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पंजाब में भाजपा ने दूसरी पार्टी से नेताओं को दी तवज्जो, जातिगत समीकरण को लेकर बड़ा खेल

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बिगडेगा भाजपा का गणित,टकसाली भाजपाईयों में रोश

(पंजाब/यूटर्न 2 अप्रैल): पंजाब में बीजेपी ने 28 साल बाद अकेले चुनाव लडऩे का फैसला किया है। शिरोमणि अकाली दल से अलग होकर चुनाव लड़ रही बीजेपी उंमीदवारों का चयन भी सारे सियासी समीकरण बैठाकर कर रही है। इसके लिए दूसरी पार्टियों से आए तीन सांसदों को भी टिकट दिया गया है। यहीं नहीं तीन ऐसे चेहरों को टिकट दिया गया है कि जिनके परिवार का सिख समुदाय में अच्छा खासा प्रभाव है। इसके साथ ही इन 6 चेहरों में एक लोकल चेहरा भी रखा गया है, जिसका अपने क्षेत्र में प्रभाव है। लेकिन टकसाली भाजपाई हाईकमान से खासे नाराज चल रहे है,बेशक प्रधानमंत्री के डर से वह जुबां नही खोल पा रहे,लेकिन बुझे मन से वह बाहरी व दूसरी पार्टियों के नेताओं को टिकट बांटे जाने से बेहद दुखी है,उनका कहना है कि क्या वह सिरफ भाजपा का झंडा ही हाथ में पकडे रहेंगे। उनका तो यह भी कहना था कि भाजपा हाईकमान ने जो गणित बिठाने का प्रयास किया है,उस गणित का बिगडना तय है।
भाजपा हाईकमान का गणित
बीजेपी की तरफ से जिन 6 उंमीदवारों को टिकट दिया गया है। उनके लिए चुनौतियां कम नहीं हैं, क्योंकि जो दूसरी पार्टी छोडक़र आए हैं उनके पार अपने पुराने दिग्गजों का साथ नहीं है। इसके अलावा जो नए चेहरे हैं उनका पैराशूट उंमीदवार बताकर विरोध होगा। वहीं बीजेपी के इन उंमीदवारों का सामना एक तरफ तो आम आदमी पार्टी के मंत्रियों से होगा। दूसरी तरफ कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल भी इन प्रत्याशियों की टक्कर में मजबूत उंमीदवार उतारेंगे।
दूसरे दलों से आए इन नेताओं को बीजेपी ने बनाया उंमीदवार
आम आदमी पार्टी से बीजेपी में आए सांसद सुशील कुमार रिंकू को जालंधर से चुनाव मैदान में उतारा गया है। इस सीट पर अभी अन्य किसी पार्टी ने उंमीदवार की घोषणा नहीं की है। आप की तरफ से टिकट मिलने के बाद रिंकू ने बीजेपी ज्वाइन की। ऐसे में पार्टी छोडऩे से नाराज वर्कर उन्हें गद्दार बताकर विरोध कर सकते हैं। वहीं दलित चेहरा होने की वजह से चुनाव में उन्हें फायदा भी मिल सकता है।
दूसरे नंबर पर बात करते हैं परनीत कौर की तो वे कांग्रेस छोडक़र बीजेपी में शामिल हुई हैं। सिख समुदाय में उनकी अच्छी पकड़ है। पटियाला लोकसभा सीट में 55.06 प्रतिशत सिख वोट है। वे कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी हैं इसका भी उन्हें फायदा मिलेगा। वहीं उनके लिए टक्कर इस बार कड़ी होने वाली है आप की तरफ से पटियाला से डॉ. बलबीर सिंह मैदान में हैं।
