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लोन एप के जरिए हुई साइबर ठगी मामले की जांच में हुआ 5 हजार करोड़ की गेमिंग एप का खुलासा, 298 बैंक खातों से हुई हवाला ट्रांजेक्शन

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आरोपियों द्वारा बचने को नामी शाह परिवार का नाम लेकर गलत इस्तेमाल करने की चर्चा

पंजाब 2 जनवरी। पुरानी कहावत ‘अंधे के हाथ लगी बटेर’ वाकई कई बार सच साबित होती है। दो साल पहले चंडीगढ़ में हुई महज लाखों रुपए की ऑनलाइन ठगी के मामले की साइबर क्राइम टीम जांच कर रही थी। इस दौरान पता चला कि उक्त ठगों द्वारा कुछ लाखों नहीं बल्कि अब तक 5 हजार करोड़ रुपए की ठगी की जा चुकी है। यह ठगी गेमिंग एप और ऑनलाइन लोन एप चलाकर की गई है। इस मामले में पहले ही एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ईडी) द्वारा दो आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। जिसके चलते साइबर सैल की और से उन आरोपियों को प्रोडक्शन वारंट पर लाकर पूछताछ की गई तो यह स्कैम पांच हजार करोड़ का निकला। आरोपियों की पहचान पुनीत कुमार और आशीष कक्कड़ के रुप में हुई है। आरोपियों ने खुलासा किया कि उनकी और से ऑनलाइन गेमिंग और लोन एप चलाकर लोगों से ठगी की जाती थी। चर्चा है कि इस स्कैम का पहले ही खुलासा हो सकता था। लेकिन आरोपियों द्वारा भारत में नामी परिवार कहे जाते शाह परिवार के नाम का गलत इस्तेमाल किया जा रहा था। जिसके चलते अधिकारी भी इस मामले में हाथ डालने से कतराते थे। चंडीगढ़ साइबर थाना पुलिस ने ईडी से संपर्क कर इन आरोपियों का सारा रिकॉर्ड भी मांगा है। वहीं आरोपियों के ड्राइवर से भी पूछताछ की जा रही है।

बना रखी थी फर्जी ट्रेडिंग कंपनियां
जांच में सामने आया है कि आरोपियों द्वारा फर्जी ट्रेडिंग कंपनियां बना रखी थी। यह कंपनियां भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी चलाई जा रही थी। आरोपियों ने मुख्य रूप से चीन, सिंगापुर, हांगकांग और दुबई में कई फर्जी ट्रेडिंग फर्म कंपनियां बनाकर उन्हें संचालित किया जा रहा था। इन फर्मों को आरोपियों ने अपने वर्करों या किराए पर रहने वाले लोगों के नाम पर जाली दस्तावेजों का उपयोग कर रजिस्टर्ड कराया हुआ था। उन्हीं वर्करों को आगे रखकर खुद लोगों से ठगी की जा रही थी।

298 बैंक खाते खोल रखे थे
इन दोनों आरोपियों ने करीब 272 घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय फर्मों व कंपनियों के जरिए 298 बैंक खाते खोले थे। जांच में पता चला कि इन दोनों ने घरेलू यानी भारत में करीब 167 फर्मों के लिए 188 बैंक खाते और 105 विदेशी अंतरराष्ट्रीय फर्मों के लिए 110 बैंक खाते खोल रखे थेष जिनमें लोन की एप के जरिए की जाने वाली ठगी के पैसे ट्रांसफर होते थे। इन दोनों ठगों ने विदेशी कंपनियों में से चीन में 46, सिंगापुर में 30, हांगकांग में 18, यूएई में सात, मलेशिया में दो, थाईलैंड और मॉरीशस में एक-एक बनाई हुई थी।

हवाले का पैसा भी किया जा रहा था ट्रांसफर

जानकारी के अनुसार आरोपियों द्वारा इन फर्मों का उपयोग गेमिंग वेबसाइटों द्वारा संचालित ऑनलाइन गेमिंग गतिविधियों से अपराध की आय को इकट्ठा करने, रूट करने और बाहर भेजने में किया जाता था। आरोपी इन फर्मों के जरिए हवाले का पैसा भी ट्रांसफर करते थे। ठगी के इस खेल में पुनीत और मक्कड़ के अलावा आनंद निकेतन, चाणक्यपुरी निवासी केशव सूद और साकेत निवासी शिव दरगर भी शामिल थे। जिनकी जिम्मेदारी हवाला का पैसा इधर से उधर करना था।

2022 में ह्रूगो लोन एप के जरिए हुई थी ठगी
दरअसल 2022 में चंडीगढ़ के एक व्यक्ति के साथ ह्रूगो लोन एप से उसके खाते में सेंध लगाते हुए ऑनलाइन ठगी की गई थी। इस मामले में शिकायत के आधार पर साइबर थाने में केस दर्ज किया था। इस मामले में 29 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। उनसे पूछताछ के बाद पता चला कि पुनीत कुमार और आशीष कक्कड़ इस गैंग के सरगना है। पुलिस ने जांच आगे बढ़ाई तो पूरा स्कैम निकलकर सामने आया। जिसके बाद जांच टीम ने कोर्ट के आदेशों पर दिल्ली जेल में बंद आरोपियों मनोज राठौर, पुनीत कुमार व आशीष कक्कड़ को गिरफ्तार किया।

ड्राइवर के दस्तावेज किए इस्तेमाल
टीम द्वारा जेल से आरोपी मनोज राठौर को भी रिमांड पर लाया गया है। वह दूसरे आरोपी पुनीत का ड्राइवर था। आरोपियों ने मनोज के दस्तावेजों व केवाईसी से कई फर्जी कंपनियां बनाई थीं। यह कंपनियां भारत व विदेश में भी बनाई गई थी। जिसके जरिए करोड़ों की ट्रांजेक्शन हुई और हवाला का पैसा भी बाहर भेजा गया।

अधिकारी व सरकारी तंत्र को किया जा रहा था गुमराह
चर्चा है कि उक्त आरोपियों द्वारा अधिकारी व सरकारी तंत्र को गुमराह करने का लगातार प्रयास किया जा रहा था। आरोपियों द्वारा देश के नामी शाह परिवार के नाम का गलत इस्तेमाल कर लाभ लिया जा रहा था। उक्त परिवार का नाम इतना हाईप्रोफाइल है कि कोई जल्दी हाथ नहीं पाता। जिसकी आढ़ में आरोपी लगातार गेमिंग व लोन एप संचालित कर ठगी करते रहे। चर्चा है कि जब जब वे गेमिंग एप में घोटाला होने की बात सामने आती रही, तब इस एप को शाह परिवार के साथ जुड़ा हुआ बताया जाता था। जिसके चलते किसी विभाग ने क्रॉस वेरिफाई करने की जरुरत नहीं कर सके। यह चर्चाएं है, लेकिन इसमें कितनी सच्चाई है यह नहीं पता।

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