इम्पाला लिली: मरुस्थलीय गुलाब

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डॉ. मोनिका रघुवंशी

*प्राकृतिक उपहार*

इस फूल की लोकप्रियता उसके प्राकृतिक आवास से बाहर फैल गई है, इसे डाक टिकटों पर दर्ज किया गया है और संगीत में भी इसका उल्लेख है। उपहार के रूप में, यह खुशहाली और स्थिरता का संकेत देता है, जिससे यह प्रेम का प्रतीक बन गया है।

*पारंपरिक प्रतीक*

मरुस्थलीय गुलाब के हर रंग का अपना विशेष अर्थ है। लाल रंग धन का प्रतीक है और सफेद पवित्रता का। यहां तक की दुर्लभ काले डेज़र्ट रोज़ ने पारंपरिक प्रतीकवाद न होते हुए भी आधुनिक उपहारों में अपनी खास पहचान बना ली है।

*चिकित्सा*

इसके प्रतीकात्मक महत्व के अलावा, मरुस्थलीय गुलाब का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में भी किया गया है। हालांकि, इसके विषैले रस के चलते इसका उपयोग करते समय सावधानी बरतना आवश्यक है।

*शक्ति*

कठोर और शुष्क वातावरण में इसके पनपने की क्षमता जीवन में चुनौतियों का सामना करने की प्रेरणा देती है। यह प्रेरणा उन लोगों के लिए भी है जो इस पौधे की देखभाल करते हैं। इसका दृढ़ संकल्प हमारी आंतरिक शक्ति की दैनिक याद दिलाता है।

*आकर्षक*

मरुस्थलीय गुलाब में न केवल सौंदर्य है, बल्कि इसका गहरा अर्थ भी है। पौधे को अपने चारों ओर रखने से एक साधारण कमरे को आकर्षक बना सकते हैं।

हरजोत सिंह बैंस और दीपक बाली द्वारा बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों को श्री गुरु त़ेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस से संबंधित समागमों के लिए निमंत्रण चंडीगढ़, 8 नवंबर पंजाब के शिक्षा मंत्री श्री हरजोत सिंह बैंस और पर्यटन व सांस्कृतिक मामलों के विभाग के सलाहकार श्री दीपक बाली ने आज राधा स्वामी सत्संग डेरा ब्यास के प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों को श्री गुरु त़ेग बहादुर साहिब जी के 350वें शहीदी दिवस को समर्पित श्री आनंदपुर साहिब में आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। इस दौरान श्री बैंस ने बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों से 23 नवंबर को श्री आनंदपुर साहिब में होने वाले “सर्व धर्म सम्मेलन” में शामिल होने की अपील भी की। यह सम्मेलन श्री गुरु त़ेग बहादुर जी की धर्म (हक-सच) की रक्षा के लिए दी गई शहादत और आपसी भाईचारे के संदेश के व्यापक प्रसार के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है। श्री हरजोत सिंह बैंस ने कहा कि श्री गुरु त़ेग बहादुर साहिब जी की विरासत को पूर्ण श्रद्धा और सच्चे दिल से नमन करने के लिए इस समागम में विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक हस्तियों की भागीदारी अत्यंत आवश्यक है। बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों ने श्री गुरु त़ेग बहादुर साहिब जी की अनुपम शहादत और अमर विरासत को नमन करते हुए विनम्रता से पंजाब सरकार के निमंत्रण को स्वीकार किया। —

हरजोत सिंह बैंस और दीपक बाली द्वारा बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों को श्री गुरु त़ेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस से संबंधित समागमों के लिए निमंत्रण चंडीगढ़, 8 नवंबर पंजाब के शिक्षा मंत्री श्री हरजोत सिंह बैंस और पर्यटन व सांस्कृतिक मामलों के विभाग के सलाहकार श्री दीपक बाली ने आज राधा स्वामी सत्संग डेरा ब्यास के प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों को श्री गुरु त़ेग बहादुर साहिब जी के 350वें शहीदी दिवस को समर्पित श्री आनंदपुर साहिब में आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। इस दौरान श्री बैंस ने बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों से 23 नवंबर को श्री आनंदपुर साहिब में होने वाले “सर्व धर्म सम्मेलन” में शामिल होने की अपील भी की। यह सम्मेलन श्री गुरु त़ेग बहादुर जी की धर्म (हक-सच) की रक्षा के लिए दी गई शहादत और आपसी भाईचारे के संदेश के व्यापक प्रसार के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है। श्री हरजोत सिंह बैंस ने कहा कि श्री गुरु त़ेग बहादुर साहिब जी की विरासत को पूर्ण श्रद्धा और सच्चे दिल से नमन करने के लिए इस समागम में विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक हस्तियों की भागीदारी अत्यंत आवश्यक है। बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों ने श्री गुरु त़ेग बहादुर साहिब जी की अनुपम शहादत और अमर विरासत को नमन करते हुए विनम्रता से पंजाब सरकार के निमंत्रण को स्वीकार किया। —