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लुधियाना में दवाइयां की जांच मे खानापूरी  ड्रग विभाग में चलता है सेटिंग का खेल

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लुधियाना  13 फरवरी  : जिले में एशिया की अग्रिम होलसेल दवा मार्केट होने के बावजूद यहां दवाइयो की जांच का काम ना के बराबर है जबकि पड़ोसी राज्यों में जांच के दौरान दवाइयां के सैंपल कई बार फेल हो चुके हैं उल्लेखनीय है कि दूसरे राज्यों से दवाइयां की भारी खेप बिक्री के लिए यहां आती है परंतु उसे जांच के दायरे से नहीं निकाला जाता जिसके चलते किसको सही दवाई मिल रही है या नकली अथवा घटिया स्तर की दवाइयां मिल रही है यह पता लगाना नामुमकिन सा हो गया है ड्रग विभाग में एक जोनल लाइसेंसिंग अथॉरिटी के अलावा ड्रग इंस्पेक्टरो की टीम जिले में तैनात की गई है परंतु किसी मैं भी अभी तक ऐसी कोई कारगुजारी पेश नहीं की जिससे यह पता चल सके कि जिले में दवाइयां की बिक्री में कितनी पारदर्शिता है दावा बाजार के सूत्रों का कहना है कि होलसेल दावा बाजार एक ऐसी मंडी बन गया है जहां पर कोई भी दवा लाकर बेची जा सकती है क्योंकि ड्रग विभाग की यहां पर नाम मात्र निगरानी है और सेटिंग के चलते साल में कुछ तो सैंपल भरकर अपनी कारगुजारी पेश कर दी जाती है चंडीगढ़ से एक अधिकारी ने बताया कि गत वर्ष लुधियाना की ड्रग टीम ने 400 से कम सैंपल जांच के लिए भेजे हैं सेटिंग का आलम ऐसा है कि इन दोनों एक ड्रग इंस्पेक्टर के कथित घपले की जांच विजिलेंस द्वारा की जा रही है बताया जाता है की दवा बाजार के प्रधानों की के साथ प्रगाढ़ संबंधों के चलते ड्रग विभाग द्वारा कोई ऐसी कार्रवाई नहीं की जाती जिससे उन्हें तकलीफ ऐसे में बहुत से ऐसी दवा व्यापारी भी सक्रिय हो जाते हैं जिन्हें ड्रग विभाग की लापरवाहियों का लाभ देना आता हो लोगों का कहना है कि सरकार को चाहिए कि वह विशेष टीम बनाकर दवाइयां की व्यापक सैंपलिंग कराए ताकि यह पता लगाया जा सके कि लोगों को कि टेंडर की दवाइयां मिल रही हैं

 

अस्पतालों में भी मिलने लगी है जेनेरिक मेडिसिन

शहर के बड़े अस्पतालों ने अपना लाभ प्रतिशत बढ़ाने के लिए मरीज के लिए जेनेरिक दवा कंपनियों से अनुबंध किए हैं जिसके तहत लोगों को एथिकल कंपनियों की दवा देने की बजाय उन्हें जेनेरिक मेडिसिन उपलब्ध कराई जा रही है परंतु इन दवाइयां की सैंपलिंग ना के बराबर है ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि जो जेनेरिक दवा मरीजों को दी जा रही है वह अपने मापदंड पूरे करती भी हैं या नहीं उनमें साल्ट निर्धारित मात्रा में है या उससे कम ऐसे में मरीज पूरे पैसे देकर सस्ती दवा खाने को मजबूर है और अस्पताल लाभ कमाने के चक्कर में दिन प्रतिदिन नई कंपनियों के साथ सप्लाई के लिए अनुबंध कर रहा है जो उन्हें सस्ती दवा उपलब्ध कराने के लिए कोटेशन पेश कर रही है

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