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गवाह मुकरने के मामले में हाई कोर्ट की खंडपीठ ने कहा हम दुखी और हैरान,जज को ट्रेनिंग की जरूरत

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चंडीगढ/यूटर्न/9 नवंबर: पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट की खंडपीठ ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि हम दुखी और स्तब्ध हैं। जज को ट्रेनिंग की जरूरत है। दरअसल, निचली अदालत ने हत्या के एक मामले में गवाह के मुकरने पर कोर्ट ने गवाह को ही सजा सुनाते हुए उसपर जुर्माना लगा दिया था। यह मामला हाई कोर्ट पहुंचा और हाई कोर्ट ने मामले में नाराजगी जाहिर की। हत्या के एक मामले में गवाह के पुलिस को दिए गए बयान से अदालत में मुकरने पर उसे सजा सुनाने के मामले को दुखी और स्तब्ध कर देने वाला बताते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि लगता है कि अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश को ट्रेनिंग की जरूरत है। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मामले को प्रशासनिक स्तर पर मुखय न्यायाधीश को कार्रवाई के लिए भेज दिया है। गौरतलब है कि हत्या का एक मामला सुनवाई के लिए हिसार की जुवेनाइल कोर्ट में पहुंचा था। आरोपी 17 साल का था लेकिन उस पर व्यस्क के तौर पर केस चलाया जा रहा था। इस मामले में जब एक गवाह ने सामने आकर आरोपी के पक्ष में गवाही दी तो विवाद शुरू हो गया। गवाह ने पुलिस के सामने आरोपी के खिलाफ बयान दिया था लेकिन अदालत में आकर उसने आरोपी के पक्ष में गवाही दे दी। हाईकोर्ट ने फाइल में जब यह देखा तो हैरानी जताते हुए कहा कि कैसे इस प्रकार का आदेश जारी किया जा सकता है। जज को यह लगा कि पुलिस के सामने गवाह ने सच बोला था और अदालत में आकर वह झूठ बोल रहा है। ऐसे में जज ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए जज ने झूठी गवाही के लिए उस पर 500 रुपये जुर्माना लगा दिया।
आदेश आपराधिक न्यायशास्त्र के खिलाफ
हाईकोर्ट ने कहा कि इस प्रकार का आदेश आपराधिक न्यायशास्त्र के खिलाफ है। हाईकोर्ट ने कहा कि लगता है कि इस विषय पर जज को ट्रेनिंग की जरूरत है। हाईकोर्ट ने कहा कि वह जज हमारे समक्ष मौजूद नहीं है, इसलिए हम और अधिक टिप्पणियां नहीं करना चाहेंगे। हालांकि यह मामला प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई के लिए उपयुक्त है। खंडपीठ ने इसे मुखय न्यायाधीश को भेजते हुए कहा कि यदि वह चाहें तो इस मामले में प्रशासनिक स्तर पर कार्रवई का आदेश जारी करें।
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