ति से संघर्ष किया। उनका एक प्रसिद्ध नारा था: “दस का शासन नब्बे पर, नहीं चलेगा, नहीं चलेगा। सौ में नब्बे शोषित हैं, नब्बे भाग हमारा है। धन-धरती और राजपाट में, नब्बे भाग हमारा है।” यह नारा उनके संघर्ष की दिशा और समाज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
5 सितंबर 1974 को कुर्था में उनकी हत्या कर दी गई, लेकिन उनका विचार और संघर्ष आज भी जीवित है। उनकी शहादत ने समाज के अन्याय और असमानता के खिलाफ लड़ाई को और भी सशक्त बनाया। आज भी उन्हें एक योद्धा के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर समाज में समानता और न्याय की स्थापना के लिए संघर्ष किया। उनका बलिदान उन सभी के लिए एक प्रेरणा है जो समाज में समानता और न्याय की स्थापना के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनकी शहादत ने समाज के कमजोर वर्गों के संघर्ष को और भी अधिक दृढ़ बनाया और उन्हें अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने की प्रेरणा दी। आज, उनकी 50वीं पुण्यतिथि पर, हमें उनके दिखाए मार्ग पर चलने और उनके सपनों को साकार करने का संकल्प लेना चाहिए। शहीद बाबू जगदेव प्रसाद का जीवन और बलिदान हमें सिखाता है कि न्याय और समानता की लड़ाई कभी समाप्त नहीं होनी चाहिए। उनकी विरासत को आगे बढ़ाने और समाज में समानता और न्याय की स्थापना के लिए हमें एकजुट होकर प्रयास करना चाहिए। उन्होंने अपने जीवन के हर क्षण को समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए समर्पित किया। वे एक सच्चे योद्धा थे जिन्होंने समानता और सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष किया और अपने आदर्शों पर अडिग रहे। उनका जीवन और बलिदान हमें यह सिखाता है कि जब तक समाज में अन्याय और असमानता बनी रहती है, तब तक संघर्ष जारी रहना चाहिए। उनका योगदान और उनकी विरासत हमें हमेशा प्रेरित करेगी और समानता और सामाजिक न्याय के लिए लड़ाई लड़ने की प्रेरणा देती रहेगी।
लेखक :- निरंजन कुमार
अधिवक्ता, पटना उच्च न्यायालय