ट्रंप के टैरिफ एक्शन पर भारत का पहला रिएक्शन -25 अगस्त 2025 से अमेरिका के लिए डाक सेवा (पोस्टल सर्विसेज) बंद 

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भारत की ई-कॉमर्स कंपनियां, कई स्टार्टअप्स अंतरराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर हैं,अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर को डाक सेवाओं या लॉजिस्टिक चैनलों से पूरा करते हैँ, उन पर असर पड़ेगा

 

भारत का अधिकतम निर्यातक एमएसएमई क्षेत्र, यानें कपड़ा, हस्तशिल्प,ज्वेलरी,आयुर्वेदिक उत्पाद,और छोटे पैमाने के तकनीकी उपकरण जैसे क्षेत्र संकट में पढ़ने की संभावना- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

 

गोंदिया-विश्व राजनीति और वैश्विक अर्थव्यवस्था में अमेरिका की नीतियां हमेशा निर्णायक भूमिका निभाती रही हैं।विशेषकर जब डोनाल्ड ट्रंप की बात आती है, तो उनके निर्णय त्वरित, कठोर और कभी-कभी विवादास्पद भी माने जाते हैं। ट्रंप का हालिया टैरिफ एक्शन न केवल चीन और रूस जैसी अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित कर रहा है, बल्कि भारत भी इसके सीधे असर से अछूता नहीं है। इस नए टैरिफ वार के परिणाम स्वरूप भारत ने 25 अगस्त से एक बड़ा कदम उठाया-डाक सेवाओं को सीमित करना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पार्सल व गिफ्ट आइटम्स की सप्लाई को रोकना। मैं एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र यह मानता हूं कि कहीं ना कहीं यह फैसला भारत की आर्थिक, सामाजिक और राजनयिक स्थिति को प्रभावित करने वाला है।इसलिए आज हम मीडिया में हो उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,ट्रंप के टैरिफ एक्शन पर भारत का पहला रिएक्शन- 25 अगस्त 2025 से अमेरिका के लिए डाक सेवा (पोस्टल सर्विसेज) बंद।

