नेता प्रतिपक्ष बाजवा ने गहन अध्ययन की जरूरत बताई, राजनीतिक रस्साकशी में फंसा विधेयक
राजेंद्र सिंह जादौन
चंडीगढ़, 15जुलाई। पंजाब विधानसभा में सोमवार को पेश किए धार्मिक ग्रंथों के अपमान संशोधन विधेयक पर मंगलवार को बहस हुई। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के प्रस्ताव पर इसे सिलेक्ट कमेटी को भेज दिया गया। गौरतलब है कि इस विधेयक में धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी करने के अपराध में दस वर्ष से लेकर आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है। बेअदबी की कोशिश मामले में तीन से पांच वर्ष कारावास का प्रावधान किया गया था। भगवंत मान सरकार बड़ा राजनीतिक संदेश देने के लिए इस विधेयक को लेकर आई थी। हालांकि राजनीतिक रस्साकशी में विधेयक फंस गया।
पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र का मंगलवार को चौथा व आखिरी दिन था। सीए मान की ओर से सोमवार को पेश किए धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी को लेकर बिल पर बहस हुई। हालांकि, बहस के बाद इसे पास नहीं किया गया, बल्कि सीएम मान के प्रस्ताव पर इसे सिलेक्ट कमेटी को भेज दिया गया।
अब सिलेक्ट कमेटी इस बिल पर सभी धार्मिक संस्थाओं और लोगों से राय लेगी। इसके लिए 6 महीने का समय तय किया गया है। इसके बाद इस बिल को दोबारा विधानसभा में पेश किया जाएगा।
विधानसभा में विशेष सत्र ने अंतिम दिन की कार्रवाई शुरू होने से पहले अरदास की गई। नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि बिल में ग्रंथ चोरी का जिक्र नहीं है। ऐसे में बिल पर गहन अध्ययन की जरूरत होती है। इसमें कहा गया है कि मामले की जांच उप अधीक्षक से नीचे का अधिकारी नहीं करेगा, लेकिन इसके लिए जांच का 30 दिन का निश्चित समय होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर जांच पूरी नहीं होती है तो 15 दिन का टाइम बढ़ाने का अधिकार एसएसपी स्तर के पुलिस अफसर पर होना चाहिए। इसके बाद जांच बढ़ाने के लिए डीजीपी को अधिकार होना चाहिए। अगर जांच गलत पाई जाती है तो अधिकारी पर कार्रवाई होनी चाहिए। कोई धार्मिक प्रदर्शन सार्वजनिक होता है तो वहां पर गोली नहीं चलनी चाहिए।
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