विश्व बैंक की नवीनतम वित्तीय क्षेत्र आकलन (एफएसए) रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए वित्तीय सुधारों की रफ्तार बढ़ानी होगी और निजी पूंजी निवेश को प्रोत्साहन देना होगा। रिपोर्ट के अनुसार, भारत के विश्वस्तरीय डिजिटल सार्वजनिक ढांचे और सरकारी कार्यक्रमों ने पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए वित्तीय सेवाओं तक पहुंच को काफी आसान बनाया है।
एफएसएपी क्या है?
वित्तीय क्षेत्र आकलन कार्यक्रम (एफएसएपी) अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक का संयुक्त कार्यक्रम है, जो किसी देश के वित्तीय ढांचे का गहन विश्लेषण करता है। यह 2010 से उन देशों के लिए अनिवार्य है, जिनका वित्तीय क्षेत्र प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण है। भारत के लिए पिछला एफएसएपी वर्ष 2017 में आयोजित किया गया था।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत के पूंजी बाजार (इक्विटी, सरकारी व कॉरपोरेट बांड) जीडीपी के 144 प्रतिशत से बढ़कर लगभग 175 प्रतिशत हो गए हैं। यह वृद्धि मजबूत पूंजी बाजार इन्फ्रास्ट्रक्चर और विविध निवेशक आधार के कारण संभव हुई है। विश्व बैंक ने सुझाव दिया है कि भारत को पूंजी जुटाने के लिए ऋण वृद्धि तंत्र, जोखिम साझाकरण और प्रतिभूतिकरण प्लेटफार्मों को और सशक्त बनाना चाहिए।