साथियों बात अगर हम सरकार के 25 अगस्त सेअमेरिका के लिए डाक सेवा बंद करने के फैसले के प्रभाव को 10 पॉइंट में समझने की करें तो (1) अब केवल 100 डॉलर (8700 रुपए) कीमत वाले गिफ्ट आइटम्स और लेटर- डॉक्यूमेंट्स ही भेजे जा सकेंगे-नई व्यवस्था के तहत भारत से विदेश भेजे जाने वाले सामान पर सख्त पाबंदी लग गई है। केवल वे ही गिफ्ट आइटम्स जिनकी कीमत 100 डॉलर यानी लगभग 8700 रुपए तक है, भेजे जा सकेंगे। इसके अलावा चिट्ठियां और लेटर डॉक्यूमेंट्स की अनुमति होगी। इसका अर्थ यह है कि बड़े पैमाने पर पार्सल, ई-कॉमर्स प्रोडक्ट्स, छोटे उद्योगों के सामान, और अंतरराष्ट्रीय व्यापार से जुड़े पैकेज विदेश नहीं भेजे जा सकेंगे। इससे भारतीय एमएसएमई और स्टार्टअप कंपनियां,जो अपने उत्पाद विदेशों में बेच रही थीं, सीधे प्रभावित होंगी। (2) पत्राचार की अनुमति लेकिन व्यापारिक गतिविधियों पर रोक-भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि व्यक्तिगत संचार, यानी लेटर और दस्तावेज भेजने पर कोई पाबंदी नहीं होगी। यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि कूटनीतिक और सामाजिक स्तर पर संवाद जारी रहना आवश्यक है। लेकिन व्यापारिक दृष्टि से यह एक बड़ा झटका है। जो लोग विदेशों में अपने परिजनों या ग्राहकों को गिफ्ट आइटम्स भेजते थे, वे अब सीमित रह जाएंगे। यह स्पष्ट संकेत है कि भारत ने व्यापारिक दबाव का सामना करने के लिए अपनी डाक सेवाओं को अस्थायी रूप से पुनर्गठित किया है।(3) पहले से बुक किए गए सामान पर पेमेंट वापसी-सरकार और डाक विभाग ने भरोसा दिलाया है कि जो ग्राहक पहले ही सामान बुक कर चुके हैं और जिनका पार्सल अब नहीं भेजा जा सकता, उन्हें पूरा भुगतान वापस किया जाएगा। यह उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा की दिशा में सही कदम है। लेकिन यह व्यवस्था केवल अस्थायी राहत है, क्योंकि निर्यातक और ई-कॉमर्स कंपनियों को पहले से हुए निवेश और तैयार माल पर भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। (4) आम जनता पर असर-डाक सेवाओं की यह रोक आम जनता पर गहरा असर डालेगी। विदेशों में बसे परिजनों को गिफ्ट भेजने वाले परिवार, छात्र और कामकाजी लोग सीधे प्रभावित होंगे। छोटे व्यवसाय और हस्तशिल्प उद्योग, जो डाक सेवाओं के माध्यम से अपना सामान विदेश भेजते थे, अब बाजार खो देंगे। भारतीय त्योहारों के सीजन में यह फैसला विशेष रूप से दर्दनाक साबित हो सकता है। साथ ही, ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों के वे लोग, जिनके लिए डाक सेवा ही अंतरराष्ट्रीय संचार और व्यापार का मुख्य माध्यम थी, अब ठहराव का सामना करेंगे। (5) निर्यात में 40 से 50 पेर्सेंट की कमी का अनुमान-विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले का सीधा असर भारत के निर्यात पर पड़ेगा। अनुमान है कि 40 से 50% तक का नुकसान हो सकता है।एमएसएमई क्षेत्र, जो भारत के निर्यात का एक बड़ा हिस्सा संभालता है, सबसे अधिक प्रभावित होगा। कपड़ा, हस्तशिल्प, ज्वेलरी, आयुर्वेदिक उत्पाद, और छोटे पैमाने के तकनीकी उपकरण जैसे क्षेत्र संकट में पड़ जाएंगे। यह कमी भारत के विदेशी मुद्रा भंडार और चालू खाता संतुलन पर भी नकारात्मक प्रभाव डालेगी।(6)भारत में जीएसटी सुधार और नई स्लैब व्यवस्था-इन सबके बीच भारत सरकार ने घरेलू मोर्चे पर जीएसटी सुधार लागू करने का निर्णय लिया। ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ने 5 पेर्सेंट से 18 पेर्सेंट की जीएसटी स्लैब को मंजूरी दी है। इसका उद्देश्य कर ढांचे को सरल और पारदर्शी बनाना है। हालांकि, यह कदम घरेलू व्यापारियों के लिए राहतकारी हो सकता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर लगी पाबंदियों के कारण इसका लाभ सीमित रह जाएगा। यह सुधार भारत की “आत्मनिर्भर भारत” नीति के अनुरूप है, जो घरेलू खपत और उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में है।(7) 50पेर्सेंट टैरिफ लागू होने का वैश्विक असर-25 अगस्त से लागू होने वाले 50 पेर्सेंट टैरिफ का असर केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनियाँ पर पड़ेगा।अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पाद महंगे हो जाएंगे और उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता घट जाएगी। वहीं चीन और रूस भी इस टैरिफ का सामना कर रहे हैं, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला असंतुलित हो सकती है। यूरोप और मध्य एशिया के बाजार भारत के लिए नए अवसर बन सकते हैं, लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए लॉजिस्टिक और कूटनीतिक निवेश की आवश्यकता होगी।(8) अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर प्रभाव-भारत का यह कदम केवल आर्थिक ही नहीं बल्कि कूटनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।अमेरिका को स्पष्ट संदेश गया है कि भारत अपने हितों की रक्षा के लिए कठोर कदम उठाने में सक्षम है। हालांकि,यह भारत- अमेरिका संबंधों में तनाव भी पैदा कर सकता है। वहीं चीन और रूस जैसे देशों के लिए भारत एक रणनीतिक सहयोगी के रूप में और मजबूत हो सकता है। इस पूरी स्थिति से वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) के देशों को भी सबक मिलेगा कि वे अमेरिका-प्रेरित नीतियों के दबाव में अपने व्यापारिक हितों की रक्षा कैसे करें। (9) ट्रंप के टैरिफ एक्शन के बाद भारत द्वारा उठाए गए कदम बहुआयामी हैं। डाक सेवाओं पर रोक, निर्यात में कमी का अनुमान, जीएसटी सुधार और वैश्विक व्यापार में नए समीकरण,ये सभी घटनाएं 21वीं सदी के बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य को दर्शाती हैं। आने वाले समय में भारत को अपनी कूटनीतिक कुशलता और आर्थिक रणनीति दोनों को मजबूत करना होगा। निर्यातकों और आम जनता को राहत देने के लिए सरकार को नए रास्ते तलाशने होंगे। वहीं, वैश्विक स्तर पर भारत के सामने अवसर भी हैं—यूरोप, अफ्रीका और एशियाई देशों के साथ नए व्यापार समझौते करके भारत इस संकट को अवसर में बदल सकता है।

