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हरियाणा में भाजपा के नायब सैनी के सीएम बनने के 56 दिन बाद गिर सकती है सरकार, राष्ट्रपति शासन हो सकता है लागू

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रोहतक 7 मई। हरियाणा में भाजपा द्वारा तीन निर्दलीय विधायकों को साथ लेकर अपनी दोबारा से सरकार बनाकर दिग्गज नेता नायब सैनी को नया सीएम बनाया था। लेकिन सीएम बनने के मात्र 56 दिन बाद ही तीनों निर्दलीय विधायकों ने भाजपा का समर्थन न करने का ऐलान कर दिया है। जबकि इस संबंधी तीनों विधायक चरखी दादरी से विधायक सोमवीर सांगवान, पुंडरी से विधायक रणधीर गोलन और नीलोखेड़ी से विधायक धर्मपाल गोंदर ने इस संबंधी राज्यपाल को भी पत्र भेज दिया है। जबकि उन्होंने कांग्रेस को अपना समर्थन देने का ऐलान किया है। जिसके चलते लगता है कि शायद अब हरियाणा में भाजपा की सरकार गिर सकती है। जबकि राष्ट्रपति साशन भी लग सकता है। इस दौरान पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा ने कहा कि भाजपा अल्पमत में आ गई है, इसलिए प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करके तुरंत विधानसभा चुनाव करवाने चाहिए। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले तीनों विधायकों ने भाजपा को समर्थन न देने का ऐलान कर बड़ा झटका दिया है।

भाजपा को आजमा चुकी जनता
निर्दलीय विधायकों ने कहा कि जनता बीजेपी को आजमा चुकी है। अब बीजेपी को अवसर देने का कोई औचित्य नहीं बनता, क्योंकि इस सरकार में हर वर्ग बेरोजगारी, महंगाई, बढ़ते अपराध, फैमिली आईडी, प्रॉपर्टी आईडी से दुखी है। किसान, मजदूर, कर्मचारी, व्यापारी, सरपंच, नंबरदार समेत हर वर्ग आज आंदोलनरत है। सरकार में रहते हुए उन्होंने अलग-अलग मौकों पर बीजेपी को चेताने का काम किया, लेकिन बीजेपी ने अपनी हठधर्मिता नहीं छोड़ी। अब जनता की उम्मीद सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस से है। हरियाणा समेत पूरे देश में कांग्रेस के इंडिया गठबंधन की लहर है। गठबंधन को जितवाने के लिए वो तीनों अपनी भागीदारी निभाएंगे और बीजेपी की हार सुनिश्चित करेंगे।


बीजेपी
को सत्ता में रहने का अधिकार नहीं
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने कहा कि अक्सर लोग विपक्ष को छोड़कर सत्तापक्ष की तरफ जाते हैं, लेकिन इन विधायकों ने सत्तापक्ष को छोड़कर विपक्ष का समर्थन करने का ऐलान किया है। स्पष्ट है कि ये विधायक संघर्ष में साथ देने के मकसद से आगे आए हैं। उनके इस फैसले से निश्चित ही कांग्रेस को मजबूती मिलेगी। 3 विधायकों के समर्थन वापसी और जेजेपी के सरकार से बाहर होने से साफ है कि प्रदेश में अल्पमत की सरकार चल रही है। ऐसे में बीजेपी को सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। उसे तुरंत सरकार भंग करके विधानसभा चुनाव का सामना करना चाहिए।

48 विधायकों को साथ लेकर बनाई थी सरकार
जानकारी के अननुसार पहले भाजपा की और से जजपा, हलोपा और निर्दलीय कुल 58 विधायकों को साथ लेकर सरकार बनाई थी। लेकिन फिर जजपा ने लोकसभा चुनाव में सीटें दो मांगी। लेकिन भाजपा ने सभी सीटों पर खुद लड़ने का ऐलान किया। जिसके बाद जजपा के 10 विधायक अलग हो गए। जिसके बाद पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्‌टर ने भी इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद भी वहां बहुमत के लिए 46 सीटें चाहिए थी। लेकिन भाजपा के पास 48 सीटें थी। मगर अब तीन विधायक जाने पर भाजपा के पास 45 विधायक रह गए हैं। जिसके चलते सरकार किसी भी समय गिर सकती है।

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