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दुखद : दुनिया छोड़ गए इस्कॉन आईजीसी के अध्यक्ष गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज

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वरिष्ठ सन्यासी को वृंदावन में दी जाएगी समाधि असंख्य श्रद्धालु शोक में डूबे, मंदिरों में प्रार्थनाएं

लुधियाना 5 मई। इस्कॉन के सबसे वरिष्ठ संन्यासियों में से एक और इस्कॉन इंडिया की गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज इस दुनिया को अलविदा कह गए। बताया जाता है कि रविवार सुबह देहरादून में उन्होंने अंतिम सांसें लीं।

उनके निधन का दुखद समाचार तेजी से फैला और असंख्य  भक्तों व वृंदावन सहित विश्व के सभी मंदिरों में शोक की लहर दौड़ गई। जानकारी के अनुसार सोमवार को गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज का पार्थिव शरीर वृंदावन लाया जाएगा। इस्कॉन मंदिर में प्रभुपाद की समाधि के पास ही अंतिम दर्शन को सुबह 11 बजे से रखा जाएगा। दोपहर 2.30 बजे करीब उनको इस्कॉन की गोशाला के पास समाधि दिए जाने की सूचना प्राप्त हुई है।

इस मामले में इस्कॉन मंदिर, वृंदावन के पदाधिकारी बृजधाम दास की ओर से जारी सूचना के अनुसार विश्व भर में उनके लाखों भक्त हैं। वे भक्त अंतिम दर्शन के लिए वृंदावन के इस्कॉन मंदिर में आएंगे। भक्तों में उनके निधन से शोक की लहर है। उल्लेखनीय है कि गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज दो मई को दूधली स्थित मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम में पहुंचे थे। यहां वह अचानक फिसलकर गिर गए थे। इससे उनके फेफड़ों में पंक्चर हो गया था। तीन दिनों से उनका इलाज सिनर्जी अस्पताल में चल रहा था।

वर्णन योग्य है कि वर्ष 1944 में नई दिल्ली में जन्मे गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज एक मेधावी छात्र थे। जिन्हें सोरबोन विश्वविद्यालय (फ्रांस) और मैकगिल विश्वविद्यालय (कनाडा) में अध्ययन करने के लिए दो छात्रवृत्तियां प्रदान की गई थीं। उन्होंने 1968 में कनाडा में अपने गुरु और इस्कॉन के संस्थापक आचार्य श्रील प्रभुपाद से मुलाकात की। तब से उन्होंने सभी की शांति और कल्याण के लिए भगवान कृष्ण और सनातन धर्म की शिक्षाओं को दुनिया के साथ साझा करने के लिए खुद को समर्पित कर दिया।

गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज के पार्थिव शरीर को समाधि देने की तैयारी वृंदावन इस्कॉन में की जा रही है। पुलिस-प्रशासन के लिए भी सोमवार को भक्तों की भीड़ को नियंत्रित करना चुनौती रहेगा। आशंका जताई जा रही है कि करीब दो से ढाई लाख भक्त उनके अंतिम दर्शन को वृंदावन आ सकते हैं। ऐसे शासन-प्रशासन ने व्यापक स्तर पर तमाम तैयारियां शुरु कर दी हैं।

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