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जीना है तो हंस के जियो एक पल भी परेशान होना ना हौसला कभी टूटे ना धीरज कभी छूटे ना 

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उम्मीद पर दुनियाँ चले मायूस कभी होना ना, आज हारे हैं कल जीत होगी उम्मीद कभी खोना ना

 

चुनावी हार जीत होती रहती है, प्रसन्नता मंन की शांति व संतोष भरे मन से जीते व हारे उम्मीदवारों को फिर जनता की सेवा में आगे बढ़ना ज़रूरी- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

 

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर भारत की अनेकों बाणीयाँ,कथन सुविचार सारी दुनियाँ में यानें जग प्रसिद्ध हैं, उनमें एक नानक दुखिया सब संसार बाणी है,हर किसी को कोई ना कोई दुख ज़रूर है,उसके बाद ही फिर सुखों की शुरुआत होती है इसीलिए हर स्थिति हर वेले में प्रसन्नता खुशी संतुष्टि उम्मीद में संभावना जरूर रखनी चाहिए कि दुख आया है तो सुख भी आएगा, हारे हैं तो जीतेंगे भी हर वेले ईश्वर अल्लाह को का शुक्राना अदाकार मौज में मस्त रहे व जनता की सेवा करते रहें, आज इस विषय पर हम इसलिए बात कर रहे हैं क्योंकि 23 नवंबर 2024 को आए महाराष्ट्र झारखंड व अन्य उपचुनावों में सैकड़ो व्यक्ति ही जीते हैं परंतु हजारों व्यक्ति हारें हैं। मैंने रिसर्च कर आंकड़े निकालें,महाराष्ट्र में 288 सीटों के लिए 4136 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़े व जिसमें प्रत्याशी हारे। झारखंड में प्रथम द्वितीय चरण मिलकर 81 सीटों के लिए 1377 प्रत्याशी हारे हैं व अनेक राज्यों के उपचुनाव में भी मात्र कुछ सीटों पर सैकड़ो व्यक्ति हारें हैं।23 नवंबर 2024 को आए नतीजे में करीब 390 सीटों पर ही चुनाव जीते तो करीब करीब 6 हज़ार से अधिक प्रत्याशी चुनाव हार गए परंतु हौसला धीरज संतुष्टि रख, हंस के व प्रसन्नता में रहकर अगले चुनाव में जीत के लिए लक्ष्य बनाकर जनता की सेवा में फिर जुट जाना चाहिए। मैं 26 नवंबर 2024 को सुबह 1989 में रिलीज हुई थानेदार हिंदी फीचर फिल्म का गीत जीना है तो, हंस के जियो, जीवन में एक पल भी परेशान होना ना, रोना ना, जिंदगी रो रो के जीवन ये खोना ना। हौसला ज़ज्बा धीरज कभी टूटे ना की तर्ज पर यह गीत सुनकर चुनाव में असफल व्यक्तियों के पक्ष में उनके सहानुभूति में यह आर्टिकल तैयार किया हूं उम्मीद है यह गीत सुनेंगे यह आर्टिकल पढ़कर हौसला अफजाई व धीरज रखकर आगे बढ़ेंगे।चूँकि उम्मीद व हौसला अफ़जाई कर आज हारें हैं,कल जीतेंगे, मेहनत करेंगे इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे चुनावी हार जीत होते रहती है प्रसन्नता मन की शांति व संतोष भरे मन से जीते व हार दोनों प्रकार के उम्मीदवारों को फिर जनता की सेवा में आगे बढ़ना जरूरी है।

साथियों बात अगर हम मानव को धीरज बंधाने वाले टूल्स की करें तो,दुनियां में जिसके पास प्रसन्नता, मन की शांती, संतोष भरा मन हो वो भाग्यशाली और खुश इंसान है। केवल आज की ही क्यूं वो इंसान हर दुनियां मे खुश है। मनुष्य के पास बहुत सारा पैसा हो अछी शादीशुदा जिंदगी हो अच्छे माता पिता वह चुनाव में जीत का सहारा सर पर बंधा हो लेकिन मन मे संतोष व प्रसन्नता न हो तो ऐसा व्यक्ती आज की या किसी भी दुनिया मे खुश नही हो सकता। आज की दुनिया मे नाम शोहरत पद पैसा अतिआवश्यक है। लेकीन मन का संतोष प्रसन्नता उससे भी अधिक आवश्यक है,और एक बात जो की आवश्यक है वो है हमारी सेहत, सेहत अछी हो तो व्यक्ती का जीवन आनंदमय होता है,वैसे तो कुदरत द्वारा रचित इस अनमोल खूबसूरत सृष्टि में रचनाकर्ता ने मानवीय जीवन में अनेक गुण दोषों को शामिल कर संजोया है, इसका उपयोग करने सर्वश्रेष्ठ बुद्धिमता का भी सृजन कर दिया है।बस, जरूरत है अब माननीय जीव को उसे गुण-दोष सुख-दुख खुशियां-गम प्रसन्नता- दुख इत्यादि का चुनाव कर अपने जीवन को सफल और असफल बनाएं।

