देश के 10 राज्यों में 19 वर्किंग वुमन के हॉस्टल मंजूर, बने महज 13, पंजाब का इकलौता हास्टल नहीं बना
लुधियाना 4 अगस्त। कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा के सरकारी दावे एक नजरिए से खोखले साबित हो रहे हैं। मसलन, पिछले पांच वर्षों में पूरे देश में वर्किंग वुमन के लिए महज 19 हॉस्टल स्वीकृत किए गए। इनमें से भी महज 13 ही पूरे हो सके हैं। गौर करें तो औसतन हर साल लगभग 2.5 हॉस्टल तैयार हो सके। बेशक पंजाब के हिस्से में एक हॉस्टल तो आया, लेकिन अभी बना नहीं है।
कुल मिलाकर देखें तो औसतन हर राज्य के हिस्से में पूरा एक हॉस्टल भी नहीं आ सका। जबकि केंद्र सरकार की इस योजना में 28 में से केवल 10 राज्यों को ही शामिल किया गया है, उनका भी हिस्सा बहुत कम है। राज्यसभा के चालू सत्र में लुधियाना से सांसद संजीव अरोड़ा के सवाल के मिले जवाब से यह खुलासा हुआ। उन्होंने पिछले पांच वर्षों में वर्किंग वीमेन के लिए निर्मित हॉस्टल की संख्या के बारे में पूछा था। उनका सवाल यह भी था कि क्या सरकार टियर वन और टू श्रेणी वाले शहरों में ट्रांजिट हॉस्टल की संख्या बढ़ाने की योजना बना रही है।
पंजाब के हिस्से में एक हॉस्टल, वह भी बना नहीं : सांसद अरोड़ा के मुताबिक सरकारी आंकड़े निराशाजनक रहे हैं। पंजाब राज्य को केवल एक हॉस्टल मिला। यह वैसे तो स्वीकृत है और अभी तक नहीं बना है। अरोड़ा ने कहा कि मंत्री ने निर्माण के लिए स्वीकृत वर्किंग वीमेन हॉस्टल और जिनका निर्माण पिछले पांच वर्षों की अवधि के दौरान पूरा हो गया है, का विवरण प्रदान किया। इन विवरणों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान पंजाब को एक वर्किंग वीमेन हॉस्टल मंजूर किया गया था। विवरण से पता चलता है कि यह वर्किंग वीमेन हॉस्टल भी अभी तक नहीं बनाया गया है। इस प्रकार, मंजूरी केवल कागजों में पड़ा है। जो अफसोस की बात है। इसके अलावा, उस जिले या शहर का नाम नहीं बताया गया है, जहां पंजाब में यह वर्किंग वीमेन हॉस्टल स्थापित किया जाना था।
लुधियाना को दिया जाए हॉस्टल : एमपी अरोड़ा ने कहा कि केंद्र को लुधियाना में कम से कम एक ऐसा हॉस्टल स्थापित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह इस मामले को संबंधित मंत्रालय के साथ उठाएंगे। अरोड़ा ने कहा कि मंत्री ने अपने जवाब में उल्लेख किया कि सरकार वर्किंग वीमेन और वर्क-फोर्स में शामिल होने की इच्छुक महिलाओं के लिए सुरक्षित और अफोर्डेबल हॉस्टल सुविधा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। वर्किंग वीमेन के लिए हॉस्टल, श्रम शक्ति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण घटक हैं। जो ‘महिला नेतृत्व वाले विकास’ के विचार को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
गौरतलब है कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी है। सांसद अरोड़ा के जवाब में मंत्री ने मिशन शक्ति के तहत पूर्ववर्ती वर्किंग वीमेन हॉस्टल योजना का नाम बदलकर सखी निवास योजना कर दिया गया है। इस योजना में, किराए के परिसर में सखी निवास चलाने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। जिसमें किराया, प्रबंधन लागत, मरम्मत लागत और क्रेच स्थापना लागत शामिल है। मिशन शक्ति योजना में ट्रांजिट हॉस्टल के निर्माण का कोई प्रावधान नहीं है।
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