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ठंड में चाय का टशन पीनी है तो पीनी है…!

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ठंड है बड़ी जोरदार और चाय की तलब है उसमें कह लो

चाय का टशन हैं अलग-अलग प्रकार की स्टाइलिश चाय

का शौक चर्राया है, सबके मुंह लगी है चाय, आह कितनी

ठंड है और वाह चाय मिल जाए तो फिर मजे ही मजे चाय

पीकर मौज ही मौज। आह चाय वाह चाय, वाह-वाह चाय,

चाय पीजिए और फिर काम पर चलिए। चाय मिले तब रजाई

से बाहर निकलिए। चाय नहीं मिली तलब पर तो दिन खराब।

 

किसी के यहां विजीट करें और वहां चाय को कोई नहीं पूछे

तो फिर दिन खराब। क्या, कोई चाय पीने वाला पसंद की चाय के बिना रह सकता है, नहीं रह सकता। चाय ना मिले तो उसका

मुड खराब, थकान, सिर दर्द शुरू, चाय मिले तो सब ठीक और

ना मिलें तो खराब नसीब। दोस्ती के ताने जरा चाय वाय पिलाओगे की नहीं या फिर सूखे ही वापस जाएं। ठंडी गुलाबी ठंड की गुलाबी चाय। स्पेशल चाय, चालु चाय और सुपर चाय।

ठेले पर चाय, टपरी की चाय, पटरी की चाय और चाय स्टॉल, रेस्टोरेंट, कैफे, होटल की चाय। रेलवे स्टेशन की चाय गर्म चाय,

गर्मागर्म चाय।

इसके अलावा भी चाय के विविध प्रकार होते हैं। पहले चाय फिर टाटा – बाय-बाय। हम बात करते हैं मसाला चाय की लौंग, तेजपत्ता, तुलसी के पत्ते, अजवाइन, काली मिर्च और अदरक, सौंठ की सर्दी ज़ुकाम मिटाने वाली फायदेमंद चाय। इलाइची, निंबू, बगैर दूध की, नमक वाली, चाकलेटी चमत्कारी चाय। फिर जड़ी-बूटियों वाली हर्बल चाय। कभी सिंगल से काम नहीं चले तो डबल डोज चाय, ये सभी सेहत के लिए फायदेमंद है नासाज दिल में भी साज बजते हैं जब ऐसी चाय का स्वाद ग्रहण करते हैं।

तब चाय से गरम केटली हो जाती है।

 

चाय सर्दियों में रामबाण औषधि होती है। साथ ही छोटे-मोटे संक्रमण को दूर कर देती है। आफीस में तीन टाईम चाय भी जरुरी होती है। कोई एचीवमेंट या कार्य की सफलता पर चाय पार्टी होती है। फिर नाश्ता हो तो और भी चोखी बात है। आओ

चलो चाय-वाय हो जाए। अरे भाई साहब चाय पी जाओ, चाय की नाट मत लगाओ। चाय, चाय नहीं अमृत है। चाय प्रेम-व्यवहार-अपनत्व की डोर है। हमारे देश में हर मौसम में चाय जरूरी होती है और पीने -पिलाने का दौर चलता रहता है। मगर ठंड में चाय का टशन है, बस चाय पीनी है तो पीनी है। कहीं भी जाएं, मेहमान आए, आफीसर की मीटिंग में, आडीट-इंस्पेक्शन में आराम तलबी के लिए वाह चाय दिल की पहली पसंद होती है।

 

चाय लीजिए गरम-गरम जब प्याले खनखनाते हैं, दिल में घंटी सी बजती है। पुराने समय में चूल्हे, सिगड़ी, स्टोव पर बनती थी,

एक माहौल बनता था और चाय की खुशबू आती थी। अब गैस के चूल्हे पर उंगली चाय हम पीते हैं। मजा तब भी आता था और

स्वाद भी होता था। पीकर मन प्रसन्न हो जाता था। आज तो चाय की बहुत सारी किस्में हैं। सभी में अलग-अलग स्वाद है और भारत में सबसे ज्यादा खपत होती है चाय की।

मदन वर्मा माणिक इंदौर, मध्यप्रदेश

– मदन वर्मा ” माणिक ” इंदौर , मध्यप्रदेश

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