साथियों बात अगर हम प्रसन्नता की करें तो खुलकर हंसना, मुस्कुराना, प्रसन्न रहना, मन की प्रसन्नता खुद सृजित की हुई दवा के समान है, क्योंकि इसमें सब दुख तो नष्ट होते हैं,जीव अपने कर्म में असफल नहीं होता। बुद्धि तुरंत स्थिर रहती है। सामाजिक प्रतिष्ठा और गुणों की सुगंध दूर तक जाती है एक अलग हस्मुख व्यक्तित्व की हमारी छाया हमारे अपने परिचितों सहयोगियों पर पड़ती है। प्रसन्नता हमारा ऐसा अनमोल खजाना है, जिसे जितना लूटाएंगे उतना ही बढ़ता चला जाएगा,खिलखिलाते चेहरे और प्रसन्नता की आंखों की चमक मनीषियों को दुर्लभ पूंजी है, क्योंकि प्रसन्नता सुकून से जीने की कुंजी है। यह खजाना तब बढ़ता है जब हम दूसरों की खुशीयों में अपनी खुशी को समाहित करते हैं। हमें छोटी- छोटी चीजों में प्रसन्नता, सुख ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए, विश्वसनीय मन के भाव की खुशी का भाव अभूतपूर्व सफलता और दूरगामी सकारात्मक परिणाम होता है आध्यात्मिकता, उदारता, परोपकार सहनशीलता सहिष्णुता इत्यादि मन की प्रसन्नता के प्रमुख स्त्रोतों में से कुछ हैं, जिनको जीवन में अपनाने की जरूरत को रेखांकित किया जा सकता है।

साथियों बात अगर हम मन की प्रसन्नता के गुण एवं लाभों की करें तो, प्रसन्नता तो व्यक्ति का मानसिक गुण है, जिसे व्यक्ति को अपने दैनिक जीवन के अभ्यास में लाना होता है। प्रसन्नता व्यक्ति के अंतर्मन में छिपे उदासी, तृष्णा और कुंठाजनित मनोविकारों को सदा के लिए समाप्त कर देती है। वस्तुत: प्रसन्नता चुंबकीय शक्ति संपन्न एक विशिष्ट गुण है। प्रसन्नता दैवी वरदान तो है ही, यह व्यक्ति के जीवन की साधना भी है। व्यक्ति प्रसन्न रहने के लिए एक खिलाड़ी की भांति अपनी जीवन-शैली और दृष्टिकोण को अपना लेता है। उसके जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता- असफलता जय-पराजय, और सुख-दुख उसके चिंतन का विषय नहीं होता। वह तो अपने निर्धारित लक्ष्य की ओर बढ़ता जाता है।प्रसन्नता मानवों में पाई जाने वाली भावनाओं में सबसे सकारात्मक भावना है। इसके होने के विभिन्न कारण हो सकते हैं: अपनी इच्छाओं की पूर्ति से संतुष्ट होना। अपने दिन-रात के जीवन की गतिविधियों को अपनी इच्छाओं के अनुकूल पाना। किसी अचानक लाभ से लाभांवित होना। किसी जटिल समस्या का समाधान प्राप्त होना।

साथियों बात अगर हम प्रसन्नता के लक्ष्यों की प्राप्ति की करें तो, प्रसन्न रहने वाला व्यक्ति परिस्थितियों से संघर्ष करते हुए अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त कर लेता है। यदि वह असफल भी हो जाता है तो निराश होने और अपनी विफलता के लिए दूसरों को दोष देने की अपेक्षा अपनी चूक के लिए आत्मनिरीक्षण करना ही उचित समझता है।ज्ञानीजन और अनुभवी बताते हैं कि प्रसन्नता जैसे दैवीय-वरदान से कुतर्की और षड्यंत्रकारी लोग सदैव वंचित रह जाते हैं। प्रसन्न व्यक्ति स्वयं को प्रसन्न रखकर दूसरों को भी प्रसन्न रखने की अद्भुत सामथ्र्य रखता है।प्रसन्नता को प्रभु-प्रदत्त संपदा समझने वाले व्यक्ति ही सदैव सुखी रहते हुए यशस्वी, मनस्वी, महान और पराक्रमी बनकर समाज और राष्ट्र के लिए आदर्श स्थापित करने में सक्षम हो सकते हैं। प्रसन्नता ही सुखी जीवन का मूल मंत्र है। प्रसन्नता हमारा अनमोल खजाना है। प्रसन्नता को ज़रूर लुटाइए फ़िर देखिए, उसका खजाना बढ़ता चला जाएगा ।भलाई करना कर्त्तव्य नहीं, आनन्द है । क्योंकि वह प्रसन्नता को पोषित करता है । सबको प्रसन्न करने की शक्ति सब में नहीं होती । प्रसन्नता आत्मा को शक्ति प्रदान करती है। प्रसन्नता पूर्वक उठाया गया बोझ हल्का महसूस होता है। प्रसन्नता शब्द का प्रयोग मानसिक या भावनात्मक अवस्थाओं के संदर्भ में किया जाता है, जिसमें संतोष से लेकर तीव्र आनंद तक की सकारात्मक या सुखद भावनाएं शामिल हैं। इसका उपयोग जीवन संतुष्टिको, व्यक्तिपरक कल्याण, यूडिमोनिया, उत्कर्ष और कल्याण के संदर्भ में भी किया जाता है इसलिए हर व्यक्ति ने इस गुण अपने में समाहित कर जीवन को सफल बनाने के मंत्र को अपनाना चाहिए।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे किजीना है तो हंस के जियो एक पल भी परेशान होना ना हौसला कभी टूटे ना धीरज कभी छूटे ना।उम्मीद पर दुनियाँ चले मायूस कभी होना ना, आज हारे हैं कल जीत होगी उम्मीद कभी खोना ना।चुनावी हार जीत होती रहती है, प्रसन्नता मंन की शांति व संतोष भरे मन से जीते व हारे उम्मीदवारों को फिर जनता की सेवा में आगे बढ़ना ज़रूरी है।

 

*-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र*

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