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मुद्दे की बात : मोदी-वाणी देखें, फिर तो पप्पू पास हो गया…

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लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान में फिलहाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाषा पर गौर किया जाए तो एक बड़ा भ्रम पैदा हो रहा है। कभी वह फरमाते हैं कि कांग्रेस वाले मंगलसूत्र तक छीन लेंगे। कभी उनके मुताबिक पूर्व पीएम डॉ.मनमोहन मुसलमानों को ही सारे हक देने की बात कर गए। फिर नया जुमला उछाला कि शहजादे ने अब अडाणी-अंबानी के साथ डील कर ली, उनके खिलाफ कुछ भी नहीं बोल रहे।

खैर, गांधी-परिवार से पहले कांग्रेस की स्टार-कंपेनर प्रियंका गांधी ने पलटवार कर पीएम को शहंशाह की उपाधि दे दी। अब खुद स्टार कंपेनर राहुल गांधी ने खरा सा जवाब देते मोदी पर पलटवार किया कि डील का अनुभव तो उनको ही है। इस सब पर सियासी-जानकार भी खूब चुटकी ले रहे हैं। एक ने तो यहां तक कमेंट किया कि इसका मतलब साफ है कि ‘पप्पू’ तो पास हो गया। दरअसल बीजेपी टीम ने राहुल गांधी के अटपटे बयानों को लेकर उनको पप्पू की उपाधि दी थी। अब जानकार हैरान हैं कि आखिर पीएम मोदी खुद क्यों वैसी ही बातें करने लगे, जिसे लेकर राहुल गांधी को पूरी भाजपा चिढ़ाती रही है। राहुल तो अब और दमदारी से चुनावी रैलियों में यह दावा करने लगे हैं कि पीएम मोदी अबकी बार 400 पार वाले दावे की हवा निकलते देख बौखलाकर कांग्रेस को कोसने में ही सारा वक्त बर्बाद कर रहे हैं। ऐसे में यह भी संदेश जनता के बीच जा रहा है कि बीजेपी की भाषा में फेल साबित पप्पू तो पास होता नजर आ रहा है।

राजनीतिक विशलेषकों के नजरिए से बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सार्वजनिक सभाओं में मतदाता बेहद संजीदा भाषणों की उम्मीद रखते हैं। अपने दस साल के कार्यकाल की तमाम उपलब्धियां गिनवाने के लिए पीएम के पास तो लंबी-चौड़ी फहरिस्त है। वहीं जनता को भी भाजपा गठबंधन सरकार को  लेकर प्रधानमंत्री के सकारात्मक भाषण ज्यादा रास आने थे। विकास की आस लगाए जनता पीएम के मंच से केवल कांग्रेस की आलोचना को नकारात्मक सोच या हताशा के नजरिए से देखने लगी है। अब तो लोगों के बीच चर्चा भी शुरु हो गई है कि क्या भाजपा के अबकी बार 400 पार वाले नारे-दावे कमजोर हो चले हैं। वहीं दूसरी तरफ, कांग्रेस से स्टार कंपेनर राहुल गांधी, प्रियंका गांधी से लेकर राज्य स्तर के नेता अपने चुनावी घोषणा पत्र के जरिए विकास के सपने दिखा जनता को लुभा रहे हैं। उनके भाषणों के बीच कभी-कभार पीएम मोदी के इलजामों पर पलटवार जरुर होते हैं।

जानकारों का मानना है कि यह वाजिब भी है, जब पीएम-बीजेपी की तरफ से सियासी हमले होंगे तो कांग्रेस को जवाब तो देने ही पड़ेंगे। अगर उनके आरोपों पर कांग्रेस चुप्पी साधेगी तो जनता को लगेगा कि दाल में कुछ काला तो जरुर है। रही बात बाकी विपक्षी दलों की तो उनको भी चुनावी सभाओं के लिए खूब मसाला मिल रहा है। वे भी पीएम के भाषणों पर खूब चुटकी लेते हुए जनता से तालियां पिटवा लेते हैं। कभी चाल, चरित्र और चेहरे के नारे को बुलंद कर बीजेपी ने दूसरों से अलग होने वाली पहचान कायम की थी। अब पीएम मोदी के नकारात्मक यानि विशुद्ध कांग्रेस विरोधी भाषण उस अलग वाली भाजपा की छवि को लगातार धुंधला कर रहे हैं।

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