भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं, बढ़ते टैरिफ और कमोडिटी कीमतों में उतार-चढ़ाव के बावजूद भारत ने अपनी आर्थिक स्थिरता बनाए रखी है। उन्होंने कहा कि राजकोषीय अनुशासन और मौद्रिक नीतियों में समन्वय ने देश को कठिन हालात में भी मजबूती प्रदान की है।
भारत की स्थिरता का आधार – नीतिगत तालमेल
मल्होत्रा ने कहा कि उभरते बाजारों के लिए बढ़ती लागत और महंगाई सबसे बड़ी चुनौती रही है। ऐसे में केंद्रीय बैंक और राजकोषीय अधिकारियों के बीच तालमेल ने भारत की स्थिरता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने यह टिप्पणी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की वार्षिक बैठकों के दौरान एशिया एवं प्रशांत विभाग के निदेशक कृष्णा श्रीनिवासन के साथ बातचीत में की।
राजकोषीय घाटा घटकर 4.4 प्रतिशत पर आने की उम्मीद
RBI गवर्नर ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकारों की नीतिगत सावधानी से राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 4.4 प्रतिशत तक घटने की संभावना है। उन्होंने कहा कि भारत का कुल सार्वजनिक ऋण दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे कम है, केवल जर्मनी का स्तर इससे नीचे है।
डॉलर में गिरावट, रुपया स्थिर
मल्होत्रा ने कहा कि इस वर्ष डॉलर अपने उच्च स्तर से लगभग 10 प्रतिशत गिरा है। इसके बावजूद भारतीय रुपये ने संतुलित प्रदर्शन किया है। उन्होंने बताया कि भारत का ध्यान किसी निश्चित दर को लक्ष्य बनाने पर नहीं, बल्कि रुपये की व्यवस्थित गति बनाए रखने पर केंद्रित रहा है।
 
								 
				 
											




