पंजाब में हेडमास्टरों के 810 पद खाली, 50 प्रतिशत डायरेक्ट भर्ती का मामला हाईकोर्ट में लंबित

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पंजाब 9 फरवरी। पंजाब के 1,723 सरकारी हाई स्कूलों में से करीब 47 फीसदी में हेडमास्टर नहीं हैं। गवर्नमेंट टीचर्स यूनियन की ओर से किए गए सर्वे में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सर्वे के मुताबिक, 1,723 में से 810 हेडमास्टर के पद खाली हैं। इससे पहले किए गए एक अन्य सर्वे में पता चला था कि राज्य के 44 फीसदी सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में प्रिंसिपल नहीं हैं। गवर्नमेंट टीचर्स यूनियन के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह चहल ने बताया कि तरनतारन जिले में हालात सबसे खराब हैं, जहां 96 में से 81 पद खाली हैं, यानी 84.39 फीसदी पदों पर हेडमास्टर नहीं हैं। इसके बाद नवांशहर में 81.13 फीसदी, कपूरथला में 75.41 फीसदी, रूपनगर में 72.88 फीसदी और जालंधर में 70 फीसदी पद खाली हैं।

मोहाली में हालात खराब
वीआईपी इलाका माने जाने वाले मोहाली में यह आंकड़ा महज 10 फीसदी है। संगरूर के हमीरगढ़ स्थित सरकारी हाई स्कूल में हेडमास्टर का पद पिछले 30 सालों से खाली है। चहल ने कहा कि हेडमास्टर न केवल कक्षाएं लेते हैं, बल्कि स्कूलों के कामकाज को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी भी निभाते हैं।

नियुक्तियों में देरी की वजह है कोटा बढ़ाना

राज्य में हेडमास्टरों की कमी की समस्या 2018 में कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान शुरू हुई थी। उस समय शिक्षा विभाग ने नियमों में बदलाव करते हुए प्रिंसिपलों की सीधी नियुक्ति के लिए 50% कोटा तय किया था। पहले यह कोटा 25% था और बाकी पद पदोन्नति के जरिए भरे जाते थे।

2018 के पदोन्नति नियमों में संशोधन की मांग

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार सीधी भर्ती से जुड़ा मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में लंबित है। राजकीय शिक्षक संघ के अध्यक्ष सुखविंदर चहल ने मांग की है कि सरकार 2018 के पदोन्नति नियमों में संशोधन करे ताकि हेडमास्टरों के पदोन्नति पदों की कमी को दूर किया जा सके।

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