जैतो में होलिका दहन रात्रि 7 बजे 

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रघुनंदन पराशर जैतो

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जैतो,23 मार्च :होली हिंदू धर्म के सबसे लोकप्रिय और प्रमुख धार्मिक त्यौहारों में से एक है,लेकिन इसे जैन,बौद्ध और अन्य धर्मों द्वारा भी मनाया जाता है। इसे रंगों, प्रेम और बुराई पर अच्छाई की जीत के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। होली भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार में हिरण्यकश्यप नामक राक्षस पर विजय का स्मरण करती है। होली उत्सव की उत्पत्ति भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाती है और इसे भारतीय लोगों द्वारा दुनिया भर में फैलाने के बाद मुख्य रूप से यहाँ मनाया जाता है।होली तब आती है जब वसंत ऋतु आती है और सर्दी आखिरकार खत्म हो जाती है। प्रकृति में हर जगह हम अलग-अलग रंगों के खूबसूरत खिले हुए फूल देख सकते हैं जैसे प्रकृति भी रंगों का त्योहार मना रही हो। कुछ संस्कृतियों में होली का उत्सव वसंत ऋतु की फसल के मौसम का भी प्रतीक है। यह 2 दिनों तक मनाया जाता है। हिंदू महीने फाल्गुन की पूर्णिमा (पूर्णिमा) को होलिका दहन या छोटी होली के साथ उत्सव शुरू होता है । अग्रवाल समाज जैतो के प्रवीण जिंदल व सतपाल जिंदल ने बताया कि होली के उपलक्ष्य में 24 मार्च को चौंक नवंर एक जैतो में होलिका दहन इस बार रात्रि 7 बजे पूजा अर्चना के उपरांत किया जाएगा। इस अवसर पर विभिन्न जातियों व हर वर्ग के लोगों द्वारा दिन भर होलिका दहन की श्रद्धा पूर्वक पूजा अर्चना की जाती है। इस पूजा अर्चना के दौरान मेला जैसा माहौल बना रहता है। अग्रवाल समाज के प्रवीण जिंदल व सतपाल जिंदल ने क्षेत्र के समूह लोगों से अपील की है कि वह सुबह 9.30 बजे होलिका के पूजा अर्चना कर परिवार सहित पहुंचे।अगले दिन 25 मार्च को धुलंडी पर पूरे उत्साह और मस्ती के साथ रंगों से होली खेली जाती है।

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नदियों के लिए बाढ़ के मैदानों को छोड़ना ज़रूरी है – संत सीचेवाल *प्रकृति के करीब रहने से ही मिलेगी बाढ़ से राहत *पंजाब को 900 किलोमीटर मिट्टी के तटबंधों को मजबूत करने की जरूरत है* प्रत्येक ट्यूबवेल पर पांच पेड़ लगाने से 70 लाख नए पौधे जुड़ेंगे*