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केंचुआ किल्लोल के निहितार्थ

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आप अन्यथा न लें जब तक लोकतंत्र के साथ मतदाताओं और राजनीतिक दलों के सात फेरे पूरे नहीं हो जाते मुझे विवश होकर सियासत के आसपास ही रहना पड़ रहा है। लोकतंत्र के साथ पहली भांवर के बाद से ही राजनीतिक दलों और नेताओं के बीच जुबानी जंग तेज हो गयी थी । आज लोकतंत्र की दूसरी भांवर है और इसके पहले केंचुआ यानि केंद्रीय चुनाव आयोग ने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी को नोटिस देकर ऐसी किल्लोल की है की आनंद आ गया। केंचुए ने कोशिश की है कि दुनिया और देश उसे पोपला,नख-दन्त विहीन न समझे,केंचुआ न माने।

केंचुआ किल्लोल के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के खिलाफ आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन मामले में माननीय प्रधानमंत्री मोदी और राहुल गांधी के भाषण को लेकर भाजपा और कांग्रेस को नोटिस जारी किया है। चुनाव आयोग ने 29 अप्रैल तक भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से जवाब मांगा है। यानि केंचुआ ने इन दोनों के साथ वो व्यवहार नहीं किया जो कांग्रेस नेता सुरजेवाला के साथ किया था। दोनों दल आराम से दूसरे चरण के मतदान से फुरसत होकर तीसरे चरण के लिए भी चार दिन और बकलोल करने के लिए आजाद हैं। तीसरे चरण का मतदान 7 मई को होगा। तब तक केंचुआ प्रधानमंत्री जी और बकौल प्रधानमंत्री कांग्रेस के शहजादे राहुल गांधी के खिलाफ लत्तालपेड़ी कर लेगा। चुनाव आयोग की हिम्मत नहीं कि वो प्रधानमंत्री जी को दो-चार दिन के लिए चुनाव प्रचार करने से रोक ले । चुनाव आयोग के पास प्र्धानमंत्री जी के हिन्दू-मुसलमान वाले बयान को गैरकानूनी साबित करने के लिए कलेजा है ही नहीं। केंचुआ केवल और केवल पिपक्ष के नेताओं को प्रताड़ित करने के लिए अपने कथित अधिकारों का इस्तेमाल कर सकता है ,जो वो करेगा। कांग्रेस को फिर नहीं बख्शा जाएगा और प्रधानमंत्री जी को भी केवल एक फर्जी एडवायजरी जारी की जाए सकती है।

अठारहवीं लोकसभा के लिए जो चुनाव हो रहे हैं वे एक विचित्र वातावरण में हो रहे हैं। इन चुनावों में न 1971 के चुनाव की तरह गरीबी हटाओ का मुद्दा है और न 1977 के आम चुनाव की तरह इंदिरा हटाओ का मुददा । और तो और 2014 के आम चुनाव की तरह ‘अच्छे दिन ‘ भी कोई चुनावी मुद्दा नहीं है।2024 के चुनाव में मुद्दा रोज बदल जाता है। भाजपा अपने चुनावी घोषणापत्र से हटकर बातें कर रही है। महाबली भाजपा के विश्वगुरु नेता जनता को लुभाने के बजाय डराने में लगे हैं। भाजपा की उपलब्धियां मतदाताओं को लुभाने के लिए कम पड़ रहीं हैं। मजबूर भाजपा नेताओं को कहना पड़ रहा है कि कांग्रेस आयी तो आपका मंगलसूत्र छीन लिया जाएगा, पुश्तैनी सम्पत्ति सरकार जब्त कर लेगी या उसके ऊपर विरासत कर लगा देगी।

कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि तीसरी बार सत्ता में आने के लिए उतावली भाजपा और उसके नेताओं की सिट्टी-पिट्टी गुम है। वे अपने ट्रेक से हटकर कांग्रेस के ट्रेक पर नृत्य कर रहे हैं। अयोध्या के राममंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कराये बैठे रामलला के पास भी अब शायद भाजपा की मदद करने की फुरसत नहीं है। भाजपा सरकार का दस साल का विकास हवा-हवाई साबित हो रहा है। गौर करने वाली एक बात और है कि भाजपा पहले चरण के मतदान के बाद ही अपने बहुचर्चित ‘ 400 पार ‘ के नारे को भी दुहराना भूल गयी है । शायद आरएसएस ने भाजपा को हटक दिया है। हालाँकि इन दिनों आरएसएस खुद मोदी जी की महाकृति के सामने बौना नजर आ रहा है। संघ को मोदी की वापसी में संदेह है। न होता तो संघ अपना शताब्दी समारोह अचानक टालने यान मनाने की घोषणा न करता।

बहरहाल आप तेल और तेल की धार देखिये / केंचुआ के नोटिस पर नजर रखिये और भाजपा तथा कांग्रेस के जबाब पर भी । सब जानते हैं ki 29 अप्रेल को इन दोनों दलों का उत्तर मिलने के बाद केंचुआ दोनों दलों की शिकायतों को दाखिल दफ्तर कर देगा। केंचुआ में इतनी ताकत है ही नहीं कि वो चुनाव आदर्श आचार संहिता का उलंघन करने वाले किसी भी बड़े नेता के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई कर पाए। आखिर चुनाव बाद केंचुआ प्रमुख को इसी देश में रहना है। दूसरे चरण के मतदान का रुझान अजगर होने के बाद आप देखेंगे की हिन्दू-मुसलमान के बाद अब नेता अश्रुपात करते नजर आएंगे। आंसू पहले महिलाओं का अंतिम अस्त्र हुआ करते थे ,किन्तु अब नेताओं ने भी इसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। नेताओं को रोते हुए देखकर महिला मतदाता सबसे पहले द्रवित होते हैं। कभी-कभी पुरुष मतदाता भी झांसे में आ जाते हैं। उन्हें लगता है की मोदी जी जैसे महान नेताओं को रोने पर मजबूर किया जा रहा है।वैसे मोदी जी अश्रुपात की कला में भी दक्ष नेता हैं। चलिए कल फिर मिलेंगे आपसे।

@ राकेश अचल

achalrakesh1959@gmail.com

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