शेयर बाजार के माहिरों की मानें तो इंवेस्टर भ्रमित नहीं
लुधियाना 13 अगस्त। हिंडनबर्ग रिसर्च कंपनी की रिपोर्ट में सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर आरोप लगे थे। जिसके बाद सेबी चीफ और उनके पति धवल बुच ने स्पष्टीकरण दे दिया है। इस पर हिंडनबर्ग ने नया दावा किया कि सेबी चीफ ने अपने स्पष्टीकरण में उनके आरोपों को अपरोक्ष तौर पर स्वीकार कर लिया। खैर, अभी बाजार से लेकर सियासी-हल्कों तक इस पर बहस जारी है। इस सबसे अलग शेयर मार्केट में क्या इसका कोई असर है, इसे लेकर ‘यूटर्न टाइम’ ने फिर बाजार की नब्ज टटोली।
चार्टेड अकाउंटेंट और कंपनी सेक्रेटरी रजनीश गर्ग उत्तर भारत में शेयर बाजार बिरादरी में सम्मानित नाम हैं। इनवेसेट कंपनी के पार्टनर और ब्रांड मैनेजर हैं। उनकी मानें तो हिंडनबर्ग महज एक शॉर्ट-सेलर है। जबकि सेबी चीफ एक जिम्मेदार ओहदे पर हैं। इस जिम्मेदारी को संभालने से पहले उनकी इंवेस्टमेंट एक निजी मामला था। उस इंवेस्टमेंट को बाद में उन्होंने अपने पति के नाम ट्रांसफर कर दिया था। ऐसे में पुराने तथ्यों को आधार बनाकर सेबी चीफ पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में लगाए आरोप सुनियोजित साबित हो रहे हैं।
बाजार पर गहरी समझ रखने वाले सीएम गर्ग मानते हैं कि इंवेस्टर्स पिछली बार हिंडनबर्ग की पहली रिपोर्ट के सैंसेशन से बेशक कुछ समय भ्रमित रहे थे। पिछले रिपोर्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक क्लिन चिट मिलने के बावजूद दूसरी रिपोर्ट में फिर भारतीय बाजार पर फोकस किया गया। कुल मिलाकर देखें तो इस रिपोर्ट के टारगेट पर अडाणी ग्रुप या सेबी चीफ नहीं, बल्कि भारतीय अर्थव्यस्था है। जिसे षडयंत्र के तहत पटरी से उतारने की साजिश लगती है। अब इंवेस्टर इस मामले में अलर्ट है, लिहाजा उस पर इसका कोई असर पड़ता नहीं दिखा।
बाजार पर नजर रखने वाले दो ब्रोकरों ने भी कुछ ऐसी ही टिप्पणी की। उन्होंने तो नाम ना छापने की शर्त पर यहां तक कहा कि देश के प्रमुख विपक्षी दल का इस गैर तथ्यजनक रिपोर्ट को हवा देना सियासी-साजिश का हिस्सा भी लगता है।
————