इनकम टैक्स : अपना रिटर्न दाखिल करने से पहले इन दस खास बातों को जान लें

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चंडीगढ़, 7 अगस्त। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की 15 सितंबर की अंतिम तिथि नज़दीक आ रही है। ज़्यादातर करदाता समय पर अपना रिटर्न दाखिल करने के लिए दस्तावेज़ों की व्यवस्था करने में व्यस्त होंगे।

वैसे तो आयकर ई-फाइलिंग पोर्टल पर ‘सबमिट’ पर क्लिक करने से पहलेचार्टर्ड अकाउंटेंट या किसी आयकर विशेषज्ञ – की सलाह लेने की सलाह दी जाती है। हालांकि सब कुछ खुद करना कोई असामान्य बात नहीं है। युवा वेतनभोगी पेशेवरों या फ्रीलांसरों के बीच अपनी वार्षिक आय और कर देयता की जांच करते समय खुद ही काम करने का चलन आम है।

इसमें ध्यान देने योग्य पहलू :

सकल आय : यह शब्द वर्ष के दौरान अर्जित कुल आय को संदर्भित करता है> जिसमें वेतन, फ्रीलांस असाइनमेंट, किराS की आय, शेयरों की बिक्री, पुरस्कार राशि आदि के रूप में अर्जित धन शामिल है। इस पर कर घटक की गणना करने से पहले कई गणनाएं की जाती हैं।

कटौती: सकल आय की गणना के बाद, करदाता आयकर अधिनियम के अनुसार वैध कटौती के रूप में अनुमत राशि में कटौती के हकदार होते हैं। यह विभिन्न प्रावधानों के तहत अनुमत हो सकता है, जैसे कि पीपीएफ और स्वास्थ्य बीमा में निवेश के लिए क्रमशः 80सी या 80डी होता है।

छूट : कटौती के विपरीत, छूट उस आय को संदर्भित करती है जो कर योग्य नहीं होती है। उदाहरण के लिए, पीपीएफ पर ब्याज या कृषि आय।

दूसरी छूट : यह कुछ उद्देश्यों के लिए कुल कर से माफ की गई राशि को संदर्भित करता है। छूट का एक उदाहरण धारा 87A (छूट) है, जो नई कर व्यवस्था के तहत 7 लाख रुपये से कम आय वाले करदाताओं के लिए 25,000 रुपये तक की छूट प्रदान करती है।

पूंजीगत लाभ : यह संपत्ति, सोना या प्रतिभूतियों सहित किसी संपत्ति की बिक्री से अर्जित आय को संदर्भित करता है। संपत्ति की धारण अवधि के आधार पर पूंजीगत लाभ अल्पकालिक या दीर्घकालिक हो सकता है।

आईटीआर फॉर्म : एक और शब्द, जिससे करदाताओं को अवगत होना चाहिए, वह है आईटीआर फॉर्म। वेतनभोगी, व्यवसायी और फ्रीलांसरों जैसे विभिन्न श्रेणियों के करदाताओं के लिए अलग-अलग आईटीआर फॉर्म होते हैं।

नई कर व्यवस्था : वर्तमान में, आयकर विभाग करदाताओं को दो व्यवस्थाओं में से एक के तहत अपना कर रिटर्न दाखिल करने की अनुमति देता है, पुरानी और नई। जैसा कि नाम से पता चलता है, पुरानी व्यवस्था लंबे समय से चली आ रही है। नई व्यवस्था को 2020-21 से ‘नई कर व्यवस्था’ के रूप में जाना जाता है, जब इसे पहली बार लागू किया गया था। पुरानी व्यवस्था में कर की दरें ऊंची थीं, लेकिन कटौतियां ज़्यादा थीं। जबकि नई व्यवस्था में कर की दरें कम थीं, लेकिन कटौतियां नहीं थीं।

उपकर : भारत सरकार स्वास्थ्य और शिक्षा के वित्तपोषण के लिए कुल कर, जिसमें अधिभार शामिल है, इस पर 4 प्रतिशत उपकर लगाती है।

टीडीएस : आमतौर पर, नियोक्ता कर्मचारियों को वेतन देते समय वर्ष के दौरान कर काटते हैं। अग्रिम भुगतान किया गया यह कर वार्षिक सूचना विवरण टीडीएस के रूप में दर्शाया जाता है।

कुल देय कर : अंत में, सभी कटौतियों और छूटों की कटौती और उपकर जोड़ने के बाद, जो राशि दिखाई देती है उसे कुल देय कर कहा जाता है। उल्लेखनीय है कि जब टीडीएस के रूप में पहले ही भुगतान कर दिया जाता है, तो यह शून्य या ऋणात्मक हो सकता है (जिससे कर वापसी होती है)।

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