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अहम जिम्मेदारी : 51वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बने संजीव खन्ना

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ईवीएम-बैलेट पेपर पर सुनाया था ऐतिहासिक फैसला, पंजाबियों में खुशी की लहर

नई दिल्ली 11 नवंबर। सोमवार का दिन महत्वपूर्ण रहा, जस्टिस संजीव खन्ना ने 51वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के तौर पर शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। न्यायपालिका में जस्टिस खन्ना के सर्वोच्च पद पर आसीन होने से पंजाब समेत देश-दुनिया के पंजाबियों में खुशी की लहर है। जानकारी के मुताबिक जस्टिस खन्ना का कार्यकाल 13 मई, 2025 तक रहेगा। दिल्ली के प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखने वाले जस्टिस संजीव खन्ना तीसरी पीढ़ी के वकील रहे हैं। उन्होंने न्यायाधीश बनने से पहले अपने करिअर की शुरुआत 1983 में तीस हजारी कोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस के साथ की थी।

उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में भी वकालत की और अब अगले छह माह तक देश के मुख्य न्यायाधीश की कुर्सी संभालेंगे।

जस्टिस खन्ना का जन्म 14 मई, 1960 को दिल्ली में हुआ था और लॉ की पढ़ाई उन्होंने डीयू के कैंपस लॉ सेंटर से की। उन्हें 2004 में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के स्थायी वकील (सिविल) के रूप में नियुक्ति मिली और 2005 में दिल्ली हाईकोर्ट में एडहॉक जज बने। बाद में उन्हें स्थायी जज नियुक्त कर दिया गया। उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में अतिरिक्त लोक अभियोजक और न्याय मित्र के तौर पर कई आपराधिक मामलों में बहस भी की थी। आयकर विभाग के वरिष्ठ स्थायी वकील के तौर पर भी उनका कार्यकाल लंबा रहा।

बतौर सीजेआई जस्टिस खन्ना की प्राथमिकता लंबित मामलों की संख्या घटाना और न्याय प्रदान करने में तेजी लाना है। वह दिल्ली हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश रहे जस्टिस देवराज खन्ना के पुत्र और सर्वोच्च न्यायालय के जाने-माने पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एचआर खन्ना के भतीजे हैं। जस्टिस खन्ना को 18 जनवरी 2019 को कॉलेजियम की सिफारिश पर सुप्रीम कोर्ट में एलिवेट किया गया। उन्होंने ईवीएम से लेकर केजरीवाल को अंतरिम जमानत तक कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए थे।

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