पंजाब 7 अप्रैल। पंजाब के 18 साल पुराने मोगा सेक्स स्कैंडल मामले में मोहाली स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने 4 पुलिस अधिकारियों को 5-5 साल की सजा सुनाई है। इनमें तत्कालीन एसएसपी दविंदर सिंह गरचा, पूर्व एसपी हेडक्वार्टर मोगा परमदीप सिंह संधू, पूर्व एसएचओ थाना सिटी मोगा रमन कुमार और पुलिस स्टेशन मोगा के तत्कालीन एसएचओ, पुलिस स्टेशन सिटी मोगा इंस्पेक्टर अमरजीत सिंह शामिल है। कोर्ट ने 2-2 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। पुलिस इंस्पेक्टर रमन को एक अन्य धारा में तीन साल की साज और एक लाख जुर्माना भी लगा है। शिकायतकर्ता रनजीत सिंह ने कहा कि फैसला अच्छा है। उन्होंने कहा कि वह फैसले से संतुष्ट है। अकाली नेता तोता सिंह के बेटे बरजिंदर सिंह उर्फ मक्खन बराड़ और सुखराज सिंह को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था।
किस-किस धारा में सुनाई सजा
सीबीआई कोर्ट ने देविंदर सिंह गरचा और पीएस संधू को भ्रष्टाचार निवारण (पीसी) अधिनियम की धारा 13(1)(डी) के साथ धारा 13(2) के तहत दोषी पाया था। रमन कुमार और अमरजीत सिंह को भी पीसी अधिनियम की इन्हीं धाराओं और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 384 (जबरन वसूली) के तहत दोषी ठहराया गया था। अमरजीत सिंह को अतिरिक्त रूप से धारा 384 के साथ धारा 511 आईपीसी के तहत भी दोषी पाया गया था।
अकाली सरकार के समय सामने आया मामला
यह मामला 2007 में राज्य में अकाली-भाजपा सरकार के दौरान सामने आया था। मोगा के थाना सिटी ने जगराओं के एक गांव की लड़की की शिकायत पर गैंगरेप का मामला दर्ज किया था। इसके बाद पीड़ित लड़की के धारा-164 के बयान दर्ज किए। इसमें उसने करीब 50 अज्ञात लोगों पर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। आरोप है कि पुलिस अधिकारियों ने इस केस की जांच में ब्लैकमेलिंग करनी शुरू कर दी थी। उन्होंने केस में कई व्यापारियों और राजनेताओं के नाम शामिल करने शुरू कर दिए। इसी दौरान मोगा के भागी के गांव के रंजीत सिंह ने एसएचओ अमरजीत सिंह द्वारा 50 हजार रुपए मांगने की ऑडियो रिकॉर्ड कर ली। उसके धमकी दी गई थी कि भुगतान न करने की स्थिति में महिला मनप्रीत कौर की शिकायत में दर्ज कर बलात्कार के मामले में उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा। रंजीत ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) को इसकी शिकायत की। इसके बाद यह मामला चर्चा में आ गया।