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लुधियाना में रोजाना 5 लाख लीटर HCL का अनट्रीटेड पानी सीवरेज में गिरा रही इंडस्ट्री, PPCB ने गठित की कमेटी

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लुधियाना 22 सितंबर। लुधियाना में रोजाना लाखों लीटर इस्तेमाल हो रहे हाइड्रोक्लोरिक एसिड (एचसीएल) के अनट्रीटेड पानी को सीवरेज में फेंका जा रहा है। जिससे लुधियाना निवासियों को जबरन घातक बीमारियों की तरफ धकेला जा रहा है। वहीं इस कारण बुड्‌ढा दरिया भी गंदा हो रहा है। जिसके चलते अब एचसीएल सीवरेजों में फेंकने को लेकर पीपीसीबी (पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड) की तरफ से सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। इस संबंधी पीपीसीबी के चेयरमैन की तरफ से एक मीटिंग बुलाई गई। जिसमें विभाग के अधिकारियों के अलावा लुधियाना के कई कारोबारी भी शामिल हुए। मीटिंग में एचसीएल का अनट्रीटेड पानी सीवरेज में डालने से रोकने और एआरपी (एसिड रीजेनरेशन प्लांट) ट्रीटमेंट प्लांट लगाने को लेकर चर्चा हुई। जिसमें कारोबारियों द्वारा भी सवाल किए गए। इस मुद्दे संबंधी पीपीसीबी की और से एक कमेटी गठित की गई है। कमेटी में कारोबारी बादिश जिंदल रिप्रेंटेटिव, हरसिमरनजीत सिंह लक्की रिप्रेंटेटिव, एवन साइकिल के पी.वी. राजपूत रिप्रेंटेटिव, आरती स्टील के अरुण कुमार रिप्रेंटेटिव और पंकज शर्मा को कोर्डिनेटर नियुक्त किया गया है। कमेटी की और से एआरपी प्लांट के लिए पानी की असेंसमेंट देखी जाएगी। इसी के साथ लुधियाना में कितनी इंडस्ट्रियां एचसीएल को इस्तेमाल कर रही है और कितना पानी सीवरेजों में गिराया जा है और असलियत में कितने एचसीएल लग रहा है, इस पर फोक्स किया जाएगा।

रोजाना निकल रहा पांच लाख लीटर पानी
इस संबंधी कारोबारी बादिश जिंदल से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि अनुमान के मुताबिक शहर में रोजाना एचसीएल 50 हजार लीटर इस्तेमाल कर 5 लाख लीटर पानी निकाला जा रहा है। एचसीएल का पानी ट्रीटमेंट के लिए पंजाब में कोई प्लांट नहीं है। जिसके चलते सरकार से ट्रीटमेंट प्लांट लगाने और उसमें पानी ट्रीट करने की कोस्ट कम रखने को कहा है। ताकि हर व्यक्ति इसकी पेमेंट आसानी से अदा कर सके। वहीं इस प्लांट को लगाने में 40 करोड़ खर्च होंगे। प्लांट के लिए योगदान के लिए एचसीएल इस्तेमाल करने वाली इंडस्ट्रियों में 75 प्रतिशत हिस्सा बड़ी और 25 प्रतिशत छोटी इंडस्ट्रियों डालेगी।

10 साल से लागू नहीं हुआ एक्ट
बादिश जिंदल ने बताया कि सरकार द्वारा पंजाब पॉइजन सेल्स एंड स्टोरेज एक्ट 2014 लाया गया था। इंडस्ट्री में 300 तरह के पॉइजन एसिड हैं। इस एक्ट के तहत डीलरों द्वारा लाइसेंस लेना, कितना एसिड सेल हुआ, कितना मंगवाया और कितना स्टोर किया, इसकी हर महीने रिपोर्ट एडीसी को सौंपी जानी थी। लेकिन 10 साल से इसे लागू ही नहीं किया गया। अगर यह लागू हो जाए तो पता चलेगा कि कितना कौन सा एसिड इस्तेमाल किया जा रहा है।

पिकलिंग वर्क में 1500 इंडस्ट्री अटैच
कारोबारी पंकज शर्मा से बातचीत करने पर उन्होंने बताया कि एचसीएल का काम सरिए के ऊपर से जंग उतारने के लिए किया जाता है। इस पिकलिंग वर्क में 1500 इंडस्ट्री जुड़ी है। इसमें से कई इंडस्ट्री मालिकों द्वारा पीपीसीबी से कंसेंट 5 हजार लीटर का ले रखा है, जबकि पानी 50 हजार लीटर डिस्चार्ज किया जा रहा है। ऐसी इंडस्ट्रियों द्वारा शहर का पानी व दरिया खराब किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ग्यासपुरा में सीवरेज गैस लीकेज के कारण हुए हादसे में भी ऐसे ही घातक एसिड शामिल थे। प्रशासन द्वारा अगर इस पर ध्यान न दिया गया तो और भी जानी नुकसान होने का खतरा बना हुआ है।

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