तीसरे नंबर पर बात करें सांसद रवनीत सिंह बिट्टू की तो वे भी कांग्रेस छोडक़र बीजेपी में शामिल हुए हैं। लुधियाना से बीजेपी ने उन्हें टिकट दिया है, इस सीट पर 53.26 प्रतिशत सिख वोटर है। सिख होने के नाते रवनीत सिंह बिट्टू को इसका फायदा मिल सकता है। वहीं बीजेपी में आने से पहले उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को भरोसे में नहीं लिया। इस वजह से वे नाराज बताए जा रहे हैं। बाकी अभी आप,अकाली दल व कांग्रेस ने यहां से प्रत्याशी खडे करनें है।
इन चेहरों का भी खासा प्रभाव
तरनजीत सिंह संधू को बीजेपी ने अमृतसर से चुनाव मैदान में उतारा है। उनके दादा समुंद्री गुरुद्वारा सुधार के प्रमुख नेता रह चुके हैं। सिख धर्म में उनके परिवार का खासा प्रभाव है। अमृतसर में 68.94 प्रतिशत सिख वोट है, जिनका फायदा उन्हें मिल सकता है लेकिन पैराशूट उंमीदवार होने का खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है। अकाली दल,आप व कांग्रेस ने अभी यहां से उमींदवार नही दिया है।
हंस राज हंस एक बड़े कलाकार हैं, वे बाल्मिकी परिवार से आते हैं, फरीदकोट में 34 प्रतिशत वाल्मीकि है, जिसका उन्हें फायदा मिल सकता है। लेकिन पैराशूट उंमीदवार होने का नुकसान भी झेलना पड़ सकता है, वहीं उनकी टक्कर आप के उंमीदवार कॉमेडियन कर्मजीत अनमोल से है। जबकि अकाली दल व कांग्रेस ने अभी उमींदवार नही दिया है।
दिनेश सिंह बब्बू 26 साल पुराने टकसाली है। उन्हें बीजेपी ने अभिनेता सन्नी देओल की जगह गुरदासपुर से टिकट दिया है। वे तीन बार विधायक भी रह चुके है। इसके साथ ही वे लंबे समय से गुरदासपुर क्षेत्र में एक्टिव रहे है। अपने लोकसभा क्षेत्र में न आने की वजह से सन्नी देओल का गुरदासपुर में विरोध होता रहा है,वहीं विनोद खन्ना की पत्नी कविता ने भी चुनाव लडने की मंशा जाहिर कर दी है, इसका कुछ खामियाजा दिनेश सिंह बब्बू को भी हो सकता है,यह भी अंदेशा है कि बब्बु की छुट्टी हो सकती है।
भाजपा की पहली लिस्ट का विरोध शुरू
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए पंजाब में भाजपा के उंमीदवारों की लिस्ट के जारी होते ही विरोध भी शुरू हो गया है। सबसे पहला विरोध भाजपा का गढ़ बन चुके गुरदासपुर से सामने आया है। जहां से विनोद खन्ना तकरीबन 4 बार सांसद चुने गए और बीते चुनाव में सनी देओल ने जीत हासिल की थी। इसके विरोध में सीनियर भाजपा नेता व बिजनेसमैन स्वर्ण सलारिया ने चुनाव लडऩे की घोषणा की है, वहीं पूर्व सांसद स्वर्गीय विनोद खन्ना की पत्नी कवीता खन्ना ने चुनाव लडऩे की इच्छा जाहिर कर दी है।
स्वर्ण सलारिया ने कहा- वे चुनाव लड़ेंगे
वहीं इस सीट के दूसरे दावेदार स्वर्ण सलारिया ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वे लोकल लीडर हैं और बीते कई सालों से जनसेवा फाउंडेशन चला रहे हैं। जिससे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर 5 लाख लोगों को फायदा पहुंच रहा है। लोगों की समस्याएं राजनीति से ही दूर की जा सकती है, इसलिए वे चुनाव लड़ेंगे। ये चुनाव वे आजाद लड़ेंगे या अन्य पार्टी के साथ, इसका निर्णय लिया जाना बाकी है।

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