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कमिशन के लालच में अधिकारी इधर का माल उधर कर निगम को ही लगा रहे चूना

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लुधियाना 5 फरवरी। लुधियाना नगर निगम में अधिकारियों द्वारा सरकारी खजाना खत्म करने का मन बना लिया है। इसी के चलते धड़ल्ले से सरकारी खजाने से करोड़ों रुपए की पेमेंट झटपट से ट्रांसफर कर दी जा रही है। इसी के चलते निगम अधिकारी अपनी करोड़ों रुपए की प्रॉपर्टियां बना चुके हैं। ताजा मामला लुधियाना नगर निगम के जोन-बी का सामने आया है। जहां पर अधिकारी एसई प्रवीन सिंगला की और से अपने चहेते ठेकेदार को दूसरी साइट के काम के बिल के आधार पर ही करीब सवा करोड़ रुपए की पेमेंट कर डाली। जबकि नियमों के मुताबिक एक ठेकेदार किसी दूसरी साइट के काम के बिल दिखाकर पेमेंट नहीं ले सकता। लेकिन निगम अधिकारी एसई सिंगला की और से सरेआम नियमों को तोड़ते हुए ठेकेदार को एडवांस में ही सवा करोड़ रुपए के बिल दे डाले, जबकि सरकारी रिकॉर्ड में उक्त बिल पहली साइट के ही शो किए गए। हैरानी की बात तो यह है कि जिन साइटों के बिल शो किए गए वे विकास कार्य पीडब्ल्यूडी और ग्लाडा के अधीन आते हैं। जिसके बावजूद उन विभागों के कार्यों के बिल लेकर निगम द्वारा पेमेंट दी जा रही है। चर्चा है कि अधिकारी द्वारा अपनी जेब गर्म करने के चक्कर में यह खेल खेला गया है। हैरानी की बात तो यह है कि उच्च अधिकारियों के नाक तले सरेआम ऐसे करोड़ों रुपए सरकारी खजाने से निकाले जा रहे हैं, लेकिन उन्हें पता ही नहीं चल सका।

बुड्‌ढे नाले पर पुल बनाने का मिला था ठेका
जानकारी के अनुसार सराभा नगर ब्लॉक-आई के एससीएफ-14 में स्थित जेके इनफोकॉन कंपनी नगर निगम में ठेके लेती है। नगर निगम द्वारा उक्त कंपनी को बुड्‌ढे नाले के पास राधा स्वामी सत्संग घर के नजदीक पुल बनाने का ठेका दिया गया है।

एडवांस में ले सकते हैं पेमेंट
नगर निगम में अगर किसी ठेकेदार की और से किसी साइट का ठेका लिया जाता है और वहां पर वे अपना रॉ मटीरियल गिराता है तो नियम है कि नगर निगम उक्त रॉ मटीरियल के बिलों के आधार पर कुछ पेमेंट एडवांस में दे सकता है। वह पेमेंट ठेकेदार को एडवांस के तौर पर दी जाती है, ताकि वह और रॉ मटीरियल खरीद सके और काम न रुके। इसी एडवांस पेमेंट की आड़ में अधिकारी अपनी जेब भरने में लगे हुए हैं।

कई विभागों के ठेके है कंपनी के पास
जानकारी के अनुसार जेके इनफोकॉन कंपनी द्वारा नगर निगम के अलावा पीडब्ल्यूडी, पूडा व ग्लाडा के भी ठेके लिए जाते हैं। मौजूदा समय में ग्लाडा की और से कंपनी को दुगरी 200 फीट रोड पर पुल बनाने का ठेका दिया गया है। वहीं पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा मत्तेवाड़ा रोड पर सड़क चौड़ी करने का काम दिया गया है।

ऐसे किया गया करोड़ों का खेल
जानकारी के अनुसार जेके इनफोकॉन कंपनी के ठेकेदार की और से बड़े शातिर तरीके से ग्लाडा और पीडब्ल्यूडी विभाग के कार्यों के बिल लिए और उन्हें नगर निगम में सबमिट कर दिया। वह बिल बुड्‌ढे नाले पर बनने वाले पुल के दिखाए गए। फिर उन्हीं बिलों के आधार पर एसई प्रवीन सिंगला द्वारा करीब सवा करोड़ रुपए की एडवांस पेमेंट अदा कर दी। हैरानी की बात तो यह है कि एक विभाग के बिलों के आधार पर दूसरा विभाग कैसे पेमेंट दे सकता है। क्या विभाग द्वारा इसकी चैकिंग नहीं की जाती।

तीन से लेकर 28 लाख तक कर डाली पेमेंट
एसई प्रवीन सिंगला द्वारा ठेकेदार को करवाई गई पेमेंट की डिटेल भी सामने आई है। जिसमें ठेकेदार द्वारा बिल पर जो रो माल मंगवाया गया, उस पर माल भेजने वाली कंपनी द्वारा बकायदा जहां सामान छोड़ा गया, वह जगह शो की जाती है। पहले दो बिल में दुगरी रोड पर माल गिराया गया, जिनके बिल 3.95 लाख और 22.78 लाख के थे। जबकि तीसरा बिल समराला चौक का 28 लाख का है और चौथा बिल मत्तेवाड़ा का 21.20 लाख का है। यानि कि बुड्‌ढे नाले पर माल गिराने का कोई बिल नहीं है। बड़ा सवाल यह है कि बेशक बिल इस्तेमाल किए गए, लेकिन क्या एक विभाग द्वारा मंगवाया सरकारी माल दूसरे विभाग के कार्यों में इस्तेमाल हो सकता है। ऐसे में तो ठेकेदार पर अमानत में ख्यानत डालने का पर्चा दर्ज हो सकता है।

25 साल की नौकरी में ज्यादा समय एक ही जोन में रहे एसई

जानकारी के अनुसार एसई प्रवीन सिंगला अपनी 25 साल की ड्यूटी के दौरान ज्यादातर समय जोन-बी में ही तैनात रहे हैं। चर्चा है कि अधिकारियों व राजनेताओं की अच्छी सेटिंग के चलते उनकी ट्रांसफर ही नहीं होती। वहीं चर्चा है कि एसई प्रवीन सिंगला राजनेताओं का चहेता है, जिसके चलते अपने साथ साथ उनकी भी जेब गर्म की जा रही है। वहीं एसई प्रवीन सिंगला की नेटवर्थ 100 करोड़ से अधिक होने की भी चर्चा है। हैरानी की बात तो यह है कि एक एसडीओ भर्ती हुए अधिकारी की इतनी संपत्ति आखिर कैसे हो सकती है।

ऑडिट विभाग की भी मिलीभगत की चर्चा
वहीं इस मामले में ऑडिट व अकाउंट्स विभाग की भी मिलीभगत होने की चर्चा है। क्योंकि बिल पास होने के बाद पेमेंट अकाउंट्स ब्रांच ने करनी होती है और ऑडिट विभाग द्वारा बिल चैक किए जाने होते है। लेकिन दोनों विभागों द्वारा आंखें बंद करके काम किया जा रहा है। चर्चा है कि उन विभागों के अधिकारियों की भी मिलीभगत होने के चलते यह घोटाला चल रहा है। वहीं चर्चा है कि ऐसे उच्च अधिकारियों द्वारा खुद आगे न होकर कलर्क लेवल के मुलाजिम आगे रखे जाते हैं, ताकि अगर कोई घोटाला सामने आए तो वह बच सके।

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