हरियाना/यूटर्न/4 सितंबर: हरियाणा में पिछले विधानसभा चुनाव में 17 सीटें ऐसी थीं, जहां जीत-हार का अंतर 600 से 3500 वोट रहा था। बहुत ही कड़े मुकाबले में विधायकों की सीट निकल पाई थी। कुछ ऐसी सीटें थीं, जहां बाजी पलटते-पलटते रह गई थी। इनमें कई दिग्गज भी शामिल हैं, जिनका राज्य की राजनीति में अच्छा खासा रुतबा है। इनमें भाजपा-कांग्रेस और अन्य दलों के विधायक शामिल हैं। पांच साल के बाद भी इन 15 सीटों पर सबकी नजरें हैं। इस बार भी मुकाबला आसान नहीं रहने वाला है। कम अंतर से हारे उंमीदवारों को यदि टिकट मिलता है और वह जोर लगाते हैं तो इस बार कई दिग्गजों की सीट फंस सकती है। उनके लिए जीतना मुश्किल हो सकता है।
602 मतों से जीते थे गोपाल कांडा
2019 के चुनाव में सबसे कम अंतर से हरियाणा लोकहित पार्टी के संस्थापक गोपाल कांडा मात्र 602 अंतर से जीते थे। सिरसा विधानसभा सीट से उतरे गोपाल कांडा को 44915 वोट मिले, जबकि निर्दलीय उंमीदवार गोकुल सेतिया को 44313 वोट मिले थे। गोपाल कांडा भले ही कम अंतर से जीते हों, मगर आसपास की दो से तीन सीटों पर उनका अच्छा प्रभाव है। वह कांग्रेस की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे थे। इसी तरह से दूसरे बड़े दिग्गज मेवात बेल्ट से आने वाले पुन्हाना विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक व पूर्व मंत्री मोहंमद इलियास मात्र 816 वोट से जीते थे। उन्हें 35092 वोट मिले, जबकि निर्दलीय उंमीदवार रईस खान को 34276 वोट मिले। इलियास भजनलाल व चौटाला सरकार में मंत्री रह चुके हैं। वह ही एक ऐसे नेता हैं, जो मेवात बेल्ट की तीनों विधानसभा सीट नूंह, फिरोजपुर झिरका व पुन्हाना से विधायक रह चुके हैं। तीसरे बड़े दिग्गज राज्य के निकाय मंत्री व थानेसर से विधायक सुभाष सुधा हैं, जो पिछला चुनाव मात्र 842 वोटों से जीते थे। चुनाव में उन्हें 55759 वोट मिले जबकि कांग्रेस उंमीदवार अशोक अरोड़ा को 54917 वोट मिले। इस बार का चुनाव सुभाष सुधा के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। वहीं चौथे दिग्गज रेवाड़ी से कांग्रेस विधायक चिरंजीव राव हैं। वह अपना चुनाव मात्र 1317 वोटों से जीते थे। राव को 43870 वोट मिले थे, जबकि भाजपा उंमीदवार सुनील कुमार को 42553 वोट मिले। राज्य की शिक्षा मंत्री व बडख़ल से भाजपा विधायक सीमा त्रिखा की भी राह इस बार आसान नहीं होने वाली। वह अपना चुनाव मात्र 2545 वोट से जीती थी। कांग्रेस उम्मीदवार विजय प्रताप ने उन्हें कड़ी टक्कर दी थी। इसी तरह से रोहतक से कांग्रेस विधायक भारत भूषण बत्रा अपने प्रतिद्वंद्वी भाजपा उम्मीदवार मनीष ग्रोवर से मात्र 2735 वोटों से जीते थे। उधर, फरीदाबाद एनआईटी से विधायक नीरज शर्मा भी भाजपा उंमीदवार नागेंद्र भड़ाना से 3242 वोटों से जीते थे।
यह विधायक भी कम अंतर से जीते
मुलाना से विधानसभा सीट से कांग्रेस के वरुण चौधरी मात्र 1688 वोटों से जीते थे। हालांकि वह अब सांसद बन चुके हैं। इसलिए कांग्रेस इस सीट से नया उंमीदवार उतारेगी। यमुनानगर सीट से कांग्रेस विधायक बिशन लाल भी लडख़ड़ाते हुए जीते थे। वह भाजपा उंमीदवार कणदेव से मात्र 2541 वोटों से जीते थे। कैथल से भाजपा विधायक लीला राम ने कांग्रेस उंमीदवार रणदीप सुरजेवाला को मात्र 1246 वोटों से हराया था। नीलोखेड़ी से निर्दलीय विधायक धर्मपाल गोंदर ने भाजपा के भगवान दास को मात्र 2222 वोटों से हराया था। इसी तरह से असंध से कांग्रेस विधायक शमेशर सिंह गोगी मात्र 1703 वोटों, राई से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली 2662 वोटों से, खरखौदा से कांग्रेस के जयवीर सिंह 1544 वोटों से, फतेहाबाद से भाजपा के दुर्गाराम बिश्नोई 3300 वोट, रतिया से लक्ष्मण नापा 1216 वोट, हथीन से भाजपा विधायक प्रवीण डागर मात्र 2887 वोटों से जीत हासिल की।
जीते और हारे उंमीदवार मांग रहे हैं टिकट
वरुण चौधरी को छोडक़र बाकी सभी सीटों के विधायक व पिछला चुनाव हारे उंमीदवार अपनी सीट से फिर से दावेदारी कर रहे हैं। इनमें से कई ऐसे दिग्गज हैं, जिनका टिकटा मिलना तय है। वहीं, हारे उंमीदवार भी कम जीत के अंतर को आधार बनाकर हाईकमान के सामने मजबूती से दावा जता रहे हैं। जिन दिग्गजों का लडऩा तय माना जा रहा है, उनमें गोपाल कांडा, सुभाष सुधा, अशोक अरोड़ा, गोकुल सेतिया, रईस खान, भारत भूषण बत्रा, मनीष ग्रोवर, विजय प्रताप, रणदीप सुरजेवाला, नीरज शर्मा, चिरंजीव राव, शमशेर गोगी, धर्मपाल गोंदर व अन्य शामिल हैं। यदि पिछले चुनाव में जीते-हारे फिर आमने-सामने हुए तो मुकाबले दिलचस्प हो सकते हैं।
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