साथियों बातें अगर हम इ-कॉमर्स कंपनियों पर असर पड़ने की करें तो भारत की ई-कॉमर्स कंपनियां जैसे फ्लिपकार्ट,मीशो एक्सपोर्ट, अमेज़ॉन इंडिया (ग्लोबल सेलर्स प्रोग्राम) और कई स्टार्टअप्स अंतरराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर हैं। इन कंपनियों का बड़ा हिस्सा अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर को डाक सेवाओं या लॉजिस्टिक चैनलों से पूरा करता है। डाक सेवाओं के रुकने और 100 डॉलर की सीमा लागू होने से इन कंपनियों का वैश्विक कारोबार बुरी तरह प्रभावित होगा। विशेष रूप से हस्तशिल्प, कपड़ा, ज्वेलरी, घरेलू सजावट और आयुर्वेदिक उत्पाद बेचने वाले छोटे विक्रेता नुकसान में रहेंगे। अमेज़ॉन और फ्लिपकार्ट जैसी बड़ी कंपनियां निजी लॉजिस्टिक और कुरियर नेटवर्क का उपयोग करके कुछ हद तक इस नुकसान को झेल सकती हैं, लेकिन छोटे और मध्यम विक्रेताओं (एमएसएमई) के लिए यह एक आर्थिक झटका होगा। कई छोटे निर्यातक, जिन्होंने “मेक इन इंडिया” और “डिजिटल इंडिया” के तहत ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर भरोसा किया था, उनके कारोबार में गिरावट आ सकती है। यह स्थिति भारतीय सरकार के लिए चुनौती है कि वह ई-कॉमर्स सेक्टर को वैश्विक बाजार तक पहुंचाने के लिए वैकल्पिक रास्ते बनाए।

साथिया बातें अगर हम भारतीय डायस्पोरा पर असर पढ़ने की करें तो,भारत का प्रवासी समुदाय यानी डायस्पोरा, जो दुनिया के लगभग हर देश में फैला हुआ है, इस निर्णय से गहराई से प्रभावित होगा। अमेरिका, यूरोप, खाड़ी देशों और ऑस्ट्रेलिया में बसे भारतीय अक्सर भारत से सामान मंगवाते हैं-त्योहारों के अवसर पर मिठाइयां, कपड़े, पूजा सामग्री और पारंपरिक गिफ्ट्स। डाक सेवाओं पर लगी पाबंदी के कारण यह सांस्कृतिक और भावनात्मक संबंध कमजोर पड़ सकते हैं। भारतीय डायस्पोरा न केवल अपनी पहचान और परंपरा से जुड़े रहने के लिए भारत से सामान मंगाते हैं, बल्कि छोटे व्यापारिक स्तर पर भी उनका भारत के साथ सीधा संबंध होता है। अब उन्हें स्थानीय बाजार या तीसरे देशों से महंगे दामों पर सामान खरीदना पड़ेगा। यह स्थिति भारत-प्रवासी संबंधों को तनावपूर्ण बना सकती है। साथ ही, जो छात्र और पेशेवर विदेशों में रहते हैं, वे भी अपने परिजनों से भेजे जाने वाले छोटे गिफ्ट्स और आवश्यक वस्तुओं से वंचित रहेंगे। इससे भारतीय डायस्पोरा में असंतोष की भावना पैदा हो सकती है, और दीर्घकाल में भारत सरकार पर इस निर्णय को पुनर्विचार करने का दबाव बढ़ सकता है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विशेषण करें तो हम पाएंगे कि ट्रंप के टैरिफ एक्शन पर भारत का पहला रिएक्शन- 25 अगस्त 2025 से अमेरिका के लिए डाक सेवा (पोस्टल सर्विसेज)बंदभारत की ई-कॉमर्स कंपनियां, कई स्टार्टअप्स अंतरराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर हैं,अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर को डाक सेवाओं या लॉजिस्टिक चैनलों से पूरा करतेहैँ,उन पर असर पड़ेगा भारत का अधिकतम निर्यातक एमएसएमई क्षेत्र, यानें कपड़ा, हस्तशिल्प,ज्वेलरी,आयुर्वेदिक उत्पाद और छोटे पैमाने के तकनीकी उपकरण जैसे क्षेत्र संकट में पढ़ने की संभावना हैँ।

 

*-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यम सीए (एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र *

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